गणतंत्र दिवस का संविधान से क्या रिश्ता है?

‘दीदी, आज पापा फोन पर किसी से गणतंत्र दिवस पर बात कर रहे थे और बार बार संविधान का नाम ले रहे थे, मैं जानना चाहता हूं कि आखिर गणतंत्र दिवस का संविधान से क्या रिश्ता है?’
‘26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू हुआ था, उसी दिन की यादगारी को हम गणतंत्र दिवस या रिपब्लिक डे के रूप में मनाते हैं।’
‘दीदी, आज़ाद तो हम 15 अगस्त, 1947 को हो गये थे, तो फिर संविधान 26 जनवरी 1950 को क्यों लागू हुआ?’
‘क्योंकि उसके पहले हमारे पास अपना संविधान था ही नहीं।’
‘अच्छा, तो क्या हम उसके पहले बिना संविधान के थे?’
‘नहीं, तब हम पर अंग्रेजी राज के कानून लागू होते थे यानी हम पर ब्रितानी संविधान लागू था। जब अंग्रेज भारत से चले गये और हम आज़ाद हो गये, तब हमने अपना आज़ाद संविधान बनाया।’
‘दीदी, क्या आज़ादी के बाद संविधान ज़रूरी होता है?’
‘हां, किसी भी आज़ाद देश के लिए संविधान ज़रूरी होता है।’
‘तो संविधान से होता क्या है, जो यह इतना ज़रूरी है?’
‘संविधान वह सत्ता है, जो सबसे पहले तो सरकार बनाती है और दूसरा काम यह स्पष्ट करने का करती है कि समाज में निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी।’
‘तो भारत का संविधान किसने बनाया?’
‘भारत का संविधान, संविधान समिति ने बनाया और इसको मौजूदा स्वरूप में लाने का काम संविधान की प्रारूप समिति ने किया।’
‘इस समिति में कौन लोग थे?’
‘संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डा. भीमराव अंबेडकर या बाबा साहब अंबेडकर थे, जबकि इस समिति में सात अन्य सदस्य थे- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, मोहम्मद सादुल्लाह, अल्लादि कृष्णास्वमी अय्यर, गोपाली स्वामी आयंगर, एन. माधव राव, बेनेगल नरसिंह राव, डीपी खेतान।’
‘और यह संविधान कितने दिनों में तैयार हुआ था?’
‘संविधान सभा ने इसे 2 साल 11 महीने और 18 दिनों में 166 बैठकों के जरिये तैयार किया था।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर