आओ, घरों व कार्यालयों में लगाएं सजावटी पौधे 

लोगों में अपने घरों तथा कार्यालयों को सजाने का शौक बहुत बढ़ रहा है। वे यह शौक हरे तथा सजावटी पौधे तथा फूल लगा कर पूरा करते हैं। जो पिछले दिनों किसान मेले लगे, उनके बाहर नर्सरी की दुकानें तथा बागबान सजावटी तथा फूलों के पौधे बेच रहे थे। किसान इन पौधों को बढ़-चढ़ कर खरीदते दिखाई दे रहे थे। लोग भी शिकायत करते थे कि ये पौधे चलते नहीं, जल्द नष्ट हो जाते हैं, परन्तु लोगों को इन पौधों को सही ढंग से घरों व कार्यालयों में लगाने तथा इनका पालन-पोषण करने संबंधी पूरी जानकारी नहीं, जिस कारण ये पौधे अधिक देर नहीं चलते। मन तो प्रत्येक व्यक्ति का फूल तथा पौधे लगाने को करता है, परन्तु इस संबंध में पूरी तकनीकी जानकारी न होने के कारण गमलों में पौधे सफलतापूर्वक बढ़ते-फूलते नहीं। 
बागबानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर (सेवामुक्त) डा. स्वर्ण सिंह मान जो दृश्य-चित्रों के विशेषज्ञ हैं, कहते हैं कि पंजाब में पौधे लगाने के लिए नर्सरियों से 10 इंच या 12 इंच साइज़ के मिट्टी के गमले खरीदे जाने चाहिएं। इन गमलों में भरने के लिए दो हिस्से खेत की मिट्टी, एक हिस्सा पत्तों की खाद तथा एक हिस्सा गोबर की गली-सड़ी खाद का मिश्रण इस्तेमाल करना चाहिए। मिट्टी में 30 ग्राम किसान खाद, 45 ग्राम सुपरफास्फेट तथा 30 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से डाल देनी चाहिए। गमले में यह मिश्रण डालने से पहले इसके तले पर हुए छेक पर टूटे हुए गमले की ठीकरी रख देनी चाहिए। इससे गमले में से अतिरिक्त  पानी का निकास हो सकेगा। गमले में सजावटी पौधा लगाने के बाद पानी दे देना चाहिए। पौधा लगाने के बाद गमले को कमरे या बरामदे में रखा जा सकता है। सप्ताह या दस दिन के बाद गमलों को एक-दो दिन के लिए धूप में रख देना चारिए ताकि सजावटी पौधे धूप में अपना भोजन तैयार कर सकें। 
आम तौर पर लोग इन पौधों को प्रतिदिन पानी दे देते हैं, जिसकी ज़रूरत नहीं। जब गमले का पौधा मुरझाने लगे तो ही पानी देना चाहिए। आज-कल या जुलाई-अगस्त में गमलों में उक्त खाद का मिश्रण फिर डाल कर दोहरा देना चाहिए। इससे सजावटी पौधों की हरियाली बहाल रहेगी। 
गमलों में लगाने के लिए सजावटी पौधों की एगलोनिमां, एस्पैरागस, कोलियस, क्रोटान, डाईफनवेचिया, ड्राइसिना, फर्न मोनस्ट्रा, पीलिया मस्कोसा, सिनगोनियम, एरिकापाम, फाइकस, रबड़प्लांट, ड्रांटां, काला ग्रास, मनीप्लांट, स्नोबाल, ओर्नामैंटल, चिल्ली, लाजवंती, एस्केरिया बाइकलर, हमेलिया, डवारफ चांदनी, डवारफ वैरिगेटिड चादंनी, रिडोलेसिया, नरंगी, गुलाब, यूफोरबिया, बोगनविलिया, माजू,  ताड़पाम, सैफ्लेरा, एग्जोरा, लैनटाना तथा पनशटिया आदि पौधों में से चयन करना चाहिए। ये पौधे बागबानी विभाग, पीएयू, वन विभाग तथा पुड्डा की नर्सरियों के अतिरिक्त कुछ निजी नर्सरियों में भी उपलब्ध हो जाएंगे। पौधों को दीमक से बचाने के लिए क्लोरोपाइरोफास 20 ईसी 2 मिलीलीटर पानी में मिला कर उस घोल को गमलों में डाल देना चाहिए। यदि पत्तों पर कीड़े-मकौड़ों का हमला दिखाई दे तो रोगर 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी के घोल का स्प्रे कर देना चाहिए। फफूंद लगने की हालत में डाइथेन एम 45 का इस्तेमाल करना चाहिए। 
घरों तथा कार्यालयों का आस-पास सुन्दर बनाने के लिए लेज़रस्ट्रोमिया इंडिका (रुकमंजनी), केसिया गुलाका, बोगनविलिया, हबिसक्स, चांदनी, टीकोमा स्टेन्ज़, गोल्डन डूरांटा, लालपत्ती, रात की रानी, गार्डिनीया, मोतिया, डेला, मुसंडा, कनेर, पेटनस, गुलमोहरी, मुरइया, हारशिंगार, क्लीएंट्रा, हमेलिया, रुसेलिया, सदाबहार आदि झाड़ियों में से चुन कर जगह तथा ज़रूरत के अनुसार झाड़ियां लगा देनी चाहिएं। यदि बेलें लगानी हों तो पीली चमेली, बोग्नविलिया, झुमका बेल, लासन बेल, एंटीग्नून, क्लेरोडिनफ्रान स्पलैन्डस, चिट्टी चमेली, गोल्डन सावर, कर्टन बेल, विस्टीरिया साइनैनस्स आदि बेलों में से चयन कर लेना चाहिए। यदि वहां पेड़ लगाने का स्थान उपलब्ध हो तो बोतल बरुश, केसिया जावानिका, पिंक केसिया, मिक्सीकान काटन ट्री, गुलमोहर, कोरल ट्री, नीली गुलमोहर, परी चम्पा, पगोडा, बडाचेपा में से पेड़ों का चयन कर लिया जाए। पेड़ 2.5 फुट गहरा गड्डा करके लगाने चाहिएं। गड्डे में पौधा या पेड़ लगाने से पहले आधी खेत की मिट्टी तथा आधी गली-सड़ी खाद मिला कर गड्डा भर देना चाहिए। गोबर की खाद के साथ तीसरा हिस्सा केंचुए की खाद तथा दो हिस्से मिट्टी डालने का ज़रूरत है।