घटिया और नकली दवाओं से बिगड़ रही है सेहत

सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद देश में घटिया और नकली दवाओं पर पूरी तरह लगाम नहीं लगाई जा सकी है जिसके कारण देश के लाखों लोगों की सेहत सुधरने के बजाय बिगड़ रही है। भारत में नकली, घटिया और अवैध दवाओं का धंधा तेज़ी से फैल रहा है जिसकी वजह से रोगियों की जान जोखिम में है। विशेषज्ञों के मुताबिक जो दवाएं धोखाधड़ी से निर्मित या पैक की गई हैं, उन्हें नकली और घटिया दवाएं कहा जाता है क्योंकि उनमें या तो सक्रिय अवयवों की कमी होती है या गलत खुराक होती है। नकली दवाओं के काले कारोबार पर पुलिस और सरकारी एजेंसियों की छापेमारी की खबरें आये दिन मीडिया की सुर्खियां बनती हैं। अनेक बार लाखों करोड़ों रुपयों की घटिया दवाएं खपत होने के बाद सरकारी एजेंसियों की नज़र में आती हैं। ऐसा भी देखा जाता है जब तक इन दवाओं की घटिया होने की रिपोर्ट आती है तब तक ये बाज़ार में बिक चुकी होती है। देश की राजधानी दिल्ली भी घटिया दवाओं के सरेआम इस्तेमाल से अछूती नहीं है। हाल ही में दिल्ली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जा रही खराब गुणवत्ता की दवाओं की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की सिफारिश की गई। उप-राज्यपाल ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि निजी और सरकारी लैब में टैस्ट की गईं ये दवाएं अच्छी गुणवत्ता की नहीं निकलीं। उन्होंने कहा कि ये दवाएं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लाखों मरीज़ों को दी जाती रही हैं। इससे पूर्व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में कैंसर और लीवर की नकली दवा की बिक्री को लेकर अलर्ट जारी किया था। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ  इंडिया ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग कंट्रोलर को दो दवाओं, लीवर की दवा डिफि टेलियो और कैंसर की दवा एडकेट्रिस (इंजेक्शन) के नकली वर्जन की बिक्री और सप्लाई पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिये। 
एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक मात्रा में दवाइयां बनाने में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। देश में सबसे तेज गति से बढ़ रहे इस कारोबार के 55 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के साथ ही नकली और घटिया  की दवाओं का अवैध कारोबार भी बढ़ रहा है जिससे लोगों की जान पर खतरा बढ़ता जा रहा है। एसोचैम ने अपनी एक रिपोर्ट में देश में बनने वाली कुल दवाओं का 25 प्रतिशत नकली और खराब गुणवत्ता वाली दवाएं बनने और बिकने का खुलासा किया था जो विश्व की कुल नकली दवाओं का 35 प्रतिशत है। देश में नकली और घटिया दवाओं की बाढ़ आ गई है। आये दिन देश के विभिन्न भागों में घटिया और अमानक दवाएं पकड़ी जा रही हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित विभिन्न देशों में नकली दवाओं का कारोबार लगभग तीस अरब डॉलर तक पहुंच गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत नकली दवाओं का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार है। भारत में 25 फीसदी के लगभग दवाइयां नकली हैं।
दवाई की खरीद करते समय पूरी सावधानी और सतर्कता बरतते हुए दवाइयों की जांच की जानी चाहिए और दवाइयों को डॉक्टर को एक बार ज़रूर दिखाया जाना चाहिए, क्योंकि इन दिनों बाज़ार में घटिया दवाइयां को असली बता कर खुलेआम बेचा जा रहा है। देश में हर बीमारी के लिए नकली दवाएं उपलब्ध हैं। इन नकली दवाओं की पहचान करना आम जन के लिए बेहद मुश्किल या लगभग असंभव है। हमारे देश में अंग्रेज़ी दवाइयों ने घर-घर में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है। जिसे देखो अंग्रेज़ी दवाइयों के पीछे भागता मिलेगा। सामान्य बीमारियों से लेकर असाध्य बीमारियों की दवा आज घरों में मिल जाएगी। इनमें चिकित्सकों द्वारा लिखी दवाइयों के अलावा वे दवाइयां भी शामिल हैं जो मेडिकल स्टोर्स से बीमारी बताकर खरीदी गई हैं अथवा गूगल से खोजकर निकाली गई हैं। ये दवाइयां असली हैं या नकली यह भी आम लोगों को मालूम नहीं है। घटिया न नकली दवाइयों का बाज़ार आजकल खूब फूलफूल रहा है। इन दवाइयों के सेवन से साधारण खांसी बुखार और जुखाम को ठीक होने में एक पखवाड़ा या महीना लग जाता है। इसके बावजूद ऐसी दवाइयां खरीदने में लोगों को कोई हिचकिचाहट नहीं हो रही है। 
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