क्या उम्मीद रखी जाए ?

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। अरविन्द केजरीवाल इसके मुख्यमंत्री हैं। आजकल वह जेल में हैं लेकिन अपनी हठधर्मिता के कारण वह जेल से ही सरकार चलाने के लिए बज़िद हैं। चाहे इस मामले पर अलग-अलग वर्गों द्वारा और यहां तक कि संबंधित अदालत द्वारा भी उनकी सख्त आलोचना हुई थी, लेकिन इस बात का भी उन पर कोई असर नहीं हुआ। आजकल तीव्र गर्मी के मौसम में दिल्ली का हाल यह है कि वहां के लोग पानी को तरस रहे हैं। विगत काफी दिनों से पानी की कमी को लेकर यह संकट बना हुआ है, जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है। यहां तक कि अब लोग सड़कों पर भी उतर आए हैं।
विगत दिनों भाजपा ने इस संकट को लेकर अलग-अलग स्थानों पर रोष प्रदर्शन किया था। यहां तक कि छतरपुर स्थित दिल्ली जल बोर्ड के कार्यालय की कुछ प्रदर्शनकारियों द्वारा तोड़-फोड़ भी की गई थी। जल बोर्ड से संबंधित मंत्री आतिशी ने इसके लिए भाजपा पर आरोप लगाया है। उसने यह भी कहा कि हरियाणा दिल्ली को पानी नहीं दे रहा, जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दिल्ली की ‘आप’ सरकार पर इस संबंधी गलत-़फहमियां फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अदालत द्वारा दी गई हिदायतों के मुताबिक प्रदेश द्वारा दिल्ली को पूरा पानी दिया जा रहा है। ये भी आरोप लग रहे हैं कि अरविन्द केजरीवाल जब मुख्यमंत्री बने थे तो दिल्ली जल बोर्ड करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा रहा था। केजरीवाल ने साल भर खुद दिल्ली जल बोर्ड के चेयरमैन का पद संभाला था। यह भी आरोप लगता है कि जल बोर्ड की एक साल से भी अधिक समय की आडिट रिपोर्टें गायब हैं। यह भी कि जल बोर्ड भारी कज़र् में डूबा हुआ है। जैसे-जैसे पानी का संकट गहरा होता जा रहा है, वैसे-वैसे लोगों में बेचैनी भी बढ़ रही है। दिल्ली के द्वारिका में पानी को लेकर हुई लड़ाई में कई लोग घायल हो गये हैं। इस स्थिति को सम्भाल सकना दिल्ली सरकार के बस की बात नहीं रही है। ऐसा उसकी काम-चलाऊ नीतियों के कारण ही हुआ है।
दूसरी तरफ पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है। तीव्र गर्मी में भट्ठी की तरह तपते इस प्रदेश के अनेक स्थानों पर लग रहे बिजली के कटों ने जनजीवन को बेहाल कर दिया है। पिछले दिनों जालन्धर के अलग-अलग इलाकों में 8 घंटे बिजली बंद रही। बेहद परेशान हुए लोगों द्वारा हज़ारों ही शिकायतें बिजली निगम के दफ्तर भेजी गई हैं। औद्योगिक शहर लुधियाना का हाल और भी बदतर हुआ दिखाई देता है, जबकि लम्बे-लम्बे कटों के कारण उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है। आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से पहले केजरीवाल तथा भगवंत मान प्रतिदिन उद्योगों को लगातार तथा सस्ती बिजली उपलब्ध करवाने के बयान देते थे, परन्तु अब लगातार बिजली की दरें बढ़ा कर जहां उद्योगपतियों पर बड़ा बोझ डाला जा रहा है, वहीं इसके साथ प्रदेश के व्यापार की हालत भी अधिक दयनीय होती जा रही है। पंजाब में सत्ता प्राप्त करने के लिए ‘आप’ सरकार ने घरों को 300 यूनिट बिजली प्रति महीना मुफ्त देने की घोषणा की थी और सरकार बनने के बाद उस पर क्रियान्यवन करने के कारण बिजली निगम पूरी तरह आर्थिक बोझ के नीचे दब गया है। मुफ्त बिजली देने के कारण प्रदेश में बिजली उत्पादन की जितनी सामर्थ्य है, इसकी मांग आज उससे कहीं अधिक बढ़ गई है। इसकी पूर्ति बिजली निगम द्वारा बाहर से बिजली लेकर करने का यत्न किया जा रहा है, परन्तु घरों को मुफ्त बिजली की योजना लागू करने से सरकार इस कारण बुरी तरह घिरी दिखाई दे रही है, क्योंकि विगत समय में नये घरेलू कनैक्शन लेने की प्रक्रिया में अतीव वृद्धि हुई है। अपनी मासिक खपत 300 यूनिट तक सीमित रखने के लिए अनेक परिवारों ने एक ही घर में कई-कई मीटर लगवा लिए हैं। इनकी संख्या लाखों तक पहुंच गई है और आगामी समय में ऐसे कनैक्शनों में और भी बड़ी वृद्धि होने की सम्भावना बन गई है। प्रदेश में बढ़ती मांग के मुकाबले बिजली खरीदने के लिए भी बिजली निगम के हाथ खड़े होते जा रहे हैं। इस पर धान का मौसम आने के कारण भी बिजली की मांग और बढ़ती जा रही है, जिससे बुरी तरह से घिरे बिजली निगम को अनेक स्थानों पर लम्बे कट लगाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 
सरकार ने मुफ्त बिजली देकर प्रशंसा तो हासिल कर ली, परन्तु इस संबंधी कोई गम्भीर योजनाबंदी न किए जाने के कारण आज इसकी सांस फूली हुई है और आगामी समय में इस संकट के और बढ़ने की बड़ी सम्भावना है। दूसरी ओर पंजाब राज्य बिजली रैगुलेटरी कमिशन की रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि राज्य में बिजली चोरी धड़ल्ले से हो रही है। बिजली चोरी भी उन क्षेत्रों में अधिक हो रही है, जहां ‘आप’ के विधायक या मंत्री हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार बहुत-से फीडरों पर बिजली चोरी के कारण नुकसान 50 प्रतिशत से भी ऊपर चला गया है। सितम्बर 2022 तक ऐसे 407 फीडर थे, जिन पर बिजली चोरी के कारण 50 प्रतिशत से अधिक घाटा पड़ता था। 2023 में ऐसे फीडरों की संख्या बढ़ कर 414 हो गई है, जबकि 2020 में ऐसे फीडर सिर्फ 230 ही थे। मुख्यमंत्री भगवंत मान का हाल यह है कि विधानसभा के मात्र एक उप-चुनाव को लेकर उन्होंने जालन्धर में मकान किराये पर लेकर आगामी समय में अधिक ध्यान उस उप-चुनाव पर ही केन्द्रित करने की घोषणा की है, जबकि प्रदेश प्रत्येक तरफ से बेहद चुनौतियों तथा समस्याओं में घिरा हुआ दिखाई देता है। ऐसे हालात में दिल्ली तथा पंजाब दोनों प्रदेशों की सरकारों तथा इनके प्रशासनों से मुश्किलों में घिरे लोग क्या आशा रख सकते हैं?

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द