पेंगुइन अपने अंडे कहां देती हैं?

‘दीदी, पेंगुइन कहां पायी जाती हैं?’
‘अंटार्कटिक में।’
‘उसका तो अधिकतर हिस्सा बर्फ की मोटी चादर से ढका रहता है, तो फिर वह अपने अंडे कहां देती होंगीं?’
‘फरवरी से अक्तूबर तक यानी अंटार्कटिक के जाड़ों में पेंगुइन समुद्र में रहती हैं। अक्तूबर में जब वहां बसंत आरंभ होता है, तो वह समुद्र से बाहर निकल आती हैं और अपने ब्रीडिंग ग्राउंड्स की ओर लम्बा ट्रेक शुरू करती हैं।’
‘कितना लम्बा ट्रेक तय करना पड़ता है?’
‘पेंगुइन वाक करते हुए, फिसलते हुए, संघर्ष करते हुए और टबागन (किसी पतली चीज पर सवार होकर आगे बढ़ना) करते हुए लगभग 100 किमी का बर्फीला समुद्र पार करके पथरीले अंटार्कटिक तट पर पहुंचती हैं।’
‘अच्छा।’
‘आमतौर से नर पहले पहुंचते हैं और सीधे अपने पिछले साल के घोंसले में जाते हैं।’
‘यह घोंसले किस चीज के बने होते हैं?’
‘पत्थरों के। पेंगुइन तट के पास पथरीला क्षेत्र तलाश करती हैं अपने अंडे देने के लिए, जहां बर्फ की मोटी परत कोई समस्या नहीं होती है।’
‘और वह घोंसला किस तरह से बनाती हैं?’
‘अंडे देने से पहले नर व मादा पेंगुइन मिलकर अपना घोंसला बनाते हैं। वह अपनी चोंच में पत्थर उठाकर लाते हैं। पत्थर एकत्र करना व उनकी सुरक्षा करना नर व मादा बारी-बारी करते हैं। एक साथी पत्थर गिराता है तो दूसरा उन्हें करीने से लगाता है।’
‘घोंसला बनने के बाद क्या होता है?’
‘नवम्बर के मध्य में मादा पेंगुइन दो नीले-सफेद अंडे देती है। अब एक दिलचस्प प्रक्रिया आरंभ होती है। अंडों को सुरक्षित रखने व उन्हें हैच करने में नर व मादा बारी बारी से अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। कुछ निश्चित समय बाद मादा फीडिंग के बाद समुद्र से लौटती है और उसके बाद नर फीडिंग के लिए समुद्र में जाता है। उसके लौटने पर मादा फीडिंग के लिए जाती है। लेकिन यह टाइमिंग हमेशा इस तरह से होती है कि मादा उस समय लौटती है जब अंडों से बच्चे बाहर निकल रहे होते हैं। बच्चों के जन्म के बाद चार सप्ताह तक सुरक्षा व फीडिंग का क्रम बारी-बारी चलता रहता है।’

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर