आशीर्वाद की आवश्यकता

बापू की आत्मा स्वर्ग में ही न भटकटी फिरे, इसलिए सोम-रस की बिक्री की सुविधाओं की बढ़ौतरी कर दी गई है। पूर्व-प्रथा के अनुसार नीलामी के ठेकों के अतिरिक्त नगर-नगर लायसेंसशुदा पब/अहाते भी खोल दिए गए हैं। इनमेस्वदेशी एवं विदेशी-दोनों तरह की सोम-रस की सप्लाई की जा रही है। बापू ने स्वदेशी का नारा दिया था, इसलिए हमने उनकी शान्ति के लिए विदेशी वस्तुओं एवं ‘टैक्नालॉजी’ का बढ़े पैमाने पर आयात कर लिया है। राम-धुन को भी हम डिस्को की तज़र् पर गाने लगे हैं ताकि भक्ति-रस पिछड़ा न रह जाए।
सोम-रस की वकालत करने वालों का कथन है कि यह एक अत्यन्त प्राचीन उपलब्धि है। हमारी यह धरोहर देव और असुर-दोनों का ही प्रिय सेवन था। यह हमारी प्रगति की यात्रा-गाथा है , यह जीवन अमृत है। मानसिक परेशानियों के लिए राम-बाण ओषधि है। निम्न-वर्ग के लिए टॉनिक है और उच्च-वर्ग के लिए ‘स्टेटस-सिम्बल’ है ; विवाह-शादियों के लिए एक ‘कल्चर’ है ; चुनाव प्रत्याक्षी के लिए ‘वोट-बैंक’ है, वोटर के लिए नोट है। व्यवसायी के लिए उठाव है, नौकरी-पेशा के लिए उन्नति का सोपान है और समय काटने वालों के लिए पड़ाव है। नेता के लिए भाषण है, सरकार के लिए राजस्व है। सुरा आत्मा की आवाज़ को बल प्रदान करती है और मानव की ज्ञानेन्द्रियों को ताज़ा हवा प्रदान करती है। गोया कि ग्रहणीय है।
बापू के दिखलाए सन्मार्ग पर हम बाकायदा चल रहे हैं। उनकी लाठी का खुलकर प्रयोग करते हैं। पूरा देश लाठीमय हो गया है और जिसको मौका लगता है, वह दूसरे की पीठ पर लाठी का वार कर देता है। इससे सद्भावना बनाए रखने में सहायता मिलती है। इस आग में घी डालने का कार्य हमारा पड़ोसी भी करता रहता है और हम आर-पार की लड़ाई लड़ने का ‘लॉली-पॉप’ जनता को देते रहते हैं। 
सादगी को हमने पूर्णतया अपना लिया है। विवाह-शादियों पर बस लाखों रुपयों की सजावट करने और सुरा को ‘सर्व’ करने के अतिरिक्त कुछ नहीं करते। दहेज की बलि-वेदी पर चढ़ने का कुछ नव-विवाहिताएं बिना वजह ही प्रयोग करती रहती हैं। हम खादी को टैरालीन से भी महंगा बेच रहे हैं ताकि उसकी विशिष्ठता बनी रहे। इसे फैशन का एक अंग बना दिया गया है। बापू के तीनों बन्दर समय-समय पर हमारे लिए दिशा-निर्देश का पुण्य कार्य करते रहते हैं। भ्रष्टाचार और अनाचार को अब हम देखते नहीं ; आत्मा की आवाज़ को हम सुनते नहीं और मिथ्या के सिवाय कुछ कहते नहीं हैं। समय-समय पर हमारे नेतागण अपनी ओजपूर्ण वाणी से देश में फैली अराजकता की हवा को शुद्धि प्रदान करने का नेक कार्य करते रहते हैं। कुल मिलाकर देश लयमय चल रहा है और प्रगति की ओर इस तेज़ी से अग्रसर हो रहा है कि ट्रेनें भी पटरी से उतर कर दौड़ने लगी हैं।
यदा कदा हम जब अपने-आपको राह से भटका हुआ अनुभव करते हैं या कोई अनिष्ट समझ बैठते हैं, तब बापू की समाधि पर जाकर पश्चाताप के घड़ियाली आंसू बहाकर उसे पवित्र कर आते हैं। दो अक्तूबर और तीस जनवरी को बिना भूले हम राम-धुन गाते हैं। हमने निर्यात करने के लिए कुछ स्वदेशी माल का भी भण्डारण कर लिया है। सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक विसंगतियों, दोहरी मानसिकता, अवसरवादिता, स्कैमों की फसल आदि हमारे प्रमुख उत्पाद हैं, जिनके लिए हमें विदेशी मण्डी की तलाश है। बस बापू आपके आशीर्वाद की आवश्यकता हमें बनी रहेगी!

2698, सैक्टर 40-सी, चण्डीगढ़-160036
मो-9417108632