खड़गे को वाराणसी से चुनाव लड़ाना चाहते हैं उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी

भुवनेश्वर में हुई एक रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आगामी आम चुनाव लोगों के पास लोकतंत्र बचाने का अंतिम अवसर है और यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पुन: चुने गए तो यह भारत के अंतिम चुनाव होंगे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं का मानना है कि खड़गे को प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए। ऐसा माना जा रहा है कि खड़गे, जो एस.सी. वर्ग से संबंध रखते हैं और ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रमुख हैं, उत्तर प्रदेश में एस.सी., एस.टी. वर्ग तक पहुंच बनाने के लिए इस अवसर का लाभ उठाने की इच्छा रखते हैं। यह नि:संदेह खड़गे को भाजपा के धार्मिक कट्टरवाद तथा अति-राष्ट्रवाद के ध्रुवीकरण वाले चुनाव मुद्दों का मुकाबला करने तथा उसका क्षरण करने में जातिगत पहचान मदद करेगी। खड़गे ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रमुख हैं और यहां तक कि क्षेत्रीय पार्टियां भी मोदी का मुकाबला करने के लिए उनके गुणों को पहचानती हैं। इस दौरान कांग्रेस बुद्धिजीवि वर्ग 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश से पार्टी के दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने की योजना पर कार्य करने पर केन्द्रित है। सूत्रों के अनुसार दलित वोट पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे वाराणसी, नगीना या सहारनपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। 
पार्टी में यह धारणा बढ़ती जा रही है कि बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती का करिश्मा तथा दलितों (मुख्य रूप में जाटव) पर पकड़ कम हो रही है। हालांकि खड़गे कर्नाटक में अपनी परम्परागत सीट तथा उत्तर प्रदेश में एक सीट से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अधिकतर क्षेत्रीय नेता ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल तथा उद्धव ठाकरे के प्रस्ताव से सहमत हो सकते हैं, क्योंकि खड़गे सबसे स्वीकारयोग्य, शांत दिमाग वाले, परिपक्व तथा अनुभवी नेता हैं, जो सभी को साथ लेकर चल सकते हैं और आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की हिन्दुत्व राजनीति को हराने का सामर्थ्य रखते हैं।
नये राजनीतिक सितारे का उदय
ऐसे लग रहा था कि तमिलनाडु में सुपरस्टार विजय जल्द ही राजनीति में कूद सकते हैं। अभिनेता ने फरवरी में नई दिल्ली में अपनी अज्ञान राजनीतिक पार्टी को पंजीकृत करने की योजना बनाई है और वह लोकसभा चुनाव के साथ-साथ दक्षिण राज्यों में चुनाव लड़ने को उत्सुक हैं, जहां उनकी फिल्में ‘हाऊसफुल’ रहती हैं। सूत्रों के अनुसार अभिनेता का रजिस्टर्ड फैन ग्रुप विजय लियाकॉम, जो कई समाज कल्याण गतिविधियों में शामिल है, को एक पूर्ण राजनीतिक पार्टी में तबदील किया जा रहा है। विजय की मज़बूत तमिल पहचान उन्हें रजनीकांत की मराठी जड़ों तथा भाजपा-आर.एस.एस. से निकटता से अलग करती है, जो तमिलनाडु में विवाद का मुद्दा रहा है।  
राहुल गांधी का ‘जय जवान अभियान’
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उन 1.5 लाख उम्मीदवारों को न्याय दिलाने के लिए ‘जय जवान अभियान’ शुरू किया था, जिन्हें सशस्त्र बलों में चुने जाने के बाद भी बाहर कर दिया गया था। गांधी का  अभियान पश्चिम बंगाल में ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के 18वें दिन शुरू किया गया था। उन्होंने इन नौजवानों से वायदा किया कि वह उनके साथ हो रहे ‘अन्याय’ का मुद्दा प्रत्येक मंच पर उठाएंगे। अग्निपथ योजना को लागू करने के कारण 2019 तथा 2022 के दौरान भारतीय सेना, वायुसेना तथा नौसेना के लिए चुने गए लगभग 1.5 लाख उम्मीदवारों को कथित तौर पर शामिल करने के बाद इन्कार कर दिया गया था। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा तथा यूथ कांग्रेस प्रमुख बी.वी. श्रीनिवास के साथ देशव्यापी आन्दोलन की घोषणा करते हुए रोहित चौधरी ने कहा, ‘हमें ठेके पर सैनिक नहीं चाहिएं। सिर्फ नियमित सैनिक ही देश की रक्षा कर सकते हैं। सशस्त्र बलों में पहले से ही तीन लाख सैनिक कम हैं। 10 वर्ष बाद भारत में सिर्फ 10 लाख सैनिक होंगे, जिनमें से सिर्फ तीन लाख नियमित सैनिक होंगे। इससे हमारा देश कमजोर होगा, हम पुन: गुलामी में चले जाएंगे।’ कांग्रेस के अभियान के तहत पार्टी कार्यकर्ता एक से 28 फरवरी के दौरान घर-घर जाकर अग्निपथ योजना के खिलाफ न्याय पत्र (फार्म) भरवाएंगे। 5 मार्च से 10 मार्च कर सभी शहीदों की यादगारों पर देशव्यापी प्रदर्शन होंगे। आन्दोलन के तीसरे चरण में 17 से 20 मार्च के दौरान प्रत्येक राज्य में पैदल यात्रा होगी। 
नितीश का यू-टर्न
नितीश कुमार के 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद पटना में इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है कि गठबंधन भागीदार बदलने के साथ ही नितीश की शारीरिक भाषा भी बदल गई है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री ‘शांत तथा तनावमुक्त’ दिखाई देते हैं जबकि महागठबंधन में वह काफी ‘तनावग्रस्त’ थे। 
हालांकि जनता दल (यू) नेता, जिन्हें ‘पल्टू राम’ कहा जा रहा है, के 2022 में राजग को छोड़ कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में जाने के बाद भाजपा के राजनेता नितीश कुमार को राजग में शामिल करने के खिलाफ थे। दरअसल, नितीश ने 2017 में राजद से अपना संबंध तोड़ दिया था और राजग में वापस चले गए थे। नितीश कुमार की विफलताओं को देखते हुए भाजपा ने रणनीति बनाई, भाजपा ने नितीश कुमार के सबसे बड़े आलोचकों में शामिल सम्राट चौधरी तथा विजय कुमार सिन्हा को उप-मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। यह रणनीतिक तौर पर सिर्फ नितीश कुमार पर नकेल कसने के लिए किया गया है। जल्द ही लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के विभाजन पर भी चर्चा होगी। 2019 में भाजपा तथा जद (यू) ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 6 सीटें एल.जे.पी. को दी गई थीं। हालांकि इस बार जीतन राम मांझी का हिन्दुस्तानी आवाम मोर्च (हम), उपेन्द्र कुशवाहा का राष्ट्रीय लोक जनता दल (आर.एल.जे.डी.) तथा एल.जे.पी. के दो गुटों के मिश्रण से सहयोगी दलों को दबाव महसूस हो सकता है। 2019 के फार्मूले के तहत जद (यू) ने 17 सीटें मांगी थीं, परन्तु सूत्रों के अनुसार भाजपा जद (यू) के लिए 12 से 14 सीटों से अधिक छोड़ने को तैयार नहीं है।  (आई.पी.ए.)