‘मन की बात’ का शतक 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का 30 अप्रैल को 100वां एपिसोड  प्रसारित हुआ। इस खास एपिसोड को यादगार बनाने के लिए खास तैयारियां की गई थीं। प्रत्येक विधानसभा में तकरीबन 100 स्थानों पर इस कार्यक्रम को सुनने की व्यवस्था की गई थी।   
 ‘मन की बात’ की लोकप्रियता का इस बात से पता चलता है कि यह कार्यक्रम केवल भारत ही नहीं अपितु दुनिया भर में देखा जा रहा है। ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड के बाद दुनिया के सबसे अमीर लोगों में एक बिल गेट्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी। बिल गेट्स ने ट्वीट कर लिखा कि  ‘मन की बात’ ने स्वच्छता, स्वास्थ्य, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और सतत विकास लक्ष्यों से जुड़े अन्य मुद्दों पर समुदाय के नेतृत्व वाली कार्रवाई को उत्प्रेरित किया है । 
 पुनरावलोकन कर देखा जाए तो 3 अक्तूबर,  2014 को ‘मन की बात’ की  शुरुआत हुई थी। सरकार बनाने के बाद इस आकाशवाणी पर प्रसारित इस कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री मोदी देश के कोने-कोने में बेहतरीन काम कर रहे लोगों के बारे में चर्चा करते रहे हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री ने 500 से ज्यादा लोगों से बात की जो कुछ नया और असाधारण कर रहे हैं, लेकिन गुमनाम रहे। 
 ‘मन की बात’ कई मायनों में खास है। इसके असर को समझने के लिए प्रसार भारती ने आईआईएम रोहतक की मदद से अध्ययन करवाया, जिसमें कई अनोखी बातें निकलकर सामने आईं—जैसे 9 सालों के दौरान इसे 1 अरब लोग कम से कम एक बार सुन चुके हैं, वहीं लगभग 23 करोड़ लोग नियमित तौर पर इस कार्यक्रम को सुनते हैं और कुछ न कुछ नया जानते हैं। इसके अलावा इसकी सबसे खास बात है कि प्रधानमंत्री सीधे ऐसे लोगों से संवाद करते हैं, जिन्हें कोई नहीं जानता, लेकिन जो देश और समाज के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं ।   ‘मन की बात’ एपिसोड के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनके लिए एक भावुक क्षण रहा है और इस कार्यक्रम के माध्यम से वह देश के 100 करोड़ से ज्यादा लोगों से जुड़ते हैं उन्होंने इस कार्यक्रम की सफलता का श्रेय खुद को नहीं बल्कि देश के लोगों को देकर एक परिपक्व राजनीतिज्ञ होने का परिचय दिया है ।  मन की बात में प्रधानमंत्री शुरू से ही कुछ हटकर करने वाले लोगों का जिक्र करते रहे हैं। यहां ऐसे कुछ लोगों जिक्र जरूरी है जिनके सामाजिक या रचनात्मक कार्यों के खुद प्रधानमंत्री मोदी मुरीद रहे और उन्होंने विशेष रूप से इन लोगों का जिक्र  ‘मन की बात’ में लोगों को प्रेरित करने के लिए किया है। 
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की रहने वाली बसंती देवी ऐसा ही एक नाम हैं। बाल-विवाह और 14 साल की उम्र में ही पति को खोकर भी बसंती ने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि पढ़ी-लिखी महिलाओं को एकजुट करने लगी। बसंती देवी ने शुरुआत में बाल-विवाह, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर काम किया। फिर वह पर्यावरण से भी जुड़ गईं। आज बसंती देवी महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण-प्रेम की मिसाल बन चुकी हैं उन्हें सर्वोच्च नारी शक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है।
झारखंड के संजय कच्छप को प्रधानमंत्री मोदी ने लाइब्रेरी मैन के नाम से संबोधित किया। चाईबासा के रहने वाले  कच्छप ने ग्रेजुएशन के दौरान आईएएस बनने का सपना देखा लेकिन गरीबी की वजह से वे किताबें खरीदकर पढ़ नहीं सके। बाद में सरकारी विभाग में ही नौकरी करते हुए कच्छप ने तय किया कि जिस वजह से उनका सपना अधूरा रहा, वह किसी और की वजह न बने।  इसके बाद वे लाइब्रेरी बनाने में जुट गए। पैतृक गांव से लेकर अपनी पोस्टिंग वाले हर इलाके में उन्होंने पुस्तकालय बनाया।
‘जहां चाह, वहां राह’ की बात को झांसी की युवती गुरलीन चावला ने सच कर दिखाया।  वहां की तपती जमीन पर गुरलीन ने स्ट्रॉबेरी की खेती की। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने प्रयोग के तौर अपने घर के गमलों में स्ट्रॉबेरी उगाई थी। कोशिश कामयाब हुई तो उन्होंने बाकायदा इसकी खेती शुरू कर दी। पानी देने के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक अपनाई और बंजर-तपती धरती पर स्ट्राबेरी की फसल लहलहा दी। 
 जम्मू के छोटे इस किसान की उपलब्धि के कारण देश की पहली सौर ऊर्जा पंचायत पल्ली को रहवासी विनोद कुमार के नाम से भी जाना जाता है। मधुमक्खी पालन के जरिए जम्मू के विनोद न केवल अपना जीवन चला रहे हैं, बल्कि कई लोगों को रोज़गार दिया हुआ है।  लगभग हर एपिसोड में प्रधानमंत्री कुछ ऐसे लोगों का जिक्र करते रहे हैं । वैसे जब प्रधानमंत्री राजनीति से जुड़े हुए हैं तो उन पर ‘मन की बात’ के माध्यम से राजनीति करने का भी आरोप लगता रहा है। वहीं विपक्ष पर भी एक रचनात्मक कार्यक्रम पर निर्रथक आक्षेप लगाने का आरोप है । 
रविवार को ‘मन की बात’ का शतक पूरा हो रहा है और निश्चित ही यह कार्यक्रम लोगों में अत्यंत लोकप्रिय होने के साथ-साथ सार्थक भी रहा है, साथ ही साथ प्रधानमंत्री की ऊर्जा व निरन्तरता को भी रेखांकित करता है जिन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक इस कार्यक्रम को निरन्तर जारी रखा है।