एक जैसी प्रतिभा के बावजूद पृथ्वी शॉ शुभम गिल से पीछे कैसे रह गये?

यह उन दिनों की बात है जब भारत के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ करसन घावरी मोहाली क्रिकेट स्टेडियम में बीसीसीआई की तेज़ गेंदबाज़ी अकादमी का संचालन कर रहे थे। स्टेडियम के सामने ही एक छोटा सा मैदान था, जिसमें एक 11 वर्ष का लड़का बल्लेबाज़ी कर रहा था। घावरी ने लगभग 15 मिनट तक उस लड़के की बल्लेबाज़ी देखी और फिर मैदान में ही खड़े लड़के के पिता लखविंदर गिल से कहा कि अगले दिन वह अपने बेटे को स्टेडियम में नेट्स के लिए लेकर आयें। यह लड़का आज का स्टार बैटर शुभम गिल था।
उस समय अकादमी में 17-19 वर्ष आयु वर्ग के 15 तेज़ गेंदबाज़ थे, जिनमें संदीप शर्मा, अंकित राजपूत आदि शामिल थे। इन गेंदबाज़ों में से हर एक को गेंद करने के लिए रोज़ाना नई गेंद दी जाती थी। बालक शुभम गिल जब इन गेंदबाज़ों का सामना कर रहे थे तो घावरी ने उनसे कहा, ‘बेटा डर लगे तो बता देना।’ गिल ने शालीनता से जवाब दिया, ‘मैं खेल लूंगा।’ गिल बिना किसी डर के उन गेंदबाज़ों का रोज़ाना सामना करने लगे। घावरी के शब्दों में, ‘वह उस छोटी-सी आयु में भी जिस तरह से नई गेंद का सामना कर रहे थे, एकदम नेचुरल बैटर प्रतीत हो रहे थे। उनमें नई गेंद का सामना करने का टेम्परामेंट (स्वभाव) और स्किल (कौशल) था। हर गुज़रते दिन के साथ मैंने उनके बारे में नई चीज़ों को नोट किया, चाहे वह हाथ-आंख का तेज़ समन्वय हो, कलाई का प्रयोग हो या फ्रंट-फुट पर पुल शॉट हो और इससे बढ़कर यह कि निडर होकर बल्लेबाज़ी करना।’
एक 11-वर्ष के बालक के रूप में गिल घावरी को अति गंभीर प्रतीत हुए थे। बहुत शांत, लेकिन सीखने के लिए एकदम तैयार, जिज्ञासु। वह क्रिकेट में पूर्णत: डूब चुके थे। वह अनुशासित थे और उनके कंधों पर अति कूल व समझ से भरा सिर था। बहरहाल, इस बात को अब 12 साल बीत चुके है, क्या गिल में कोई बदलाव आया है? घावरी के अनुसार, ‘गिल को बल्लेबाज़ी करते हुए देखने में उस समय भी मज़ा आता था, आज भी आता है और पिछले 12 बरस में उनमें कुछ नहीं बदला है। बड़ा स्कोर करने की इच्छा उनमें आज भी है और वह आज भी उन लोगों में से हैं जो खेल का सम्मान करते हैं। मैंने उन्हें गहरे समुद्र में फेंक दिया था और वह तैरने लगे। मुझे उम्मीद है कि वह तैरते रहेंगे और समुद्र की सभी लहरों को पार कर जायेंगे।’
अपनी क्रिकेट यात्रा में घावरी के योगदान को गिल भी स्वीकार करते हुए बताते हैं, ‘मेरी गंभीर क्रिकेट घावरी सर के साथ आरम्भ हुई। उन्होंने वास्तव में मेरी बहुत मदद की। मैं बहुत छोटा था और मुझे 18-20 वर्ष के गेंदबाज़ों का सामना करना पड़ता था। वह मुझे संयम से समझाते, मुझे बताते कि अलग-अलग गेंदबाज़ों का किस तरह से सामना करूं, गेम अवेयरनेस को किस प्रकार विकसित करूं, अलग-अलग पिचों पर कैसे एडजस्ट करूं और अपनी फिटनेस को कैसे बनाये रखूं।’ मोहाली से मुंबई लौटने पर भी घावरी ने गिल पर उस समय तक नज़र रखी जब तक कि उन्होंने गिल का नाम विश्व कप के लिए भारत की अंडर-19 टीम में नहीं देख लिया। स्वभाविक तौर पर घावरी की पहली प्रतिक्रिया थी, ‘दुनिया अब इस प्रतिभा को देखेगी।’
घावरी का मानना है कि बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए टैलेंट के साथ ही समर्पण व अनुशासन की भी आवश्यकता होती है। इसी के आधार पर गिल व पृथ्वी शॉ की विपरीत दिशाओं में जाने वाली यात्राओं की तुलना की जा सकती है। दोनों ही प्रतिभाशाली बैटर्स हैं, लेकिन समर्पण व अनुशासन के अभाव में आप देख लीजिये कि आज शॉ कहां हैं? और गिल कहां हैं? जबकि दोनों की यात्राएं साथ ही आरंभ हुई थीं। दोनों साथ अंडर-19 टीम में थे। दरअसल, प्रतिभा की अगर सही से परवरिश की जायेगी तो वह कभी बेकार नहीं जायेगी। घावरी के अनुसार, ‘आज गिल व शॉ अलग-अलग श्रेणियों में हैं। शॉ सोचते हैं कि वह स्टार हैं और कोई उन्हें स्पर्श नहीं कर सकता। लेकिन उन्हें एहसास होना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अगर आप टी-20, 50-ओवर या टेस्ट खेल रहे हों या रणजी ट्रॉफी भी, तो भी आउट होने के लिए सिर्फ एक ही गेंद लगती है। इसलिए आपको अनुशासित होने के साथ ही अच्छे टेम्परामेंट की भी ज़रूरत होती है। निरंतर अपने खेल में सुधार लाना पड़ता है। पिच पर टिके रहना पड़ता है ताकि अधिक से अधिक रन बनाये जा सकें।’
गिल व शॉ समान आयु के हैं। अभी अधिक नुकसान नहीं हुआ है। गिल ने अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास किया है, जबकि शॉ ने ऐसा नहीं किया है। वह अब भी कर सकते हैं। उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी, वर्ना जबरदस्त प्रतिभा रखने का कोई लाभ नहीं है। गौरतलब है कि आईपीएल 2022 में छक्के मारने के संबंध में गिल 42 स्थान पर थे, लेकिन आईपीएल 2023 में वह और शिवम दूबे 33-33 छक्कों के साथ सिर्फ फाफ डू प्लेसी (36 छक्के) से पीछे हैं। (यह डाटा फाइनल मैच से पहले का है)। बल्लेबाज़ी ग्रिप में बदलाव (टॉप हैण्ड) करने के कारण ही गिल गेंद को स्टैंड्स में पहुंचा रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि गिल भारत व विश्व क्रिकेट के अगले सुपरस्टार हैं, लेकिन अभी वह ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ ही हैं और महानता की ओर बढ़ रहे हैं।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर