दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम

विगत दिवस ज़िला तरनतारन के एक गांव में एक महिला के साथ किये गये अमानवीय कृत्य से बेहद शर्मिन्दगी पैदा हुई है। पंजाब में आज भी इस तरह की घटिया मानसिकता का घटनाक्रम व्यापक स्तर पर देखा जा सकता है। खास तौर पर महिलाओं के प्रति दिखाई जाती ऐसी मानसिकता परेशान करने वाली है। यह बात एक ऐसे विवाह प्रकरण से संबंध रखती है, जिसमें संबंधित लड़की के अभिभावकों की सहमति नहीं थी। इस बात को बर्दाश्त न करते हुये लड़की के अभिभावकों और उनके कुछ साथियों ने लड़के की मां के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, जिस तरह उससे मारपीट करने के बाद उसे अर्द्ध-नग्न अवस्था में गांव में घुमाया गया, ऐसी घटना बर्दाश्त से बाहर है।
पुलिस एवं प्रशासन की ओर से दिखाई गई लापरवाही के बाद जब इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की वीडियो जग-जाहिर हो गई तो प्रशासन की नींद खुली। चाहे इस मामले के संबंध में कुछ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, परन्तु इस घटना की चर्चा व्यापक स्तर पर देश-विदेश में हुई है, जिसने पंजाब को तथा प्रशासन को एक बार फिर केन्द्र बिन्दू में ला खड़ा किया है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी स्वयं नोटिस लेते हुए इस घटना की कड़ी निंदा की है। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि यह घटना बहुत परेशान करने वाली तथा भयावह है। उन्होंने कहा कि बहुत आश्चर्यजनक बात है कि कोई भी पीड़ित महिला की सहायता के लिए आगे नहीं आया, न ही पुलिस तथा न ही स्थानीय लोग। उन्होंने बताया कि उन्होंने डी.जी.पी. पंजाब को इस घटना से सम्बद्ध आरोपियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि यदि पुलिस प्रशासन आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करता तो वह आदर्श आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए भारतीय चुनाव आयोग को आरोपियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने के लिए कहेंगी। बात यहीं खत्म नहीं हुई, अपितु यह अब और भी उभर कर सामने आई है, जब पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने तौर पर इसका नोटिस लेते हुए कड़ी टिप्पणियां की हैं। माननीय जस्टिस संजय वशिष्ठ ने तो यहां तक कहा है कि इस घटना संबंधी सुन कर मेरे मन में महाभारत के समय घटित घटनाचक्र ताज़ा हो गया, जिसमें द्रोपदी के चीरहरण पर पांडवों एवं भीष्म पितामह ने चुप्पी साध ली थी। आखिर में एस घटना का अंत रक्त-रंजित युद्ध में हुआ था। आज के युग में एक आम  व्यक्ति यह उम्मीद नहीं करता कि ऐसा कुछ घटित होने के उपरांत भी देश का न्यायिक प्रबन्ध चुप्पी धारण करके रखेगा। उन्होंने कहा कि द्रोपदी के चीरहरण पर पांडव चाहे मौन रहे थे परन्तु हम इस तरह की घटनाओं पर मूक दर्शक नहीं बन सकते।
हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में पुलिस तथा प्रशासन  पर निशाना साधते हुए यह कहा है कि ऐसी घटना के घटित होने पर लापरवाही धारण की गई तथा एकाएक समय पर कार्रवाई करने में प्रशासन बुरी तरह विफल रहा। समाज के भिन्न-भिन्न वर्गों की ओर से जिस तरह की कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं, उनके दृष्टिगत जहां आगामी समय में इस घटना के आरोपियों को कड़ी सज़ाओं के भागी बनाया जाना चाहिए, वहीं समाज के लिए भी यह घटनाक्रम एक उदाहरण बनना चाहिए, कि वह महिला के प्रति अपना रवैया बदले। ऐसे रवैये एवं पैदा हुई मानसिकता के कारण ही आज महिलाओं के प्रति अपराधों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिस पर हर स्थिति में सख्ती के साथ नकेल डालने की ज़रूरत होगी। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द