फुर्तीला किंतु स्वभाव से डरपोक है चीता

चीता स्तनधारी (मैमेलिया) वर्ग का प्राणी है। यह स्थलीय एवं रात्रिचर होता है। कपाल ऊंचा और आंखें बड़ी होती हैं। इनके नख तेज हैं जो आच्छदों के भीतर को सिकोड़े जा सकते हैं। पूंछ लंबी होती है। ये लुक छिप कर घात लगाये बैठकर अचानक फुर्ती से कूद कर शिकार को दबोच लेते हैं। इनकी फुर्ती इस समय देखने लायक होती है। अपनी प्रजाति में ये सिंह एवं बाघ से भी अधिक फुर्तीले होते है। ये पेड़ या घर पर आसानी से चढ़ जाते है और ऊपर से छलांग लगा देते हैं। इनके दांत शिकार को काटने एवं फाड़ने के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। ये अधिकतर उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में दूर-दूर तक पाये जाते हैं।
चीता बिल्ली परिवार का सबसे अधिक चतुर एवं धूर्त पशु है। इसकी लंबाई लगभग ढाई मीटर एवं ऊंचाई अस्सी सेंटीमीटर होती है। इनका वजन 91 किलोग्राम तक होता है। कुछ चीते हल्के बादामी या भूरे रंग के होते हैं लेकिन इनके पेट व सीने का रंग बिल्कुल सफेद होता है। सिर, पैर, और पेट के निचले हिस्से की चित्तियां काली होती हैं किन्तु पीठ, दुम और दोनों और दोनों बगल की चित्तियां छल्लेनुमा रहती हैं। चित्तियों के बीच का रंग पीला होता है। इसकी खाल बहुत नरम चमकीली एवं सुंदर होती है।
चीता स्वभाव से बहुत डरपोक किस्म का जानवर है। यह पहाड़ी घने जंगलों और लंबी घास के मैदानों में रहता है। यह तेज प्रकाश से भयभीत रहता है, अंत: दिन के समय छिपा रहता है। केवल रात को शिकार के लिए निकलता है। इसकी आंखें हरापन लिए पीली गोल होती हैं। रात के अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में चिंगारी की तरह चमकती हुई दिखाई देती हैं। इसकी सुनने की शक्ति काफी तेज़ होती है लेकिन सूंघने की शक्ति बहुत कमजोर होती हैं। चीता तैरना नहीं जानता। पानी देखकर यह डर जाता है।
यदि चीता घायल हो जाये तो बहुत खतरनाक हो जाता है। दक्षिण अमरीका, मैक्सिको, अमरीका एवं एशिया के जंगलों में चीते की कुछ विशेष किस्में भी पाई जाती हैं। आज यह एक चिंता का विषय है कि महान प्राकृतिक विरासत चीता विलुप्त होने के कगार पर है। पिछले साठ वर्षों में चीता और उसकी प्रजाति की संख्या निरंतर घटी है। (उर्वशी)