कतर प्रकरण : मोदी है तो मुमकिन है ! 

आखिर भारत ने कतर में सजाये मौत पाये आठ नेवी अफसरों को मौत के पंजे से खींच कर भारत में ले आने की कोशिशों में सफलता पा ही ली। रविवार को आठ में से सात पूर्व अफसरों ने भारत के लिए उड़ान भरी और भारत की पावन धरा को चूम कर अपनी खुशी जाहिर की। भारत माता की जय के साथ सबने मोदी की मुक्त कंठ से प्रशंसा की और कहा, ‘मोदी है तो मुमकिन है’।  
विगत वर्ष 2023 के 28 दिसम्बर को कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ अफसरों को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद अब कतर में मौत की सजा पाए आठ भारतीय नौसेना के दिग्गजों को दोहा की एक अदालत ने रिहा कर दिया है और आठ में से सात अफसर अब भारत लौट आए हैं। इसे भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले नई दिल्ली के राजनयिक हस्तक्षेप के बाद इन आठ भारतीय नौसेनिकों की मृत्युदंड की सजा को अलग-अलग अवधि के जेल की सजा में बदल दिया गया था।
अलग-अलग बयानों में इन सभी रिहा सात अफसरों ने कहा, ‘आखिरकार सुरक्षित और स्वस्थ घर वापस आकर हमें राहत और खुशी महसूस हो रही है। हम प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देना चाहते हैं क्योंकि यह संभव नहीं होता अगर हमारी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए उनका व्यक्तिगत हस्तक्षेप नहीं होता।’  दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के साथ काम करने वाले आठ भारतीय नौसेनिकों को तीन साल से लेकर 25 साल तक की अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई गयी थी। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज, एक निजी फर्म, कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। सभी आठ नौसेनिकों को कतर में अगस्त 2022 में अघोषित आरोपों के बाद हिरासत में लिया गया था।
कई रिपोर्टों में बताया गया था कि इन लोगों पर जासूसी का आरोप लगाया गया था हालांकि कतर और भारतीय अधिकारियों दोनों ने उनके खिलाफ आरोपों का विवरण नहीं दिया है। इनमें से कैप्टन नवतेज गिल को उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था जब उन्होंने नौसेना अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में प्रशिक्षक के रूप में कार्य किया था।
भारत ने अपने नौसेनिकों को छुड़ाने के लिए कवायद शुरू की जिसमें सबसे पहले कतर की प्रथम दृष्टया अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा के बारे में इसे ‘गहरा झटका’ करार दिया गया और इसके लिए दुख व्यक्त किया गया था। इसके बाद भारत ने अपने नौसेना के सम्मानित अधिकारियों सहित आठ लोगों की मदद के लिए सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करने का वादा किया था। इसके लिए भारत ने सबसे पहले नौसेनिकों की मौत की सजा के खिलाफ कतर की कोर्ट का रुख किया था। इसके बाद 28 दिसम्बर को कतर की कोर्ट ने भारतीय नौसेनिकों की मौत की सजा को कम कर दिया और उन्हें अलग-अलग समयावधि के जेल की सजा सुनाई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस साल की शुरुआत जनवरी में अपील के बाद कतर की अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को उनकी मौत की सजा को कम कर दिया और अलग-अलग जेल की सजा के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था। अदालत ने शुरू में मौखिक आदेश के रूप में फैसला सुनाया और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि आठ लोगों की सहायता करने वाली कानूनी टीम को फैसले की एक प्रति मिल गई थी। लेकिन यह एक ‘गोपनीय दस्तावेज’ था। इसके बाद कोर्ट ने भारत के आठ जांबाजों को रिहा करने का आदेश दिया।
कतर की अदालत के इस फैसले को भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। स्मरणीय है कि यह फैसला दुबई में शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ मुलाकात के कुछ सप्ताहों बाद आया है। अपने एक दिसम्बर 2023 की बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उन्होंने कतर में भारतीय समुदाय की भलाई पर चर्चा की है। इधर भारतीय गुप्तचर रिपोर्ट यह है कि भारत के कई बड़े मुस्लिम मौलाना, उलेमा कतर की यात्रा पर गए और वहां इस बात की प्लानिंग में लगे रहे कि किसी तरह से चुनाव के पहले भारत के नौसैनिकों को फांसी हो जाए ताकि चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया जा सके और मोदी को हराया जा सके लेकिन आज के दौर में दुनिया पूरी तरह से पैसे पर चलती है। कतर के पास दुनिया का सबसे बड़ा गैस भंडार है और गैस एक ऐसी चीज है जिसका परिवहन सबसे महंगा होता है। कतर अपनी गैस को यूरोप तक बेच नहीं सकता क्योंकि परिवहन की लागत इतनी ज्यादा आ जाती है कि उससे कम कीमत पर आज रूस यूरोप को गैस सप्लाई कर रहा है।
जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब 2002 में ही उन्होंने भ्रूच ज़िले के दहेज में दुनिया का सबसे बड़ा एलएनजी टर्मिनल बनवाया था। अगर नक्शे में देखा जाए तो कतर से दहेज बिल्कुल सीधी लाइन में है और वहां से एलएनजी गैस टैंकर से आती है। फिर पूरी भारत में वितरित होती है। कतर के आसपास जितने भी देश हैं सबके पास गैस है। अब बचा पाकिस्तान, वह कतर को पैसा नहीं चुका पाता है। बाकी बचा चीन तो चीन के संबंध रूस के साथ बहुत अच्छे हैं और चीन की सीमा रूस से मिलती है।  
मार्किटिंग का सबसे बड़ा सिद्धांत यह है कि खरीदार से ज्यादा गरज बेचने वाले की होती है। उपभोक्ता तो अपना काम किसी भी तरह से चला लेगा लेकिन जिसके पास माल है उसे हर हाल में बेचना ही बेचना है। हाल ही में गोवा में एनर्जी सबमिट में भारत ने दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा समझौता कतर के साथ किया है, जिसमें 2048 तक कतर भारत को गैस देगा और यह समझौता इतना मूल्यवान था कि दुनिया के आधे देशों की जीडीपी के बराबर था। समझौते के वीडियो में भारत के विदेश मंत्री भी समझौते में साथ थे, पेट्रोलियम मंत्री भी थे लेकिन विदेश मंत्री इस समझौते में एक डील के तहत गए होंगे कि हमारे नौसैनिकों को सकुशल रिहा कर दो वरना अपनी गैस जहां चाहे, वहां बेचो। अंतत: कतर ने नौसैनिकों को रिहा कर ही दिया। दूसरी बात जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब से लेकर आज तक कतर के राजपरिवार यानी अलथानी परिवार से नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत रिश्ते बहुत अच्छे है। अभी जो राजा है उनके पिताजी जब कतर के राजा थे, तब वह तीन बार कतर से सीधे गांधीनगर आए थे और गांधीनगर से दोहा लौट गए थे। उनके मरने पर भी नरेंद्र मोदी कतर गए थे। 
अभी कुछ ही हफ्ते पहले एक मौलाना भारत से कतर गये थे जहां वे हमास चीफ स्माइल हानियां और हमास के डिप्टी चीफ और मिलिट्री विंग के प्रमुख खालिद मसाला से मिले थे और कतर के और कई बड़े राजनेताओं, राज परिवार के लोगों से मुलाकात भी की थी, शायद इन अफसरों के साथ कोई नर्मी न बरतने के लिए मगर वे यह भूल गये कि मोदी जहां भी हाथ डालते हैं सफलता उनके कदम चूमती है।