कज़र् के बोझ को बढ़ाने वाला बजट


पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान की आम आदमी पार्टी नीत सरकार ने अपने तीसरे बजट में भी प्रदेश के आम आदमी को लॉलीपॉप देना तो एक ओर, केवल दूर से दरशा कर ही भरमाने की कोशिश की है। नि:संदेह वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने प्रदेश के लोगों को आंकड़ों के खेल में उलझा कर कठपुतली की तरह घुमाने की ही कोशिश की है, किन्तु इतना तय है कि इस बजट के कारण एक ओर जहां प्रदेश का वित्तीय एवं राजस्व घाटा, दोनों बढ़ेंगे, वहीं महंगाई एवं बेरोज़गारी बढ़ने की आशंका भी उपजेगी। सरकार ने बजट से पूर्व और बजट के दौरान युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराने और नौकरियां दिये जाने के बड़े-बड़े वायदे किये हैं, किन्तु वास्तविकता यह है कि युवा आज भी रोज़गार हासिल करने के लिए विदेशों की ओर पलायन करने और पानी की टैंकियों पर चढ़ कर प्रदर्शन करते हुए अपनी जानें जोखिम में डालने को विवश दिखाई देते हैं। 
सरकार के अपने इस अब तक के सर्वाधिक राशि वाले 2,04,918 करोड़ रुपये के बजट में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, अनियोजित खर्चाबन्दी के कारण जहां पिछले वर्ष का वित्तीय घाटा बढ़ कर 30,464 करोड़ रुपये हो गया है, वहीं राजस्व घाटा भी 23,194 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। हवाओं में तीर चलाने की मान सरकार की पुरातन कोशिशों को जारी रखते हुए वित्त मंत्री ने मौजूदा बजट में भी हवाई घोड़े दौड़ाने  की ही कोशिश की है। बजट में अनेक ऐसे प्रावधान किये गये हैं जिनसे राजस्व खर्चा बेलगाम होकर बढ़ेगा किन्तु इस घाटे को पूरा करने के लिए अतिरिक्त साधन एवं स्रोत कहां से हासिल किये जाएंगे, इस बारे में कोई ज़िक्र तक नहीं किया गया है। स्पष्ट है कि इससे सरकार को और ऋण उठाना पड़ेगा। सरकार स्वयं बजट से पूर्व इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सरकारी खर्च हेतु अधिक बैंक ऋण उठाना पड़ेगा। मौजूदा भगवंत मान सरकार पहले ही विगत दो वर्षों में लगभग एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण बैंक और बाज़ार से उठा चुकी है। पिछले तीन मास में ही सरकार 7500 करोड़ से अधिक ऋण ले चुकी थी। कज़र् की यह गठरी कितनी भारी हो चुकी है, इसका अनुमान इस बात से ही लगाया जा सकता है, कि इस सरकार को अपने सिर पर लगभग सवा तीन लाख करोड़ रुपये कज़र् के लिए वर्ष 2023-24 के लिए कज़र् की किश्त-अदायगी से भी अधिक 23,900 करोड़ रुपया ब्याज ही अदा करना पड़ा था।
मौजूदा बजट के अनुसार सरकार ने बेशक मुफ्त की घोषणाओं पर ही एक बार फिर ज़ोर दिया है यानि मुफ्त बिजली दिये जाने हेतु किसानों और आम लोगों के लिए सब्सिडी बढ़ाये जाने की घोषणा की गई है। औद्योगिक बिजली क्षेत्र के सुधार के लिए भी 3367 करोड़ रुपये आरक्षित करने का दावा किया गया है किन्तु बिजली निगम के शैतान की आंत की तरह बढ़ते घाटे को कैसे पूरा किया जाएगा, इस हेतु कोई भी कार्यक्रम तय नहीं किया गया। मुफ्त की बिजली हेतु दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी भी 20,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
 सरकार ने नि:संदेह नई योजनाओं हेतु नये विज़न का दावा किया है, किन्तु अधिकतर नई घोषणाएं फलीभूत होने का कोई चेहरा नहीं दिखातीं। अधिकतर बेवजह की योजनाओं पर धन खर्च किये जाने का ही संकेत मिलता है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई संबंधी योजना के लिए मात्र 20 करोड़ रुपये रखे गये हैं, किन्तु मुख्यमंत्री की अपनी तीर्थ-यात्रा योजना को 25 करोड़ रुपये आबंटित किये गये हैं। स्कूल ऑफ एमीनैंस के लिए सौ करोड़ रुपये रखे गये हैं। इसी प्रकार स्कूल ऑफ ब्रिलियैंस और स्कूल ऑफ हैप्पीनेस के लिए भी अतिरिक्त धन-राशि आरक्षित की गई है, किन्तु प्रदेश की पुरातन शिक्षा व्यवस्था के जर्जर होते स्तम्भों को आसरा देने की कोई योजना घोषित नहीं की गई। 
फसलों के विविधिकरण की योजना भी घोषित की गई है किन्तु किसानों की फसलों की न्यूनतम कीमत और उनकी फसलों के किसी प्राकृतिक आपदा के कारण खराब हो जाने अथवा मौजूदा ओला-वृष्टि के कारण खराब हुई फसलों हेतु मुआविजा देने हेतु मुख्यमंत्री अथवा वित्त मंत्री ने एक शब्द तक नहीं कहा। स्वास्थ्य सेवाओं हेतु 5,264 करोड़ रुपये देने की बात अवश्य की गई है, किन्तु अधिक ज़ोर मोहल्ला क्लीनिकों पर ही दिया गया है। सिविल अस्पतालों की निरन्तर होती दुर्दशा और आम आदमी की सेहत को लेकर कोई अतिरिक्त प्रयास किये जाने के प्रति बजट मौन रहा है। 
सबसे बड़ी बात यह कि बजट के कर-मुक्त होने का बड़ा दावा किया जा रहा है, किन्तु वित्त मंत्री की अपनी घोषणाओं के अनुसार मौजूदा कर ढांचे में 13 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। दूसरे शब्दों में प्राय: सभी करों में थोड़ा-थोड़ा इज़ाफा किया गया है। चुनावी घोषणाओं के मुताबिक प्रदेश की महिलाएं भगवंत मान की सरकार की तीसरे वर्ष में भी, एक हज़ार रुपया मासिक हासिल कर पाने से वंचित रह गई हैं हालांकि इसी पार्टी की दिल्ली सरकार ने ऐसी घोषणा कर दी है। तथापि, बजट में महिलाओं के लिए विवाद की जड़ मुफ्त बस यात्रा को जारी रखने की घोषणा अवश्य की गई है।
 नि:संदेह इस बजट से यह एहसास ही मिलते प्रतीत होता है कि मौजूदा सरकार ने एक बार फिर प्रदेश की जनता को हवा-हवाई घोषणाओं और मुफ्त के दावों का लॉलीपॉप थमाने की ही कोशिश की है, किन्तु इन सम्पूर्ण घोषणाओं की पूर्ति हेतु वित्तीय स्रोत एवं साधन उत्पन्न किये जाने की ओर रत्ती भर प्रयास नहीं किया गया है। गोया, यही प्रतीत होता है कि यह बजट न केवल प्रदेश के लोगों के सिर पर कज़र् की गठरी के बोझ को और बढ़ायेगा, अपितु प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था को और दुर्बल करने में ही सहायक होगा। इससे न केवल महंगाई की आंत और लम्बी होगी, अपितु युवाओं में बेरोज़गारी और असंतोष में भी इज़ाफा होने का अंदेशा बढ़ेगा।