भारत के साथ मज़बूत संबंधों के पैरोकार थे हेनरी किसिंजर

सौ वर्ष की लम्बी और परिपक्व ज़िंदगी जीने वाले अमरीका के विवादित राजनेता, सूझवान कूटनीतिक और पूर्व विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर का बुधवार को निधन हो गया। हेनरी किसिंजर की ज़िंदगी की शख्सियत जितनी बड़ी है, उतनी ही विवादित और चर्चित उनकी विरासत है। अमरीका के राष्ट्रपति न बनने के बावजूद इस अकेले व्यक्ति ने अमरीकी विदेश नीति को जितना प्रभावित किया है, शायद ही किसी अन्य राजनेता ने किया हो। 
उन्हें 1970 के दशक में भारतीय नेतृत्व के प्रति उनकी उपेक्षा और उदासीनता के लिए जाना जाता है। यहां तक कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए नस्लीय और असंसदीय शब्दों तक का इस्तेमाल किया था। अक्तूबर 1974 में भारत की पहली यात्रा से लेकर मार्च 2012 में भारत की यात्रा के बीच उन्होंने वैश्विक मंच पर हिंदुस्तान के बढ़ते कद को पहचान लिया था और वह पिछले एक दशक से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अमरीका और भारत के मजबूत संबंधों की वकालत कर रहे थे।
सत्तर के दशक की शुरुआत से अमरीका-चीन संबंधों को आकार देने में अहम भूमिका निभाने वाले किसिंजर का बुधवार को कनेक्टिकट में उनके आवास पर निधन हो गया। उनकी परामर्श कंपनी ‘किसिंजर एसोसिएट््स’ ने यह जानकारी दी। हालांकि मृत्यु का कारण नहीं बताया। भारत के साथ उनके संबंध 1970 के दशक में तनावपूर्ण हो गए थे जब वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश मंत्री के रूप में तत्कालीन अमरीकी प्रशासन में थे। लेकिन चीन की ओर रुख करने से पहले उनकी पहली प्राथमिकता भारत को लेकर थी। 
सितम्बर 2020 में ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने व्हाइट हाउस टेप के गोपनीयता के दायरे से बाहर किए गए तत्कालीन नए भंडार पर आधारित एक लेख प्रकाशित किया जिसमें 1970 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसिंजर द्वारा अपनाए गए ‘पक्षपातपूर्ण रवैये के चौंकाने वाले सबूत’ प्रदान किए गए थे। टेप के अंश में बताया गया है कि निक्सन के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए किसिंजर ने कैसे उन्हें समझाया : ‘वे (भारतीय) बहुत मंझे हुए चापलूस हैं, राष्ट्रपति महोदय! ये चापलूसी में माहिर होते हैं। वे गूढ़ चापलूसी में माहिर होते हैं। इसी तरह वे 600 वर्षों तक जीवित रहे। वे जी हुजूरी करते हैं- उनकी सबसे बड़ी खूबी महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों की खुशामद करना है।’ वाशिंगटन में निक्सन, किसिंजर और राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ के बीच 5 नवम्बर, 1971 को हुई बातचीत के सार्वजनिक टेप से पता चला कि निक्सन और किसिंजर दोनों ने बार-बार इंदिरा गांधी के लिये एक खास अपशब्द का इस्तेमाल किया। मार्च 2012 में एक मीडिया कॉन्क्लेव में भारत में इस मुद्दे पर किसिंजर ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का जिक्र करते हुए असंसदीय भाषा के अपने इस्तेमाल का बचाव करते हुए कहा, ‘मैं दबाव में था और मैंने आवेश में आकर ये टिप्पणियां कर दीं। लोगों ने उन टिप्पणियों को संदर्भ से बाहर करके देखा।’ उस समय खबरों के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा कि उनके मन में इंदिरा गांधी के लिए बेहद सम्मान है। 
तत्कालीन भारतीय नेतृत्व के साथ हालांकि बहुत अच्छे संबंध नहीं होने के बावजूद 1972 की शुरुआत में किसिंजर ने भारत और जापान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की वकालत की थी। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध अभिलेखीय राजनयिक वार्तालापों से इसका पता चलता है। एक अन्य ‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) कार्यक्रम में बोलते हुए, उस समय 96 वर्ष के रहे किसिंजर ने कहा था कि बांग्लादेश संकट ने दोनों देशों को ‘टकराव के मुहाने’ पर धकेल दिया था। अमरीकी विदेश विभाग द्वारा अब गोपनीयता के दायरे से बाहर किए जा चुके कुछ दस्तावेजों के अनुसार 16 दिसम्बर, 1971 को बांग्लादेश के अलग देश बनने के बाद तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति निक्सन को किसिंजर ने बताया था कि उन्होंने ‘पश्चिम पाकिस्तान को बचा लिया।’
अक्तूबर 1974 में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। इसके कुछ महीनों बाद किसिंजर ने इंदिरा गांधी से मुलाकात की और तत्कालीन राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड से कहा कि इंदिरा गांधी को मजबूरी में अमरीका की आलोचना करनी पड़ी होगी। लेकिन उन्होंने साथ ही वाशिंगटन द्वारा भारत को ‘दुनिया में एक महत्वपूर्ण देश’ के रूप में मान्यता देने के बाद ‘अधिक सम्मान’ आधार पर भारत-अमरीका संबंधों में सुधार की इच्छा व्यक्त की थी।
वर्ष 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पूर्व अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसिंजर भारत के साथ मजबूत संबंधों की वकालत कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी अमरीका यात्रा के दौरान उनके साथ कुछ बैठकें की थीं। जब मोदी इस साल जून में आधिकारिक राजकीय यात्रा पर अमरीका पहुंचे थे तो किसिंजर सेहत ठीक नहीं होने के बावजूद उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की संयुक्त मेजबानी में विदेश विभाग में आयोजित समारोह में मोदी का भाषण सुनने के लिए वाशिंगटन तक आए थे। किसिंजर को तब विदेश विभाग के फॉगी बॉटम मुख्यालय में सातवीं मंजिल पर स्थित ऐतिहासिक बेंजामिन फ्रेंकलिन रूम तक व्हीलचेयर पर लाया गया। 

(अजीत ब्यूरो)