बच्चों के संग गुजारें प्यार भरे पल

अक्सर देखा गया है कि जो बच्चे पूरे दिन घर में बंद रहते हैं वे दब्बू हो जाते हैं। ऐसे बच्चे बड़े होकर निराशा का शिकार भी बनने लगते हैं। जो बच्चे मां-बाप की देख-रेख के बगैर अपनी मर्जी से समय गुजारते हैं, वे अपराधों की तरफ उन्मुख हो जाते हैं। इन सब बातों को नज़र में रखते हुए ज़रूरी है कि बच्चों को क्वालिटी टाइम ज़रूर दिया जाए।
महानगरों में ऐसे परिवार जहां माता-पिता दोनों काम पर जाते हैं, बच्चों का पालन और विकास एक बड़ी समस्या है। ऐसे घरों में छोटे बच्चे, ऑफिस टाइम में क्रच में पलते हैं, जहां वे मां के भावनात्मक प्यार से वंचित रहते हैं।  पढ़ने-लिखने लायक बच्चे या तो डे बोर्डिग में कैद रहते हैं या घर आकर अपनी मर्जी के मालिक बन जाते हैं। ये दोनों ही स्थितियां बच्चे के स्वाभाविक विकास के लिए खतरनाक हैं। खासकर वे बच्चे अपराधों की ओर उन्मुख होते हैं, जो अभिभावकों की अनुपस्थिति में अकेले घर में मनमर्जी से टीवी चैनल घुमाया करते हैं। दरअसल, इन बच्चों की समस्या है मां-बाप से अपने हिस्से का समय न  मिलना। 
 अक्सर मां-बाप अपनी रुचियों को बच्चों पर थोपने की कोशिश करते हैं। बच्चों में ऐसी जबर्दस्ती के खिलाफ एक स्वाभाविक विद्रोह जन्म ले लेता है। जहां अभिभावक बच्चों की दिलचस्पी पर ध्यान नहीं देते, वहां बच्चे भी उनकी अनसुनी करने लगते हैं। ऐसे में अगर उनकी रूचियों को जानकर रूचियों अनुसार रचनात्मक दिशा दे सकते हैं तो बच्चों के साथ बेहतर सामंजस्य बैठ सकता है। यदि उनकी रुचियां आपको ठीक न भी लगें तो भी उन्हें धीरे-धीरे बेहतर चीजों की तरफ मोड़ा जा सकता है। बच्चों को ऐसे खिलौने दिये जा सकते हैं, जो उनमें जिज्ञासा पैदा करें। धीरे-धीरे ऐसे रचनात्मक और ज्ञानवर्धक खिलौने उनकी रूचि का हिस्सा बन सकते हैं। यथासंभव उनकी इच्छाएं भी पूरी की जानी चाहिए। खासकर ऐसे बच्चों की जिनके मित्रों को बेहतर सुविधाएं मिल जाती हैं। ऐसे में उनके मन में कुंठा नहीं आएगी जो मित्रों से खुद की तुलना से पैदा होने लगती है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे जो सुविधाएं चाहते हैं, उन्हें पूरा पाने, न पाने की मज़बूरी से उनका कोई खास वास्ता नहीं। हां, इतना ध्यान रखा जा सकता है कि उसका अधिकांश समय अपने जैसे परिवेश वाले बच्चों और संबंधियों के साथ बीते। 
मनोचिकित्सकों का मानना है कि जिद बच्चों में तभी पनपती है जब निराशा और असफलता कुंठा के रूप में उनके नाजुक मन-मस्तिष्क पर प्रहार करती है लेकिन इन सारी समस्याओं का जो सीधा और सरल नुस्खा है, वह है बच्चों के साथ प्यार भरे पल बिताना। (उर्वशी)