पिंग पोंग बॉल प्रयोग से समझें हवाई जहाज़ हवा में कैसे उड़ लेते हैं ?

बच्चो! क्या कभी तुमने सोचा है कि हवा से भारी होने के बावजूद पक्षी और हवाई जहाज हवा में कैसे उड़ लेते हैं? आप सोच रहे होंगे कि उनके पर या विंग्स होते हैं, इसलिए ...खैर, 1738 में गणितज्ञ व वैज्ञानिक डेनियल बर्नौली ने इस फिनोमिना का अध्ययन किया और पाया कि ऑब्जेक्ट के इर्दगिर्द हवा घूमती है और ऑब्जेक्ट पर अलग-अलग प्रकार का दबाव बनाती है। तेज़ हवा का अर्थ है कम दबाव और धीमी हवा का अर्थ है अधिक दबाव। बर्नौली के इस प्रयोग को समझाने के लिए मैं आपको तैरती हुई पिंग पोंग बॉल बनाना सिखाता हूं।
इसे बनाने के लिए आपको कुछ सादा सी चीजों की ज़रूरत पड़ेगी, जैसे किसी भी रंग का कंस्ट्रक्शन पेपर, टेप, मुड़ा हुआ स्ट्रॉ, पिंग पोंग बॉल, कैंची और पेंसिल। रंगीन कागज पर छह इंच डायमीटर का सर्किल ड्रा कर लें। फिर कैंची का इस्तेमाल करते हुए ध्यानपूर्वक सर्किल को काट लें। इससे अगले स्टेप में रेडियस काट लें। अगर आपको अपनी गणित की क्लास याद हो तो रेडियस सर्किल के केंद्र से उसके बाहरी सिरे तक सीधी लाइन होती है।  अब कागज की दोनों साइड्स को रेडियस के गिर्द खींच लो ताकि वह ओवरलैप कर जायें और फिर उस पर टेप लगा दें कि वह कोन या कुप्पी बन जाये।  मुड़े हुए स्ट्रॉ का जो छोटा हिस्सा है उसे कागज के कोन के नीचे घुसा दें। उसे टेप से इस तरह सिक्योर कर दें कि वहां से हवा के निकलने के लिए कोई गैप न हो। 
अब आपने जो पेपर कोन बनाया है उसके ऊपर पिंग पोंग बॉल को रख दें और स्ट्रॉ का जो खुला सिरा है, उसे अपने मुंह में लेकर फूंक मारें, जिसमें इतनी निरंतरता हो कि बॉल हवा में ऊपर उठ जाये। एयर फ्लो व एयर प्रेशर के साथ बॉल हवा में उड़ने या तैरने लगेगी। ध्यान रहे कि यह तभी होगा जब आप इतनी तेज फूंक लगातार मारेंगे कि बॉल के इर्दगिर्द हवा की तेज स्ट्रीम बनी रहे। अगर आप हल्की फूंक मारेंगे तो प्रेशर वापस आ जायेगा और बॉल नीचे गिर जायेगी।
इस तरह आपको बर्नौली का सिद्धांत समझ में आ जायेगा। अब आप समझे कि इस प्रयोग में वास्तव में क्या हुआ था। स्ट्रॉ में फूंक मारने से बॉल के इर्द-गिर्द लो प्रेशर क्षेत्र बना। जब आप तेज पतली स्ट्रीम ब्लो करते हैं (चूंकि स्ट्रॉ की वजह से हवा पतली हो जाती है) तो तेज हवा बॉल को नीचे से ऊपर पुश करने की बजाय बॉल की साइड्स में मूव करने लगती है। अगर आप बॉल को गौर से देखेंगे तो वह लो प्रेशर क्षेत्र में वोबल करती है। बॉल लो प्रेशर क्षेत्र से बचने का प्रयास कर रही होती है। हाई-प्रेशर एयर उसे निकलने नहीं देती और उसे वापस लो प्रेशर क्षेत्र में पुश कर देती है। इस वजह से बॉल एयर में फ्लोट करती रहती है। 
 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर