गै्रमी अवार्ड्स-2024 में छायी भारतीय संगीत की शक्ति

लॉस एंजेल्स क्रिप्टोडॉटकॉम एरीना में 4 फरवरी, 2024 की रात को आयोजित चमचमाते 2024 ग्रैमी अवार्ड्स समारोह में भारतीय संगीत के ऐसे शानदार सुर लगे कि पांच भारतीय संगीतकारों के हाथ में यह सम्मानित ट्राफी आ गई, जिनमें विशेषरूप से शामिल रहे तबलावादक ज़ाकिर हुसैन और बांसुरीवादक राकेश चौरसिया। ग्रैमी में इस बार भारतीय संगीतकारों का ऐसा दबदबा रहा कि दो बार के ग्रैमी विजेता रिक्की केज ने 2024 ग्रैमी को ‘भारत का वर्ष’ कहा है। इस साल जहां तीन ग्रैमी के साथ ज़ाकिर हुसैन सबसे अधिक सफल रहे और राकेश चौरसिया ने भी दो ग्रैमी जीते, वहीं गायक शंकर महादेवन, वायोलिन-वादक गणेश राजगोपालन व तालवादक सेल्वागणेश विनायकराम को एक-एक ग्रैमी मिला। शंकर महादेवन ने अपनी विजय के बाद ईश्वर, अपने परिवार व दोस्तों और भारत का शुक्रिया अदा करते हुए इस अवार्ड को अपनी पत्नी को समर्पित किया, जिनको वह अपने संगीत का प्रत्येक सुर समर्पित करते हैं, जबकि ज़ाकिर हुसैन ने कहा, ‘अपने परिवार के बिना, प्रेम के बिना, संगीत के बिना, सौहार्द के बिना हम कुछ भी नहीं हैं।’
सत्तर के दशक में संगीत पोर्टेबल (एक जगह से दूसरी जगह ले जाने योग्य) हो गया था कि विनाइल रिकार्ड्स की जगह कैसेट प्लेयर्स ने लेनी शुरू कर दी थी, जिन्हें कहीं भी साथ ले जाकर संगीत का आनंद उठाया जा सकता था। अब इसको भी कई दशक बीत गये हैं और आज संगीत स्ट्रीम किया जाने लगा है, आप अपने फोन को ऑन करके संगीत का लुत्फ उठा लेते हैं। इन दो समय अवधियों के बीच में सिर्फ टेक्नोलॉजी ही नहीं बदली है बल्कि पसंद और नापसंद भी बदल गये हैं। इसलिए यह अविश्वसनीय है कि जिस बैंड का गठन सत्तर के दशक में हुआ था, वह आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज कर रहा है और उनसे वाह-वाही लूट रहा है और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पुरस्कार भी जीत रहा है। ..तो इसका क्या अर्थ है कि 1973 में ब्रिटेन के जाज़ गिटारिस्ट जॉन मैकलौग्लिन द्वारा गठित इंडो-वेस्टर्न फ्यूज़न बैंड शक्ति ने ‘दिस मोमेंट’ (इस पल) के लिए 2024 ग्रैमी का सर्वश्रेष्ठ ग्लोबल म्यूजिक अवार्ड जीता है? जून 2023 में आलोचकों की ज़बरदस्त प्रशंसा के बीच रिलीज़ हुई ‘दिस मोमेंट’, शक्ति बैंड की पिछले 45 वर्षों के दौरान जारी की गई पहली स्टूडियो एल्बम है। इसकी नवीनतम ग्रुपिंग में शामिल हैं जॉन मैकलौग्लिन (गिटार), ज़ाकिर हुसैन (तबला), शंकर महादेवन (गायन), गणेश राजगोपालन (वायोलिन) और सेल्वागणेश विनायकराम (मृदंगम)। 
इससे स्पष्ट हो जाता है कि इस बैंड की म्यूजिक स्पिरिट ग्लोबल है। लगभग पचास वर्ष पहले इस बैंड पूर्वी व पश्चिमी संगीत परम्पराओं का मिश्रण इस ख़ूबी से किया था कि आत्मा तक तृप्त हो गई थी और एक नई परम्परा का आरंभ हुआ था। लेकिन 2024 का ग्रैमी अतीत के लिए धन्यवाद नहीं है बल्कि इस तथ्य का सम्मान है कि बैंड के जोश, नयेपन व वार्ता में अब भी कोई कमी नहीं आयी है। वह आउट ऑफ फैशन नहीं हुआ है। जॉन मैकलौग्लिन चूंकि श्री चिन्मॉय के भक्त हैं, इसलिए उन्हें महाविष्णु के नाम से भी पुकारा जाता है। ज़ाकिर हुसैन के अनुसार, आपको उनके गिटार में वीणा सुनायी देगी, वास्तव में, आप सुनकर तो देखें। शक्ति बैंड के बारे में निश्चितरूप से यह कहा जा सकता है कि आयु ने उसकी सुंदरता कम नहीं की है और परम्परा ने उसकी अनंत विविधता को बासी नहीं किया है। जिस तरह सूरज डूबने के बाद रोज़ निकल आता है और यह सिलसिला निरंतर चलता रहता है, उसी तरह शक्ति बैंड के संगीतकार अपनी कालजयी रचनात्मकता को नित नये अवतारों में प्रस्तुत करते रहते हैं। 
इस साल के ग्रैमी समारोह में जोनी मिशेल ने 80 साल की आयु में अपना डेब्यू किया और उन्होंने ‘बोथ साइड्स नाउ’ (दोनों तरफ अब) परफॉर्म किया- ‘रोज़ के जीने में कुछ खो भी गया है, लेकिन कुछ हासिल भी हुआ है।’ यह गीत भी एक तरह से यही बता रहा था कि शक्ति अब भी विविध संस्कृतियों और संगीत परम्पराओं को साथ ला रहा है। साथ ही इसकी लम्बी उम्र युवा व बुज़ुर्ग संगीत प्रेमियों को अब भी हरारत, मानवता व सार्वभौमिकता प्रदान कर रहा है। ‘दिस मोमेंट’ के अतिरिक्त ज़ाकिर हुसैन ने दो और ग्रैमी अवार्ड जीते- एक, ‘पश्तो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ ग्लोबल म्यूजिक परफॉरमेंस अवार्ड और दूसरा ‘एज़ वी स्पीक’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कंटेम्पररी इंस्ट्रुमेंटल एल्बम अवार्ड।
 ‘पश्तो’ और ‘एज़ वी स्पीक’ के लिए बांसुरीवादक राकेश चौरसिया को भी दो ग्रैमी अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। एक दिलचस्प व सराहनीय बात यह रही कि सर्वश्रेष्ठ ग्लोबल म्यूजिक परफॉरमेंस श्रेणी में जो आठ नॉमिनी थे, उनमें तीन अन्य भारतीय भी थे- ‘अबंडंस इन मिल्लेट्स’ गीत के लिए फालू, ‘शैडो फोर्सेज’ के लिए अरूज आफताब, विजय अय्यर व शहजाद इस्माइली और ‘अलोन’ के लिए बुरना बॉय। 
बहरहाल, हुसैन के लिए यह पहली ग्रैमी जीत नहीं है। अमरीका स्थित रिकॉर्डिंग अकादमी द्वारा आयोजित इन अवार्ड्स को वह दोनों सोलो व सहयोग में अनेक श्रेणियों में जीत चुके हैं। उनकी पिछली ग्रैमी विजय 1991, 1996 व 2008 में आयी थीं। 
गौरतलब है कि 2008 में छह भारतीयों- ए.आर. रहमान, एच. श्रीधर, पीए दीपक, गुलज़ार, तन्वी शाह और ज़ाकिर हुसैन ने विभिन्न श्रेणियों में ग्रैमी जीते थे। 2008 में ‘स्लमडॉग मिलियनएयर’ के लिए दो ग्रैमी अवार्ड्स जीतने वाले एआर रहमान ने अपने इंस्टाग्राम पर हुसैन, महादेवन व सेल्वागणेश के साथ सेल्फी शेयर की और विजेताओं को मुबारकबाद देते हुए अपनी पोस्ट को कैप्शन दिया- ‘भारत के लिए ग्रैमी बरस रहे हैं’।
 बहरहाल, अब तक 15 भारतीय संगीतकार ग्रैमी जीत चुके हैं, जिनमें से ज़ाकिर हुसैन और पंडित रवि शंकर ने पांच-पांच बार यह सम्मान प्राप्त किया है। रवि शंकर को लाइफटाइम ग्रैमी भी मिला है। जुबिन मेहता ने भी पांच ग्रैमी जीते हैं। ज़ाकिर हुसैन एक ही रात में तीन ग्रैमी जीतने वाले पहले भारतीय हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर