सेहत, स्वाद और सम्पन्नता का स्रोत है कटहल का पेड़

भारत, दक्षिण एशिया तथा दक्षिण पूर्व एशिया का देशज पेड़ कटहल, धरती के किसी भी पेड़ पर लगने वाले सबसे बड़े फल का स्वामी है। मतलब यह है कि कटहल के पेड़ में लगने वाला कटहल का फल, दुनिया के किसी भी पेड़ में लगने वाला सबसे बड़ा फल है। कटहल का पेड़ हर अर्थ में बहुत फायदेमंद पेड़ है। कटहल का फल सेहत, स्वाद और सम्पन्नता का जबरदस्त स्रोत है। दुनियाभर के खाद्य वैज्ञानिक मानते हैं कि कटहल के पेड़ में दुनिया की भुखमरी मिटाने का जबरदस्त माद्दा है। कटहल पूरी दुनिया में अकेला ऐसा फल है, जिससे एक हजार प्रकार से भी ज्यादा खाद्य उत्पाद तैयार होते हैं। जबकि वैज्ञानिक मानते हैं कि अभी भी इसमें अनगिनत उत्पादों के खोजे जाने की संभावनाएं हैं। कटहल के पेड़ का वानस्पतिक नाम- एंटियारिस टोक्सिकारिया है। यह शाखायुक्त, सपुष्पक तथा बहुवर्षीय वृक्ष है। कटहल के फल में बाहरी सतह पर छोटे-छोटे कांटे होते हैं। कटहल के पेड़ की दुनियाभर में कई सौ प्रजातियां हैं, जिनमें दो किलो वजन से लेकर 60-65 किलो वजन तक के कटहल के फल लगते हैं।
भारत में यह केरल और तमिलनाडु का राज्य फल है। केरल और तमिलनाडु के अलावा यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, बिहार, बंगाल, उड़ीसा में भी अच्छी खासी मात्रा में पैदा होता है। कटहल को शाकाहारी लोगों का मटन/चिकन कहा जाता है। कटहल से सैकड़ों किस्म की स्वादिष्ट सब्जियां बनती हैं, अचार बनते हैं, मिठाईयां बनती हैं और यह बिना कुछ बनाये यूं भी बड़े चाव से खाया जाता है। पका कटहल बहुत मीठा और स्वादिष्ट होता है। जहां तक कटहल में पाये जाने वाले पोषक तत्वों की बात है तो इसमें विटामिन सी, पोटेशियम, आहार फाइबर तथा खनिजों का भंडार होता है। कटहल के फल का गूदा शानदार, उपयोगी और स्वादिष्ट तो होता ही है, इसके बीज भी बहुत फायदेमंद, लजीज और पोषक तत्वों से भरे होते हैं।
भारत में बहुत से लोगों के लिए यह मांस का विकल्प है। कटहल के फल की जहां खाने में इतनी ज्यादा उपयोगिता है, वहीं इसकी औषधीय उपयोगिता भी बहुत है। कई ऐसी बीमारियों हैं, जिनमें कटहल खाने से फायदा होता है। कैंसर जैसे रोग में भी कटहल का सेवन करने से फायदा होता है। कटहल की सब्जी या कटहल के किसी भी तरह के उत्पाद नियमित रूप से सेवन करने पर हृदय स्वस्थ रहता है, प्रतिरक्षा प्रणाली बेहतर होती है, पाचन मजबूत होता है, शरीर में खून की कमी दूर होती है। हड्डियां स्वस्थ होती हैं, थायराइड की आशंका कम होती है और मधुमेह में कटहल का उपयोग फायदेमंद होता है। 
वास्तव में कटहल एक ट्रोपिकल या ऊष्णकटिबंधीय फल है, जो मुख्य रूप से दक्षिण और पश्चिम भारत में बड़े पैमाने पर पाया जाता है। कटहल के फल का वैज्ञानिक नाम आर्टोकार्पस हेटेरो फिल्लस है। कटहल का फल पकने पर बहुत मीठा और स्वादिष्ट होता है, पकने के बाद इसके अंदर का गूदा हल्का पीला और गुलाबी हो जाता है। इसे हर उस देश के लोग बड़े चाव से खाते हैं, जहां कटहल पैदा होता है। कटहल के फल में सैकड़ों स्वास्थ्यवर्धक तत्व पाये जाते हैं। पाचनतंत्र के लिए कटहल बहुत अच्छा होता है, क्योंकि इसमें फाइबर का बहुत ही सम्पन्न स्रोत होता है। कटहल में बड़ी मात्रा में आयरन होता है, इसलिए यह एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद होता है। यह हड्डियों को मजबूत इसलिए बनाता है; क्योंकि इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है। कटहल कॉपर का भी एक अच्छा स्रोत है। यह ब्लड प्रेशर भी काबू में रखता है, वजन कम करता है। आंखाें की रोशनी को बेहतर करता है और नियमित होने वाले सिरदर्द से भी निजात दिलाता है। 
इस सबके साथ कटहल का पेड़ किसानों की आर्थिक आय बढ़ाने में भी बहुत मददगार है। एक मझोले कद का कटहल का पेड़ हर साल 10 से 12 कुंटल कटहल के फल पैदा करता है, बशर्ते उस पेड़ को भरपूर खाद, पानी और स्वच्छ वातावरण मिला हो। 10 से 12 कुंटल कटहल आमतौर पर 16 से 20 हजार रुपये के बिकते हैं। अगर किसी किसान के पास एक एकड़ में 20 से 25 मझोले कद के कटहल के पेड़ हों, तो वह हर साल इनसे 6 से 8 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकता है। इस तरह देखें तो कटहल का फल जहां हमें हजारों तरह के स्वाद देता है, वहीं इसकी पैदावार से कोई भी सजग किसान कुछ ही सालों में जबरदस्त आर्थिक उन्नति कर सकता है। कटहल के पेड़ को कम खेती वाले किसानों को अपनी आय सुधारने के लिए लगाना चाहिए, लेकिन इसकी नियमित देखभाल की ज़रूरत होती है। अगर यह सब कर लिया जाए तो कटहल का पेड़ न सिर्फ हमें लजीज व्यंजनों से भरपूर रखता है बल्कि इससे अच्छी खासी कमाई भी होती है। इसलिए कटहल का पेड़ किसानों के लिए हर लिहाज से बहुत फायदेमंद पेड़ है।


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