आसमान में भारत के पराक्रम की हुंकार भरता तेजस

हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित भारत के नए फाइटर जेट ‘तेजस एमके 1ए’ का 28 मार्च को सफल परीक्षण किया गया। इस परीक्षण के दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में तेजस एमके1ए विमान श्रृंखला का पहला विमान एलए5033 बेंगलुरु के आसमान में 18 मिनट तक सफलतापूर्वक उड़ता रहा। तेजस की विशेषताओं को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि यह तेजस की यह उड़ान आसमान में भारत के पराक्रम की हुंकार थी। दरअसल तेजस एमके-1ए में पिछले विमान की तुलना में कई अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें अन्य सुधारों के अलावा इलैक्ट्रॉनिक रूप से स्कैन किए गए एरे (एईएसए) रडार, एक उन्नत इलैक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) सूट और हवा से हवा और हवा से जमीन पर हथियारों की एक विस्तृत श्रृंखला ले जाने की क्षमता है। इसमें उन्नत दृश्य-सीमा (बीवीआर), हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तथा बाहरी आत्म-सुरक्षा जैमर भी लगाए गए हैं। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इन्हीं विशेषताओं के कारण तेजस आने वाले समय में विदेशी जेट विमानों के स्थान पर भारतीय वायुसेना का मुख्य फाइटर जेट बनेगा। भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही दो तेजस स्क्वाड्रन (‘फ्लाइंग डैगर्स’ तथा ‘फ्लाइंग बुलेट्स’) हैं, जिनमें से एक दक्षिण-पश्चिमी सेक्टर में तैनात है। 2021 में केन्द्र सरकार द्वारा 83 उन्नत तेजस मार्क-1ए जेट के लिए 46898 करोड़ रुपये का बड़ा अनुबंध किया गया था और इस अनुबंध के तहत एचएएल द्वारा इनकी डिलीवरी 2024 से फरवरी 2028 के बीच की जानी है। तेजस एमके-1ए का निर्माण एचएएल द्वारा किया जा रहा है जबकि इसे बेंगलुरु स्थित डीआरडीओ लैब एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) द्वारा विकसित किया गया है।
तेजस प्रमुख रूप से हवाई युद्ध और आक्रामक तरीके से हवाई सहायता मिशन में काम आने वाला विमान है। यह एकल इंजन और बहु-भूमिका वाला ऐसा बेहद फुर्तीला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान है, जो हवाई क्षेत्र में उच्च-खतरे वाली स्थितियों में संचालन करने में सक्षम है। टोही अभियान को अंजाम देने तथा पोत रोधी विशिष्टताएं इसकी द्वितीयक गतिविधियां हैं। भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल तेजस फाइटर जेट को पूरी दुनिया की प्रश्ंसा मिल रही है। दरअसल एचएएल का यह अत्याधुनिक हल्का लड़ाकू विमान पहले ही सारे परीक्षण बड़ी कुशलता से पास कर चुका है और अमरीका जैसे विकसित देश ने भी तेजस को अपने सेगमेंट में दुनिया के बेहतरीन फाइटर जेट्स में से एक माना है। तेजस की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि पूर्णतया देश में ही विकसित करने के बाद इसकी ?ेरों परीक्षण उड़ान होने के बावजूद अब तक एक बार भी कोई भी उड़ान विफल नहीं रही और न ही किसी तरह का कोई हादसा हुआ। यही कारण है कि कई देशों का भरोसा भारत की ब्रह्मोस मिसाइलों के साथ-साथ तेजस जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों पर भी बड़ा है। भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा रक्षा बजट वाला देश है, जो अभी तक भले ही अपनी ज्यादातर रक्षा सामग्री का विदेशों से आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ वर्षों से भारत रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बड़ा रहा है। इसके साथ ही रक्षा सामग्री के आयातक से निर्यातक बनने की राह पर भी अग्रसर है। रक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2025 तक रक्षा निर्माण में 25 अरब अमरीकी डॉलर (करीब 1.75 लाख करोड़ रुपये) के कारोबार का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 5 अरब डॉलर (35 हजार करोड़ रुपये) के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात लक्ष्य भी शामिल है।
तेजस की विशेषताओं की बात करें तो यह एचएएल द्वारा भारत में ही विकसित किया गया हल्का और मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे वायुसेना के साथ नौसेना की ज़रूरतें पूरी करने के हिसाब से तैयार किया जा रहा है। तेजस संस्कृत भाषा का नाम है, जिसका अर्थ है ‘अत्यधिक ताकतवर ऊर्जा’। ‘तेजस’ का यह अधिकारिक नाम 4 मई 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रखा गया था। मिग-21 लड़ाकू विमानों की पुरानी होती तकनीक को देखते हुए मिग विमानों का उपयुक्त विकल्प तलाशने और घरेलू विमानन क्षमताओं की उन्नति के उद्देश्य से देश में 1981 में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट कार्यक्रम शुरू किया गया था। उसी के बाद 1983 में तेजस विमानों की परियोजना की नींव रखी गई थी। तेजस का जो सैंपल तैयार किया गया, उसने अपनी पहली उड़ान जनवरी 2001 में भरी थी लेकिन सारी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद यह हल्का लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन में 2016 में ही शामिल किया जा सका। 2015 में तेजस को वायुसेना में शामिल करने की घोषणा हुई थी, जिसके बाद जुलाई 2016 में वायुसेना को दो तेजस सौंप दिए गए थे। वायुसेना को करीब दो सौ तेजस विमानों की ज़रूरत है। पिछले वर्षों में वायुसेना एचएएल को 40 तेजस विमानों की खरीद का ऑर्डर दे चुकी है, जिनमें से दो स्क्वाड्रन वायुसेना को मिल चुकी हैं। इसके अलावा 83 तेजस विमानों का नया सौदा भी 2021 में किया गया था। ये सभी तेजस फाइटर जेट वायुसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद वायुसेना की ज़रूरतें पूरा करने में काफी मदद मिलेगी। 83 तेजस मिलने के बाद वायुसेना में तेजस की 6 स्क्वाड्रन हो जाएगी, जिनकी तैनाती अनिवार्य रूप से फ्रंटलाइन पर होगी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कह चुके हैं कि एलसीए-तेजस आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू बेड़े की रीढ़ बनने जा रहा है।
करीब 6560 किलोग्राम वजनी तेजस दुनिया में सबसे हल्का फाइटर जेट है, जो 15 किलोमीटर ऊंचाई तक उड़ सकने में सक्षम एक सुपरसोनिक फाइटर जेट है, जिसके निचले हिस्से में एक साथ नौ प्रकार के हथियार लोड और फायर किए जा सकते हैं। यदि इसे सभी प्रकार के हथियारों से लैस कर दिया जाए, तब इसका कुल वजन 13500 किलोग्राम होगा। लम्बी दूरी की मार करने वाली मिसाइलों से लैस तेजस अपने लक्ष्य को लॉक कर उस पर निशाना दागने की विलक्षण क्षमता रखता है। यह कम ऊंचाई पर उड़कर नजदीक से भी दुश्मन पर सटीक निशाना साध सकता है। यह दूर से ही दुश्मन के विमानों पर निशाना साध सकता है और दुश्मन के रडार को भी चकमा देने की क्षमता रखता है। ‘क्रिटिकल ऑपरेशन क्षमता’ के लिए ‘एक्टिव इलैक्ट्रॉनिकली स्कैंड रडार’ जैसी नवीनतम तकनीक से लैस तेजस में बियांड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल, इलैक्ट्रॉनिक वारफेयर सुइट तथा एयर टू एयर रिफ्यूलिंग की व्यवस्था भी की गई है। इस फाइटर जेट में लगा वार्निंग सिस्टम दुश्मन की मिसाइलों और एयरक्राफ्ट का पता लगा सकता है। मो-9416740584