मालदीव के साथ संबंध सुधरने की संभावना बढ़ी

हाल ही में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को प्रधानमंत्री  मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पर उनके ही सबसे बड़े विरोधी का भी समर्थन मिला है। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा, ‘भारत.-मालदीव संबंधों के वर्तमान संभावनाओं को देखते हुए उनकी पार्टी डेमोक्रेट्स मोहम्मद मुइज्जू का समर्थन करती है।’ मुइज्जू 9 जून को भारत के प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए नई दिल्ली पहुंचे थे। राष्ट्रपति बनने के बाद मोहम्मद मुइज्जू पहली बार भारत यात्रा पर आए थे। मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आ गई थी, लेकिन अब मुइज्जू को दिल्ली दौरे के बाद एक बार फिर नए रिश्तों को लेकर सुगबुगाहट तेज़ हो गई है। मालदीव के मीडिया पोर्टल सन ने मोहम्मद नशीद के हवाले से कहा कि प्रत्येक चुनाव में देश की विदेश नीति बदल देना मालदीव एवं लोगों के लिए बड़ा नुकसानदेह है। मोहम्मद नशीद की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत-मालदीव के रिश्तों में सुधार होता दिख रहा है। नशीद ने भारतीय प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में मोहम्मद मुइज्जू के शामिल होने का स्वागत किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और प्रधानमंत्री मोदी को उनके धैर्य और दूरदर्शिता के लिए बधाई दी है। उन्होंने मुइज्जू के इस फैसले को भारत के प्रति मालदीव की विदेश नीति में सुधार की संभावना वाला बताया है। इसके साथ ही अब मालदीव के संबंध चीन के साथ कैसे होंग, इस बात पर विश्लेषकों की नज़र है।
मोहम्मद नशीद ने कहा कि मालदीव के लोग इस बात से काफी खुश हैं कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी के ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह को देखने के लिए उनके राष्ट्रपति नई दिल्ली में मौजूद रहे। नशीद ने विपक्ष में रहते हुए मोहम्मद मुइज्जू के ‘इंडिया आउट’ अभियान का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने मुइज्जू के इस कदम को मालदीव के लोगों के लिए भारत के खिलाफ नफरत फैलाने वाला बताया था। दरअसल, साल 2008 से 2012 के बीच मालदीव के राष्ट्रपति रहे मोहम्मद नशीद ने भारत के साथ गहरा संबंध बनाए रखा था। 
गौरतलब है कि राष्ट्रपति मुइज्जू के पदभार संभालने के कुछ समय बाद ही भारत और मालदीव के बीच संबंध खराब हो गए थे। राष्ट्रपति चुनाव में ‘इंडिया आउट’अभियान चलाने वाले मुइज्जू ने सत्ता संभालने के बाद मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों की वापसी पर ज़ोर दिया जो दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान को संचालित करने के लिए वहां मौजूद थे। बाद में इन सैनिकों की जगह भारत ने नागरिक कर्मियों की तैनाती की। भारत के बजाय राष्ट्रपति मुइज्जू ने चीन के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए। इसी साल जनवरी में अपनी पहली चीन यात्रा में उन्होंने भारत के खिलाफ जुबानी हमलों में ज़हर उगला था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण मिलने के बाद मुइज्जू ने कहा था कि वह भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाना चाहते हैं और प्रधानमंत्री  मोदी के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। एक साथ साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यात्रा मालदीव के लिए बहुत सफल रही। उन्होंने प्रधानमंत्री  मोदी के प्रति आभार जताया। राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति (द्रौपदी मुर्मू) और विदेश मंत्री (एस. जयशंकर) के साथ उच्च स्तरीय बैठकें करने के लिए भी आभारी हूं। मुझे विश्वास है कि मजबूत द्विपक्षीय संबंध भविष्य में मालदीव के लिए आकांक्षाओं को और बढ़ाएंगे।
भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा को मालदीव और क्षेत्र के लिए एक सफलता बताते हुए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने मंगलवार को कहा कि ईश्वर की इच्छा से दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों से मालदीव के लोगों के लिए समृद्धि बढ़ेगी। एक बयान में बताया गया कि दोनों राष्ट्रपतियों ने एक बैठक भी की, जिसमें उन्होंने मालदीव और भारत के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मद़बूत करने पर चर्चा की। इसमें कहा गया कि मुर्मू ने मालदीव की नयी सरकार और लोगों को शुभकामनाएं दीं। नयी दिल्ली स्थित राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि मुर्मू ने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में भारत-मालदीव के संबंध मज़बूत होंगे।
दरअसल भारत और मालदीव के बीच कूटनीतिक विवाद सोशल मीडिया पर शुरू हुआ और दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों तक पहुंच गया। यह सब 4 जनवरी को शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया और खूबसूरत द्वीप की तस्वीरें पोस्ट की थीं। हालांकि प्रधानमंत्री  मोदी ने अपने पोस्ट में कहीं भी मालदीव का ज़िक्र नहीं किया था, लेकिन सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया कि जब भारत में इतनी खूबसूरती है तो कोई मालदीव क्यों जाए।
इसका एक संदर्भ भी है। सरकार में बदलाव के कारण मालदीव में भारत विरोधी गुट सत्ता में आ गया। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक व्यक्ति के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के साथ मिलकर द्वपीय राज्य में चुनावों के दौरान ‘इंडिया आउट’ अभियान चलाया था।