चिंता का विषय

विगत कुछ दिनों से हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा होने के कारण हर पक्ष से जो बड़ा नुकसान हुआ है, उसकी पूर्ति की जानी बहुत मुश्किल है। इन बारिशों के कारण पहाड़ों से तोंदे गिरने के कारण, घरों के ढहने और बाढ़ में बहुत कुछ बह जाने के कारण स्थिति हाथ से बाहर होते दिखाई देती है। हिमाचल प्रदेश की बहुत सारी सड़कों पर यातायात पूरी तरह से बंद हो गया है। ढह गये घरों के मलबे के नीचे बहुत सारे लोग दबे होने की आशंका प्रकट की जा रही है। इस भारी वर्षा के कारण शिमला, कुल्लू, मनाली से लेकर हिमाचल प्रदेश के बहुत सारे हिस्सों में इसका असर हुआ है। इसके साथ ही उत्तराखंड में भी बारिश से भारी नुकसान होने की खबरें मिल रही हैं। बड़ी चिंता की बात यह है कि शिमला, सोलन, किन्नौर और लाहौल स्पिति के बहुत से इलाके इसकी चपेट में आये हुए हैं। 
इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि भाखड़ा बांध की गोबिंद सागर झील में भी पानी लगातार बढ़ता जा रहा है। यह लगभग खतरे के निशान पर पहुंच चुका है। इसके कारण शायद बांध के फ्लड गेट खोलने के बिना और कोई चारा भी नहीं रहा था। इधर से सतलुज और दूसरी तरफ ब्यास के पोंग डैम में भी पानी का स्तर खतरनाक सीमा पर पहुंच जाने पर इसके फ्लड गेट खोले गये हैं, जिसके कारण इन नदियों के साथ लगते बहुत से इलाकों में पानी घुस चुका है। पोंग डैम से पानी छोड़ने के कारण कई स्थानों पर धुस्सी बांध टूट गये हैं, जिसके कारण पानी ने बहुत से इलाकों में अपनी मार करनी शुरू कर दी है। प्रशासन द्वारा यत्न करने के बावजूद यह पानी किसी भी तरह से रुकता नज़र नहीं आ रहा। लोगों ने एक बार फिर प्रभावित इलाकों में घरों में से निकलना शुरू कर दिया है, जिससे 1988 में आई बाढ़ के साथ हुई तबाही के मंज़र फिर याद आने लगे हैं। हिमाचल प्रदेश ने अब तक का जायज़ा लेकर हुए नुकसान का आंकड़ा 7200 करोड़ रुपये बताया है लेकिन पंजाब में हाल की घड़ी में ऐसा अनुमान दस हजार करोड़ का लगाया गया है। बहुत से संगठनों और राजनीतिक पार्टियों ने इस स्थिति में पंजाब सरकार की कारगुजारी के बारे में सख्त एतराज़ करने शुरू कर दिये हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री भगवंत मान इस बाढ़ को लेकर जिस प्रकार की बयानबाज़ी करते रहे हैं, उसको देखते हुए सरकार की बड़ी ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वह तुरंत बड़ी संख्या में प्रभावित हुए लोगों की सुधि लें, और हुई तबाही के लिए उनकी भरपाई करे। मुख्यमंत्री ने तो बार-बार ये बयान भी दिए हैं कि राहत कार्यों और नुकसान की पूर्ति के लिए सरकार के पास फंडों की कोई कमी नहीं है।
चाहे पंजाब के संबंधित अधिकारियों ने हो रहे नुकसान की लिखित रिपोर्टें केन्द्र सरकार को भेजी हैं लेकिन मुख्यमंत्री ने फिर यह कहा है कि वह केन्द्र से पैदा हुए ऐसे हालात के साथ निपटने के लिए भीख नहीं मांगेंगे, जबकि दूसरे विपक्षी दलों के नेता लगातार यह दुहाई दे रहे हैं कि मुख्यमंत्री को इस संबंधी स्वयं केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री के साथ सम्पर्क करना चाहिए और स्वयं केन्द्रीय नेताओं के पास इस मुसीबत की घड़ी में भेंट करने के लिए जाना चाहिए, ताकि पंजाब के लगातार हो रहे नुकसान की ठीक ढंग से भरपाई के लिए केन्द्र से सहायता ली जा सके। परन्तु इस संबंधी अभी तक भी मुख्यमंत्री द्वारा ऐसी संजीदगी नहीं दिखाई जा रही, जिससे कि यह प्रभाव बन सके कि वह आगामी दिनों में इस बाढ़ का मुकाबला करने के लिए सबको साथ लेकर अच्छी योजनाबंदी कर सकेंगे। ऐसी परिस्थिति में पंजाब के और भी संकटग्रस्त होने की सम्भावना बनती नज़र आ रही है, जो सबके लिए चिंता का विषय होनी चाहिए।
            —बरजिन्दर सिंह हमदर्द