होली के त्यौहार पर पाबन्दी हटी धार्मिक सहनशीलता के समर्थकों की हुई जीत


पाकिस्तान के अपने समाज में धार्मिक सहनशीलता तथा सांस्कृतिक साझ को बरकरार रखने वाले लोगों की एक बड़ी जीत हुई है। इसके लिए पाकिस्तान के प्रगतिशील लोगों को बधाई देनी बनती है। पाकिस्तान के हायर एजुकेशन कमीशन को विश्वविद्यालयों में होली न मनाने का अपना आदेश वापस लेना पड़ा है। 21 जून को यह समाचार आया था कि पाकिस्तान के उच्च शिक्षण आयोग ने देश के सभी विश्वविद्यालयों को आदेश दिया है कि विश्वविद्यालयों के कैम्पस मे विद्यार्थियों को होली का त्यौहार मनाने की आज्ञा न दी जाए।   
उच्च शिक्षण आयोग  द्वारा विश्वविद्यालयों को लिखे गये पत्र में कहा गया था कि उच्च शिक्षण संस्थाएं स्वयं को ऐसी गतिविधियों, जो देश की पहचान तथा सामाजिक नैतिक-मूल्यों से मेल नहीं खातीं, से दूर रखेें तथा इस बात को सुनिश्चित बनाएं कि उनका विद्यार्थी वर्ग तथा अध्यापक भाईचारा अकादमिक गतिविधियों, बौद्धिक बहस तथा प्रशिक्षण के क्रियान्वयन पर अधिक ध्यान दे। यहां यह भी वर्णनीय है कि पाकिस्तान के उच्च शिक्षण आयोग का यह ़फैसला ़कायद-ए-आज़म विश्वविद्यालय इस्लामाबाद में विद्यार्थियों द्वारा 13 जून, 2023 को मनाये गये होली के त्यौहार की वीडियो वायरल होने के बाद 20 जून को आया था। 
़कायद-ए-आज़म विश्वविद्यालय इस्लामाबाद में 13 जून की सायं 4 बजे पार्किंग क्षेत्र में विद्यार्थियों ने यह त्यौहार मनाया था तथा इसमें तीन हज़ार से अधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया था। यह त्यौहार मनाने का प्रबन्ध महिरान स्टूडैंट्स कौंसिल द्वारा किया गया था तथा विश्वविद्यालयों की पांच अन्य विद्यार्थी कौंसिलों, जिनमें पंजाब स्टूडैंट्स कौंसिल, पशतून  स्टूडैंट्स कौंसिल, सराइकी स्टूडैंट्स कौंसिल, बलोच स्टूडैंट कौंसिल तथा गिलगित स्टूडैंट्स कौंसिल के विद्यार्थियों ने भी इस समारोह में खुलकर भाग लिया था। महिरान स्टूडैंट कौंसिल के छात्र नेताओं ने बताया कि उन्होंने विश्वविद्यालय से यह त्यौहार मनाने की स्वीकृति मांगी थी, परन्तु उन्होंने इसकी स्वीकृति देने से इन्कार कर दिया था, जिस कारण विद्यार्थियों ने यह त्यौहार विश्वविद्यालय के समय के बाद पार्किंग वाले स्थान पर मनाने का ़फैसला किया था। विद्यार्थियों का यह भी दावा था कि पहले भी वे विश्वविद्यालय में यह त्यौहार मनाते रहे हैं तथा यह त्यौहार विद्यार्थियों में आपसी प्रेम तथा भाईचारा बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। पाकिस्तान के विश्वविद्यालयों में होली का त्यौहार मनाने पर लगाये गये प्रतिबन्ध से विवाद उत्पन्न हो गया है। बहुत-से पत्रकारिता एवं राजनीतिक गलियारे तथा विद्यार्थी संगठन इस प्रतिबन्ध का विरोध कर रहे थे तथा दूसरी तरफ पाकिस्तान की पहचान तथा इस्लामिक संस्कृति को बनाये रखने का दावा करने वाले लोग इस ़फैसले का समर्थन कर रहे थे।
जहां तक पाकिस्तान की बात है, यह देश14 अगस्त, 1947 को यह देश इस्लाम धर्म के नाम पर अस्तित्व में आया था। अंग्रेज़ों ने मुस्लिम लीग के साथ मिलीभुगत करके भारतीय महाद्वीप का विभाजन करवाया था तथा इस ़गैर-प्राकृतिक विभाजन के दौरान भड़की साम्प्रदायिक हिंसा में 10 लाख लोग मारे गये थे तथा एक करोड़ लोगों को पलायन का सामना करना पड़ा था। हज़ारों महिलाओं का अपहरण हुआ, हज़ारों अन्यों की हत्या कर दी गई तथा ज्यादातर का जब्री उनकी इच्छा के विरुद्ध विवाह कर दिया गया।
चाहे पाकिस्तान के संस्थापक ़कायद-ए-आज़म मुहम्मद अली जिन्ना ने अपने 11 अगस्त के भाषण में कहा था कि पाकिस्तान सरकार का भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों के धार्मिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा तथा वे अपने मंदिरों, मस्जिदों तथा गिरिजाघरों में जाकर अपनी आस्था के अनुसार पाठ-पूजा कर सकते हैं। सरकार उनकी धार्मिक आज़ादी में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी, परन्तु पाकिस्तान में बाद में बनने वाली सरकारें मुहम्मद अली जिन्ना की इस भावना को कायम न रख सकीं।
अल्प-संख्यकों की सुरक्षा के पक्ष से पाकिस्तान की हालत सबसे बुरी है। 14 अगस्त, 1947 से पहले पाकिस्तान वाले क्षेत्र में 16 प्रतिशत के लगभग अल्प-संख्यक थे, परन्तु आज इनकी संख्या 3 प्रतिशत से भी कम रह गई है। अल्प-संख्यकों से संबंधित ज्यादातर लोगों का जब्री धर्म-परिवर्तन दशकों से लगातार जारी रहा। आज भी पाकिस्तान में स्थिति यह है कि प्रतिदिन 12-14 वर्ष की हिन्दू तथा ़गैर-मुस्लिम धर्मों से संबंधित लड़कियों का जब्री धर्म-परिवर्तन करवा दिया जाता है तथा फिर उनकी इच्छा के विरुद्ध उनका मुसलमान लड़कों के साथ विवाह करवा दिया जाता है। पाकिस्तान की केन्द्र सरकार तथा भिन्न-भिन्न प्रांतों की प्रांतीय सरकारें अल्प-संख्यकों पर होते अत्याचार को रोकने में बुरी तरह असफल रही हैं।
परन्तु होली के त्यौहार पर अब लगाये गये ताज़ा प्रतिबन्ध  से अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की इस पक्ष से आलोचना में और भी वृद्धि होने की सम्भावना थी। इसे दुर्भाग्यपूर्ण बात ही कहा जा सकता है कि अपनी धार्मिक कट्टरता वाली नीतियों के कारण चाहे पाकिस्तान आर्थिक रूप से विनाश के किनारे पर पहुंच गया है तथा आतंकवादियों का गढ़ भी चुका है परन्तु इसके बावजूद धार्मिक कट्टरता तथा असहनशीलता वहां नई बुलंदियों को छूती जा रही है, परन्तु इससे बावजूद अब पाकिस्तान के युवा विद्यार्थियों तथा धार्मिक सहनशीलता के समर्थक लोगों के होली के त्यौहार पर पाबंदी के खिलाफ खुल कर सामने आने से एक प्रकार से सरकार को पाबंदी वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसे एक सकारात्मक घटना ही कहा जा सकता है, परन्तु पाकिस्तान के लोगों को अपनी साझ बढ़ाने तथा धार्मिक सहनशीलता मज़बूद करने के लिए अभी लम्बा समय तय करना पड़ेगा।