किसान धरने का हल ढूंढा जाये

हरियाणा के साथ लगती शम्भू एवं खनौरी आदि की सीमाओं पर पिछले दो मास से अपनी मांगों के लिए धरना दे रहे किसानों ने विगत दिवस शम्भू के रेलवे स्टेशन की रेल पटरियों पर भी धरना देकर दिल्ली-अमृतसर रेल यातायात ठप्प कर दिया है। इससे पंजाब से जाने वाले यात्रियों के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। दर्जनों गाड़ियां रद्द करनी पड़ीं या उनके मार्ग बदलने पड़े। कुछ गाड़ियों को वाया चंडीगढ़ भी चलाया जा रहा है। किसानों के धरनों के कारण शम्भू एवं खनौरी आदि स्थानों पर सड़क यातायात पहले ही ठप्प चला आ रहा है। हरियाणा एवं केन्द्र सरकार की रणनीति के तहत दो मास पूर्व किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए शम्भू और खनौरी आदि सीमाओं पर हरियाणा सरकार ने 6-7 लेयर वाली कड़ी नाकाबंदी की थी। जब किसानों ने इस नाकाबंदी को तोड़ने का यत्न किया तो शम्भू एवं खनौरी दोनों स्थानों पर किसानों एवं सुरक्षा बलों के मध्य कड़ा टकराव हुआ, जिसमें हरियाणा की ओर से किसानों पर अश्रु गैस के गोलों की वर्षा की गई। पिस्तौलों एवं 12 बोर की बंदूकों से भी गोलियां चलाई गईं, जिससे सैकड़ों किसान घायल हुये तथा एक युवक शुभकरण सिंह की मृत्यु हो गई है। खनौरी सीमा पर सुरक्षा बल कुछ युवाओं को उठा कर भी ले गये तथा उनके साथ गम्भीर रूप से मारपीट की गई। इनमें प्रीतपाल सिंह का मामला विशेष रूप पर सामने आया। किसान संगठनों को हरियाणा पुलिस के इन अत्याचारों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का द्वार भी खटखटाना पड़ा। पंजाब सरकार तथा उसकी पुलिस ने किसानों पर हुये इन अत्याचारों का कोई गम्भीर संज्ञान नहीं लिया। इस कारण आन्दोलनकारी किसानों में पंजाब सरकार के विरुद्ध भी रोष बढ़ा है। हरियाणा पुलिस ने एक अन्य भड़काऊ कार्रवाई करते हुये मोहाली हवाई अड्डे से दो किसान नेताओं नवदीप जलवेहड़ा एवं मुनीष खटकड़ को गिरफ्तार कर लिया था। एक अन्य युवा किसान गुरकीरत सिंह को भी हरियाणा पुलिस की ओर से किसी और स्थान से गिरफ्तार किया गया है। किसानों का आरोप है कि उन्हें इसलिए पकड़ा गया, क्योंकि वे किसान आन्दोलन में भाग ले रहे थे।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पंजाब एवं हरियाणा के आन्दोलनकारी किसानों, जिनका नेतृत्व मौजूदा समय में संयुक्त किसान मोर्चा (़गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल एवं किसान मज़दूर मोर्चा के नेता सरवण सिंह पंधेर कर रहे हैं, की केन्द्र सरकार के मंत्रियों के साथ चंडीगढ़ में कई चरणों में किसानों की मांगों के संबंध में बातचीत हुई परन्तु यह बातचीत किसी परिणाम पर नहीं पहुंच सकी। किसानों की मुख्य मांगों में स्वामीनाथन की रिपोर्ट के अनुसार सी 2+50 प्रतिशत लाभ के फार्मूले के अनुसार 23 फसलों के लाभकारी मूल्य लेने, पिछले किसान आन्दोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किये गये केस वापिस लेना एवं किसानों पर चढ़े ऋण को माफ करवाना आदि शामिल हैं। केन्द्र सरकार की ओर से किसानों को पांच फसलों का समर्थन मूल्य देने संबंधी पेशकश की गई थी, जिस पर किसानों की ओर से सहमति नहीं दी गई। इसके परिणामस्वरूप यह आन्दोलन पिछले दो मास से चलता आ रहा है। इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के दूसरे गुट एवं अन्य किसान संगठनों ने भी अपने-अपने ढंग से किसानों की इन मांगों संबंधी पंजाब एवं पंजाब से बाहर बड़ी सक्रियता दिखाई है। इस समय स्थिति यह है कि संयुक्त किसान मोर्चा (़गैर-राजनीतिक) एवं किसान मज़दूर संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में किसान शम्भू एवं खनौरी आदि सीमाओं पर अपनी मांगों के लिए धरना दे रहे हैं, परन्तु हरियाणा पुलिस की ओर से तीन किसानों को हिरासत में लिये जाने के विरुद्ध उन्होंने शम्भू के रेलवे स्टेशन तथा रेल पटरियों पर भी धरना दे दिया है। उपरोक्त किसान संगठनों का इस संबंध में पक्ष यह है कि उन्होंने पंजाब तथा हरियाणा की सरकारों के समक्ष गिरफ्तार किये गये अपने साथियों को रिहा करवाने की मांग रखी थी तथा इसके लिए पंजाब तथा हरियाणा के अधिकारियों के साथ कई बार बातचीत भी हुई। उनकी ओर से इसके लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई। 9 अप्रैल के बाद उन्हें इसके लिए कई बार समय भी दिया गया, परन्तु पंजाब एवं हरियाणा के अधिकारी किसानों को रिहा करवाने में असफल रहे, जिस कारण विवशतापूर्ण उन्हेें 17 अप्रैल से अनिश्चित काल के लिए शम्भू रेलवे स्टेशन पर धरना देने की घोषणा करनी पड़ी।
इस संबंध में हमारा स्पष्ट विचार है कि केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार एवं पंजाब सरकार को प्राथमिकता आधार पर बातचीत करके यह मामला हल करवाना चाहिए, क्योंकि पंजाब से दिल्ली के मध्य सड़क यातायात पहले ही बुरी तरह प्रभावित है। लोग पंजाब से दिल्ली जाने के लिए या दिल्ली से पंजाब आने के लिए टेढ़े-मेड़े रास्तों से आने-जाने के लिए विवश हैं जिस कारण उन्हें कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तथा इससे समय भी बहुत ज्यादा लगता है। यात्रियों के साथ-साथ पंजाब से फल-सब्ज़ियां एवं औद्योगिक माल सड़क मार्ग हरियाणा या दिल्ली की ओर भेजने के मामले में भी बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि गांवों की छोटी एवं टूटी सड़कों से माल से भरे ट्रकों का आवागमन बेहद मुश्किल भरा होता है। अब शम्भू रेलवे स्टेशन पर किसानों की ओर से रेल पटरियों पर धरना देने से पंजाब से दिल्ली जाने वाले यात्रियों तथा मालगाड़ियों द्वारा माल बाहर से लाने एवं भेजने का मुख्य मार्ग भी ठप्प हो गया है। ऐसी स्थितियां पैदा होने से हवाई कम्पनियां पहले ही किराये में बेहद वृद्धि कर देती हैं तथा यात्रियों से लूट करती हैं।
आधुनिक दौर में ज़िन्दगी की गतिशीलता बेहद बढ़ी हुई है। प्रतिदिन लोगों को भिन्न-भिन्न कामों के लिए देश-विदेश आना-जाना पड़ता है। इस कारण पंजाब के लोग बेहद मुश्किलों तथा परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इन परिस्थितियों के दृष्टिगत हम अपील करते हैं कि केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार एवं पंजाब सरकार शीघ्र पहलकदमी करके इस मामले को हल करवाएं। आन्दोलनकारी किसानों को भी इस संबंध में तर्कपूर्ण पर लचकीला दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। इस समय देश में 18वीं लोकसभा के चुनावों हेतु गतिविधियां बेहद तेज़ हो चुकी हैं। सरकारों एवं राजनीतिज्ञों का अधिक ध्यान चुनावों की तरफ केन्द्रित है। इस कारण चुनाव आयोग की भी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह इस स्थिति में शीघ्र हस्तक्षेप करे तथा इस मामले को हल करवाने के लिए प्रभावी भूमिका अदा करे। यदि ऐसा नहीं होता तो आगामी समय में इस मुद्दे को लेकर टकराव एवं तनाव और बढ़ सकता है। लोगों के भिन्न-भिन्न वर्गों के मध्य कटुता बढ़ने से अमन-कानून की स्थिति भी बिगड़ सकती है। इस भावना से सभी संबंधित पक्षों को बातचीत के लिए पुन: आगे आना चाहिए तथा प्राथमिकता के आधार पर इस समस्या का हल ढूंढना चाहिए।