आओ जानें पैट्रोल के बारे में

प्यारे बच्चो, आपने तेज़ी से दौड़ते अनेक स्कूटर, मोटरसाइकिल, कारों, बसों, रेलगाड़ियों, ट्रक, ट्रैक्टर, जीपों, समुद्री जहाज, हैलीकॉप्टर और हवाई जहाज आदि को रोज़ाना देखते हैं। यह सभी यंत्र पैट्रोल और डीज़ल से एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचते हैं। दूसरे शब्दों में इन यंत्रों को चलाने के लिए पैट्रोल और डीज़ल की आवश्यकता होती है।
प्यारे बच्चो, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में और घरेलू बाज़ार में पैट्रोल की मांग लगातार बढ़ रही है, जबकि इसकी कीमतें भी आसमान छू रहीं हैं। पैट्रोल का उत्पादन अरब देशों, रूस और अमरीका में सबसे अधिक होता है। कच्चा पैट्रोल एक काले और गाड़े तरल पदार्थ के रूप में मिलता है, जिसको हम पैट्रोलियम कहते हैं। पैट्रोलियम लातीनी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब है चट्टानों में से निकलने वाला तेल। यह धरती के अंदर से प्राप्त किया जाता है। समुद्र में तेल के कुएं बनाकर कच्चा तेल निकाला जाता है। इस तेल में नैपथा, कैरोसीन, डीज़ल और मोम की तरह कई पदार्थ घुले होते हैं। इस कच्चे तेल को शुद्ध करने के लिए बड़े-बड़े कारखानों तक पहुंचाया जाता है।
 इन कारखानों को तेल शोधक कारखाने या रिफाइनरी कहा जाता है। इन कारखानों में कच्चा तेल पहुंचने के बाद इनको बड़े-बड़े वेलनाकार बर्तनों में डालकर गर्म किया जाता है। इसमें से नैपथा, कैरोसीन, डीज़ल आदि को अलग-अलग किया जाता है। पैट्रोल जैसे पदार्थों के भंडार तेज़ी से खत्म हो रहे हैं। हम सभी को मिलकर इस बहुमूल्य खजाने को बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए। इसके लिए सोलर सिस्टम के साथ चलने वाली गाड़ियां समय की मांग हैं।


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