संगीत क्या है ?

‘दीदी, संगीत कई प्रकार का होता है- जैसे शास्त्रीय, सुगम, वेस्टर्न, पॉप, जाज़ आदि। लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि वास्तव में खुद संगीत क्या है?’
‘तुम्हारे सामने जो लकड़ी की मेज़ रखी है, उस पर अगर तुम अपना हाथ मारोगे तो क्या होगा?’
‘ध्वनि या साउंड निकलेगी।’
‘अब अगर तुम मंदिर की घंटी पर हाथ मारोगे तो क्या होगा?’
‘उससे भी साउंड ही उत्पन्न होगी।’
‘यह जो दूसरे किस्म की साउंड है, उसे टोन कहते हैं। टोन एकल संगीत ध्वनि होती है।’
‘ठीक। फिर संगीत क्या हुआ?’
‘अनेक टोन्स को साउंड के अर्थपूर्ण पैटर्न में व्यवस्थित करने की कला को संगीत कहते हैं। कभी कभी संगीत की भाषा हमसे इस तरह बोलती है कि टोन्स एक के बाद एक मेलोडी में सुनायी देती हैं या टोन्स एक साथ हारमनी में भी एक साथ साउंड कर सकती हैं।’
‘अगर टोन्स एक दूसरे से टकरा जायें तो?’
‘इसे डिस्सोनंस या बेसुरापन कहते हैं। लेकिन यह टकराव भी अक्सर अर्थ से भरा होता है। जिसे हम मेलोडी कहते हैं उसमें मायने टोन्स के ऊपर उठने या नीचे गिरने या सीधे आगे बढ़ने से आते हैं। इसमें बीट्स की रिदम, उसकी स्पीड या टेम्पो और कोई पल कितना ज़ोर का या कोमल है से भी अर्थ आता है।’
‘आपकी यह बातें तो बहुत टेक्निकल या मैकेनिकल लग रही हैं। संगीत का आनंद लेने के लिए इन्हें सोचना या समझना ज़रूरी नहीं है।’
‘तुम सही कह रहे हो। संगीत का हमारे लिए क्या अर्थ है उसे अक्सर शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। हम महसूस कर सकते हैं संगीत खुशी या उदासी, उल्लास, कोमलता, प्रेम, गुस्सा, गज़र् यह कि हर प्रकार की चीज़ें व एहसास व्यक्त करता जो अकेले शब्द कभी नहीं कर सकते।’ ‘जी, संगीत का आनंद तो केवल उसकी सुंदरता के लिए भी लिया जा सकता, न कि वह क्या कह रहा है। हमें मज़ा आवाज़, वायलिन, हॉर्न या किसी अन्य साज़ की एकल टोन में भी आ सकता।’ ‘हां। एक सुंदर मेलोडी को वर्षों तक सुना जा सकता है और हर बार उसका मज़ा लिया जा सकता है। सिम्फनी हो या लोक संगीत या फिर ऑपेरा, हर किसी का अपना अलग ही आनंद है।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर