लाल किला : कुछ रोचक जानकारी

लाल किला (दिल्ली) अपने आप में इतिहास के इतने पृष्ठों को समेटे हुए है, इतनी घटनाओं का मूक साक्षी है, जिनका वर्णन करने में वर्षों लग जायें। हिन्दुस्तान पर मुगल शासन, अंग्रेजी शासन और फिर स्वतंत्रता के 64 वर्ष इतने लंबे काल की हर घटना का गवाह लाल किला यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। प्रस्तुत हैं लाल किले से जुड़े कुछ रोचक तथ्य :-
लाल किले का निर्माण 1638 में शुरू किया गया। नौ वर्षों में इसका निर्माण पूर्ण हुआ। 1648 में शाहजहां ने इसमें प्रवेश किया।
शुभ मुहूर्त में लाल किले का निर्माण करने के लिए नींव खुदवायी गयी थी। एक वर्ष तक नींव यूं ही रही ताकि मौसमी हवा-पानी का प्रभाव जो भी पड़ना है उस पर पड़ जाये।
लाल पत्थर बैलगाड़ियों पर लादकर धौलपुर से लाया गया। देश भर के राजा-महाराजाओं ने इसके निर्माण में हर संभव सहयोग किया।
उस समय इसकी लागत एक करोड़ रूपये आयी थी। ऐसा इतिहासकाराें का मत है। लाल किला लगभग डेढ़ किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है। पूर्व से पश्चिम 1800 फुट और उत्तर से दक्षिण 3200 फुट फैला है। इसके चारों ओर दीवारें हैं। नदी की ओर 60 फुट तथा जमीन की तरफ दीवार 110 फुट ऊंची हैं। इसी के साथ 30 फुट चौड़ी और 30 फुट गहरी खाई है। 
लाल किले के चार दरवाजे थे लाहौरी दरवाजा, काबुली दरवाजा, कलकत्ता दरवाजा, काश्मीरी दरवाजा। बाद में दो दरवाजे बंद करा दिये गये। पश्चिमी यमुना नहर से एक नहर निकालकर पानी को किले तक लाया गया। इसे किले में नहर बहिश्त का नाम दिया गया। लाल किले में मोती महल, मोती मस्जिद, दीवाने खास दीवाने आम, रंग महल, सावन, भादों, मीना बाज़ार आदि बनवाये गये थे।
दीवाने खास का तख्ते ताऊस वैभव का प्रतीक ऐसा सिंहासन था। जिसमें हीरे जवाहरात जड़े हुए थे। यह भाग बेशकीमती नगों, सोने की कारीगरी व हीरो जवाहरातों से सुसज्जित था। कहते हैं इसका निर्माण स्वर्ग के किले के वर्णन पर आधारित है। महल में बादशाह के कर्मचारियों की रिहायश के भी भवन बने थे। विदेशी आक्रमणकारियों ने कई बार इस पर हमला किया। बेशकीमती सामान लूटा। अंग्रेज भी देश से जाते-जाते लाल किले से कीमती वस्तुएं ले जाने से नहीं चूके। 15 अगस्त को प्रधानमंत्री देश को लाल किले की प्राचीर से ही संबोधित करते हैं। 
 

(उर्वशी)