समुद्र में अलग पहचान रखता है  समुद्री घोड़ा

समुद्र में पाए जाने वाले अत्यंत दिलचस्प जीवों में से ‘समुद्री घोड़ा’ एक बहुत ही अलग जीव है। यह वास्तव में समुद्र में मौजूद मछलियों की ही एक प्रजाती है। जीव वैज्ञानिक अब तक इस जीव की 46 प्रजातियों की खोज कर चुके हैं। ‘हिप्पोकैंपस’ के वैज्ञानिक नाम से जाने जाते इस जीव का सिर और गर्दन क्योंकि थल क्षेत्र में पाए जाते घोड़े के साथ बहुत मेल खाते आकार और शक्ल जैसे हैं, इसलिए इसको ‘सी हारस’ भाव ‘समुद्री घोड़ा’ कहा जाता है।
इस समुद्री घोड़े की विशेषता यह है कि जहां कई मछलियां लेटने के आकार में तैरती हैं, वहीं यह मछलियां खड़े होकर तैरती हैं। इस तरह करने में इनकी पीठ पर मौजूद ‘डारसल फिन’ नामक अंग इनकी मदद करता है। इस मछली का आकार 1.5 सैंटीमीटर से लेकर 35 सैंटीमीटर तक हो सकता है। इस गज़ब प्राणी की गोल घूमने वाली पूंछ इसको अपने आस-पास की वस्तुओं को पकड़ने में मदद करती है। इसकी चमड़ी में मौजूदा ‘क्रोमैटोफर’ नामक सैलों के कारण यह ज़रूरत अनुसार अपना रंग बदल सकती है। इसका और इस प्रकार के अन्य जीवों का यह गुण इनको हमलावर शिकारियों से अपनी जान बचाने और अपने भोजन रूपी शिकार पर हमला करने में सहायक होता है। इस विशेष जीव में एक और खास गुण यह है कि अपने दुश्मन से बचने के लिए यह आगे, पीछे, ऊपर और नीचे यानि हर तरफ गति करने में समर्थ होता है।
इस समुद्री घोड़े की एक विलक्षणता यह भी है कि इसकी दोनों आंखें एक ही समय दो अलग-अलग दिशाओं में देख सकती है भाव एक आंख दाईं तरफ और दूसरी बाईं तरफ देख सकती है। ऐसा करने से यह जीव अपने चारों तरफ हो रही घटनाओं पर नज़र रख सकता है। प्रकृति की यह अनोखी रचना का एक सबसे विलक्षण गुण इस भी है कि इस प्रजाती की मादा प्राणी अपने अंडे पानी में या किसी थल भाग पर जाकर नहीं रखता है बल्कि यह अपने अंडों को नर प्राणी की पूंछ के नीचे बनी एक विशेष थैली में रख देता है और वह नर ‘सी हॉर्स’ एक माह के बाद लगभग एक हज़ार के करीब बच्चों को जन्म देता है। इस प्रजाती में एक पिता द्वारा बच्चों को जन्म दिए जाने की विलक्षणता ही इसको अन्य समुद्री और थल जीवों से अलग करती है।
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