सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 को तोड़ने की साज़िश

मान सरकार द्वारा श्री हरिमंदिर साहिब से होने वाले  गुरबाणी कीर्तन के मुफ्त प्रसारण के बहाने सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 को बदल कर पंजाब के लिए जो अलग गुरुद्वारा एक्ट बनाने का फैसला किया है, उसकी सिख पंथ तथा पंजाब के राजनीतिक गलियारों में तीव्र प्रतिक्रिया हुई है। यहां उल्लेखनीय है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी जो कि श्री हरिमंदिर साहिब, श्री अकाल तख्त साहिब तथा राज्य के अन्य ऐतिहासिक गुरुद्वारों का प्रबंध करती है, द्वारा श्री हरिमंदिर साहिब से होने वाले गुरबाणी कीर्तन को प्रसारित करने का अधिकार एक समझौते के तहत 11 वर्ष के लिए पी.टी.सी. चैनल को दिया गया था,  जिसके लिए पी.टी.सी. चैनल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को कुछ अदायगी करता है और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अहम समारोहों को भी मुफ्त प्रसारित करता है। आगे पी.टी.सी. गुरबाणी कीर्तन लोगों तक पहुंचाने के लिए कोई पैसे नहीं लेता। पी.टी.सी. जिस केबल सर्विस या सैटेलाइट चैनल के माध्यम से प्रसारित होता है, उस नैटवर्क द्वारा सभी चैनलों के लिए ग्राहकों से जो पैसे लिये जाते हैं, उसमें ही पी.टी.सी. चैनल के प्रसारण के पैसे शामिल होते हैं, इसलिए चैनल द्वारा या यह चैनल प्रसारित करने वाले किसी भी नेटवर्क द्वारा गुरबाणी प्रसारण के कोई अलग पैसे नहीं लिए जाते। इस समझौते की अवधि जुलाई में समाप्त हो रही है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पहले ही कहा था कि समझौते की अवधि समाप्त होने से पहले-पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा टैंडर जारी किये जाएंगे। जो भी चैनल टैंडर की शर्तों को पूरा करके गुरबाणी कीर्तन का प्रसारण करने के अधिकार हासिल करने में सफल होगा, उसे ही श्री हरिमंदिर साहिब से ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी। 
परन्तु मुख्यमंत्री भगवंत मान पिछले काफी समय से यह मुद्दा उठाते रहे हैं कि श्री हरिमंदिर साहिब से गुरबाणी कीर्तन का प्रसारण मुफ्त होना चाहिए और इसका अधिकार किसी एक चैनल को नहीं होना चाहिए। इस संदर्भ में ही मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ में अपनी ताज़ा प्रैस कान्फ्रैंस में यह कहा है कि पंजाब सरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 को पंजाब विधानसभा के द्वारा पंजाब के एक्ट के रूप में पारित करवाएगी और इसमें धारा-25-ए जोड़ कर सभी चैनलों को गुरबाणी कीर्तन प्रसारित करने के अधिकार दिये जाएंगे तथा पंजाब सरकार द्वारा लाया जा रहा यह संशोधन विधेयक सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक-2023 कहलाएगा। इससे स्पष्ट है कि मान सरकार सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925, जो कि एक केन्द्रीय एक्ट है, का दर्जा बदल कर इसे पंजाब के एक्ट के रूप में विधानसभा में पुन: पारित करवा कर इसमें गुरबाणी कीर्तन के मुफ्त प्रसारण की धारा जोड़ना चाहती है। प्रतीत होता है कि उसका यह फैसला हरियाणा सरकार द्वारा अलग गुरुद्वारा कमेटी के लिए पारित किये गये गुरुद्वारा एक्ट से प्रभावित है। ताज़ा जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल ने इस संबंधी विधेयक को स्वीकृति दे दी है और इसे अब 20 जून को विधानसभा अधिवेशन में पेश किया जाएगा। 
आम आदमी पार्टी की सरकार के इस फैसले की धार्मिक सिख हलकों, राजनीतिक तथा सामाजिक संगठनों में तीव्र प्रतिक्रिया हुई है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिन्दर सिंह धामी ने कहा है कि सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 एक केन्द्रीय एक्ट है। इसमें पंजाब विधानसभा द्वारा कोई संशोधन नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा है कि यह सरकार द्वारा सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है। पंजाब विधानसभा में विपक्षी दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली के नेता परमजीत सिंह सरना, दिल्ली के भाजपा नेता मनजिन्दर सिंह सिरसा, पंजाब भाजपा के सीनियर नेता सुनील जाखड़ और कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने भी मान सरकार के इस फैसले की तीव्र आलोचना की है। इनमें से कई पार्टियों का कहना है कि वे इस बात से तो सहमत हैं कि गुरबाणी सब तक मुफ्त पहुंचे लेकिन सरकार का यह तरीका सही नहीं है।
हमारी भी इस संबंध में स्पष्ट राय है कि मान सरकार को सिख पंथ के धार्मिक मामलों में इस प्रकार दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 हरियाणा के लिए अलग कमेटी बनने के बाद भी केन्द्रीय एक्ट है और शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी अभी भी हिमाचल और चंडीगढ़ के गुरुद्वारों का भी प्रबंध करती है। पंजाब के लिए अलग गुरुद्वारा एक्ट बनने के बाद उपरोक्त राज्यों के गुरुद्वारे भी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से अलग हो जाएंगे। यह भी सम्भव है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव संबंधी भी इस संशोधन बिल के बाद सवाल पैदा होंगे कि चुनाव राज्य सरकार करवाएगी या केन्द्र सरकार? यह स्पष्ट रूप में सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 को तोड़ने की एक साज़िश है लेकिन जहां तक गुरबाणी के मुफ्त प्रसारण की बात है, यदि इस संबंध में मान सरकार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को कोई सुझाव देना चाहती है तो वह दे सकती है और इस संबंध में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के साथ विचार-विमर्श करके भी मामले का हल निकाल सकती है। परन्तु उसके द्वारा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, जो कि सिख पंथ के ऐतिहासिक गुरुद्वारों के बारे और धार्मिक मामलों के साथ निपटने के लिए समर्थ चुनी हुई संस्था है, को एक तरफ छोड़ कर गुरबाणी कीर्तन के टैलीकास्ट के बहाने सिख गुरुद्वारा एक्ट-1925 का केन्द्रीय स्वरूप बदल कर उसको पंजाब एक्ट में बदल देना किसी भी तरह ठीक नहीं है। यदि मान सरकार सत्ता के नशे में चूर होकर कोई ऐसी गुस्त़ाखी करती है तो सिख पंथ द्वारा इसका करारा जवाब दिया जाएगा। इससे पंजाब के पहले ही नाज़ुक चल रहे हालात यदि और खराब होते हैं, तो इसकी पूरी ज़िम्मेदारी भी मान सरकार की होगी। मान सरकार के उपरोक्त फैसले की जिस तरह से प्रतिक्रिया अब तक सामने आ रही है, उसको देखते हुए सरकार की आंखें खुल जानी चाहिएं।