बॉलीवुड फिल्मों जैसी है  शशि-जेनिफर की प्रेम कथा

भारत सहित दुनिया के सभी फिल्मोद्योगों में संबंध, प्रेम व विवाह के रिश्ते अस्थायी अधिक हैं यानी बड़े पर्दे पर जो जन्म जन्म साथ की कहानियां दिखायी जाती हैं, वह सिनेमा संसार में अक्सर वास्तव में नहीं होतीं। रील लाइफ रियल लाइफ से एकदम भिन्न है। लेकिन अपवाद तो हर जगह होते हैं। शशि कपूर और जेनिफर केंडल की प्रेम कहानी व शादी ऐसी ही एक मिसाल है जो वक्त की कसौटी पर इतनी खरी उतरी है कि एकदम फिल्मी प्रतीत होती है और यह इतनी दिलचस्प है कि इस पर तो किसी को फिल्म बनानी चाहिए; वैसे भी आजकल वास्तविक घटनाओं पर फिल्में बनाना फैशन में है। उनकी यह प्रेम कहानी सिर्फ दो व्यक्तियों का अफसाना नहीं है बल्कि साझा सपनों, आपसी सम्मान और हर तूफान का सामना करने वाले स्थायी बांड का जश्न है। 
यह एक ऐसी प्रेम कथा है जिसमें न उम्र का कोई बंधन था और न धर्म की कोई सीमा थी, केवल प्यार और प्यार ही था। अभिनेता व निर्माता शशि कपूर का जन्म 18 मार्च 1938 को कोलकाता में बलबीर राज पृथ्वीराज कपूर के रूप में हुआ था। वह राज कपूर व शम्मी कपूर के छोटे भाई थे। कपूर खानदान की भारतीय फिल्मोद्योग पर अमिट छाप है। जेनिफर केंडल का जन्म 28 फरवरी 1933 को साउथपोर्ट, इंग्लैंड में हुआ था, एक ऐसे परिवार में जिसकी जड़ें थिएटर संसार में गहरी उतरी हुई थीं। जेनिफर के पिता जैफरी केंडल थिएटर ग्रुप शेक्सपियराना के मालिक थे और वह भारत में भी अपने ग्रुप के शोज़ किया करते थे। शशि कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर पृथ्वी थिएटर के मालिक थे और वह भी देशभर में अपने ग्रुप के शोज़ किया करते थे। शशि कपूर अपने पिता के पृथ्वी थिएटर में अभिनेता व सहायक मंच प्रबंधक की दोहरी भूमिका निभाया करते थे, जबकि जेनिफर भी अपने पिता के शेक्सपियराना थिएटर में स्थापित अभिनेत्री थीं। 
बहरहाल, हुआ यह कि 1956 में जब दोनों पृथ्वी थिएटर व शेक्सपियराना थिएटर कलकत्ता (अब कोलकाता) में थे दोनों के बीच साथ मिलकर शोज़ करना तय हुआ। इस तरह शशि कपूर और जेनिफर की पहली मुलाकात हुई। यह कलकत्ता के एम्पायर थिएटर की बात है। जिस समय पृथ्वी थिएटर परफॉर्म कर रहा था, तो शेक्सपियराना थिएटर के कुछ लोग, जिनमें जेनिफर भी थीं, दर्शकों में बैठे हुए थे। जनता की प्रतिक्रिया जानने के लिए शशि कपूर ने पर्दे के कोने से झांक कर देखा तो उनकी नज़र एक सुन्दर लड़की पर पड़ी, जो उन्हें रूसी प्रतीत हुई। उन्होंने जानने की कोशिश की कि वह लड़की कौन है, तो मालूम हुआ कि वह जेनिफर है और रुसी नहीं बल्कि अंग्रेज़ है। शशि कपूर मन ही मन उससे प्रेम करने लगे। लेकिन इतना साहस न जुटा सके कि जाकर उससे कुछ बात कर सकें; क्योंकि उस समय तक उन्होंने अपने परिवार व ग्रुप की महिलाओं को छोड़कर किसी लड़की से बात तक नहीं की थी। 
अपने एक कजन के सहारे वह वहां तक तो पहुंच गए जहां जेनिफर ठहरी हुई थीं, उनके पिता जैफरी केंडल से बात भी हुई, लेकिन मुलाकात की उस पूरी अवधि के दौरान जेनिफर ने उन्हें आंख उठाकर तक नहीं देखा। शशि कपूर बहुत निराश हुए। उनका दिल टूटने ही वाला था कि अगले दिन जेनिफर ने उन्हें अपना नाटक देखने के लिए आमंत्रित किया और इस प्रकार दोनों की मुलाकातों का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें अक्सर चार आने की पूरी कचौरी का लंच हुआ करता था; क्योंकि शशि कपूर की मामूली आमदनी इसी की ही अनुमति देती थी। मुलाकातों के बावजूद शशि कपूर अपने प्रेम का इज़हार नहीं कर पा रहे थे, तो बड़े भाई शम्मी कपूर ने हस्तक्षेप किया और जेनिफर को माता-पिता से मिलाने के लिए कहा। कपूर खानदान तो ‘फिरंगी’ बहू के लिए सहमत हो गया, लेकिन जैफरी केंडल नहीं माने और उन्होंने दो वर्ष के लिए बात टाल दी। जेनिफर के करीब रहने के लिए शशि कपूर शेक्सपियराना थिएटर में काम करने लगे, लेकिन दो साल बाद भी जैफरी केंडल ने इंकार ही किया, वह अपने थिएटर की नायिका को खोना नहीं चाहते थे। इस बार जेनिफर अड़ गईं। उन्होंने शशि कपूर से कहा कि वह वयस्क हैं और अपना फैसला स्वयं कर सकती हैं। फलस्वरूप दोनों ने परम्परागत तरीके से बॉम्बे (अब मुंबई) में जुलाई 1958 को शादी कर ली। केंडल दंपत्ति ने विवाह में हिस्सा नहीं लिया।
जेनिफर के जीवन में आते ही शशि कपूर की नौका फिल्म संसार में और थिएटर की दुनिया में तेज़ी से चलने लगी। हालांकि बीच-बीच में खराब दिन भी आए जब शशि कपूर के पास कोई काम नहीं था, लेकिन कामयाबी और खुशी के दिन अधिक थे, खासकर इसलिए कि करण, कुणाल व संजना के जन्म से जेनिफर व शशि कपूर का संसार पूर्ण हो चुका था। जेनिफर न केवल घर, पृथ्वी थिएटर को देखतीं बल्कि शशि कपूर की डाइट का भी ख्याल रखतीं ताकि उनका शरीर फिल्मों के लायक बना रहे; क्योंकि कपूर खानदान में शरीर फूलने की बीमारी है। जेनिफर ने शशि कपूर से कभी कोई बात नहीं छुपाई, सिर्फ अपने कैंसर की बात को छोड़कर, जिसके कारण उनका 7 सितम्बर, 1984 को निधन हो गया। अपनी बीमारी के कारण शशि कपूर का फिल्मों में काम करना तो 1999 में ही बंद हो गया था, लेकिन उन्होंने थिएटर में अपनी दिलचस्पी को कभी कम नहीं होने दिया, केवल जेनिफर की वजह से। उन्होंने अपने घर में कुछ नहीं बदला क्योंकि उसमें जेनिफर की याद बसी थी, जिनकी उपस्थिति वह हर पल महसूस करते थे, इसलिए व्हीलचेयर पर बैठे हुए अपना सारा दिन अपने घर में ही गुज़ारते थे और उस पल को याद करते थे जब उन्होंने पहली बार जेनिफर को दर्शकों में स्कार्फ व भारी इयर रिंग्स पहने हुए देखा था। लम्बी बीमारी के बाद जेनिफर की यादों को अपने दिल में समाये शशि कपूर 79 वर्ष की आयु में 4 दिसम्बर, 2017 को इस दुनिया से रुखसत हो गये।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर