हमारे दैनिक जीवन में शामिल हो चुकी है ए.आई.

आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस (ए.आई.) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता अब सिर्फ विज्ञान तक सीमित नहीं रही। यह हमारे दैनिक जीवन में ऐसे ढंग से शामिल हो चुकी है कि हम अक्सर यह महसूस भी नहीं कर सकते कि यह हमारे आस-पास कैसे काम कर रही है। जैसे कि आइफोन में सिरी (स्पीच इंटरप्रीटेशन एंड रोकोग्नेशन इंटरफेस), स्वै-चालित कारों, एमेज़ान की अलेक्सा या फिर अस्पतालों में बीमारी की पहचान करने वाली एप्स, से सभी चीज़ें ए.आई. के उपयेग में हैं, परन्तु प्रश्न यह पैदा होता है कि आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस आखिर है क्या और यह हमारे जीवन, डाटा और मशीनों के साथ कैसे जुड़ी हुई है।
हम आज डाटा युग में जी रहे हैं। 2009 से अब तक विश्व भर में डाटा की मात्रा 44 गुणा बढ़ गई है। इस वृद्धि के पीछे सोशल मीडिया, स्मार्ट फोन और इंटरनैट जैसी चीज़ें हैं। ये भारी मात्रा में उपलब्ध डाटा एक नई आर्थिकता, डाटा अर्थव्यवस्था को जन्म दे रहा है, जहां कम्पनियों उत्पादों की नहीं, अपितु डाटा की समझ तथा इसके उपयोग की प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, परन्तु यह अनसंख्य डाटा का कोई लाभ नहीं, जब तक हम इससे अर्थपूर्ण जानकारी न निकालें। यहां आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस हमारी मदद करती है। 
ए.आई. वास्तव में वह तकनीक है जो मशीनों को मानवीय बुद्धि वाली गतिविधियां करने के योग्य बनाती है, जैसे कि सीखना, सोचना, समस्या का समाधान करना और यहां तक कि भावनाओं को भी समझना। कुछ उदाहरण हैं—जैसे कि स्वै-चालित कारें जो सड़क के निशान पहचान करके सुरक्षित मार्ग चुनती हैं, आईफोन सिरी या एमेज़ान की अलेक्सा जो आवाज़ी आदेशों को समझती है, गूगल का आल्फागो, जिसने विश्व के सबसे बढ़िया गो खिलाड़ी को हराया था और आईबीएम वैस्टन जो डाक्टरों को रोग की पहचान करने में मदद करता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि ए.आई. मशीनों को सोचने, समझने तथा काम करने के योग्य बना कर कई उद्योगों में क्रांति ला रही है। 
ए.आई. के काम करने का आधार मशीन लर्निंग (एम.एल.) पर निर्भर करता है। यह तरीका मशीनों को डाटा से सीखने तथा समय के साथ-साथ अपने आप में सुधार करने के योग्य बनाता है। यह क्रम कुछ ऐसे चलता है। पहले डाटा साइंस द्वारा डाटा इकठ्ठा करके तैयार किया जाता है, फिर मशीन लर्निंग उस डाटा से पैट्रन सीखती है। 
डाटा विश्वेषण कर उस पैट्रन में से अर्थ ढूंढती है और अंत में ए.आई. उन अर्थों के आधार पर फैसला लेती है। यह क्रम कुछ ऐसे ही है जैसे इन्सान अनुभव से सीखते हैं, परन्तु मशीन यह सब कुछ बिजली की रफ्तार से कर सकती है। मशीन लर्निंग की खास बात यह है कि इसमें मशीन को प्रत्येक काम के लिए सीधे तरीके से कोड नहीं किया जाता,अपितु यह उदाहरणों के आधार पर अपने आप सीखती है। उदाहरण स्वरूप यदि आप मशीन को हज़ारों बिल्लियों तथा कुत्तों की तस्वीरें दिखाएं तो यह अपने आप सीख लेगी कि दोनों में क्या अंतर है। यह तरीका स्पैम तथ गैर-स्पैम ई-मेल्स की पहचान, ग्रहकों का वर्गीकरण तथा क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी जैसे अजीब पैट्रन ढूंढने में इस्तेमाल किया जाता है। आज मशीन लर्निंग का वास्तविक दुनिया में बहुत इस्तेमाल हो रहा है। स्वास्थ्य सम्भाल क्षेत्र में यह कैंसर जैसे रोगों की पहले पहचान करने, उपचार के नतीजे, भविष्यवाणी करने तथा नई दवाइयों की खोज में इस्तेमाल की जाती है। गूगल डीपमाइंड हैल्थ तथा बायो बीट्स जैसी कम्पनियां इस क्षेत्र में आगे हैं। 
इस पूरी बातचीत से प्रश्न पैदा होता है कि विद्यार्थियों तथा आम नागरिकों को ए.आई. के बारे में जानकारी हासिल करना क्यों ज़रूरी है? इसका साधारण उत्तर यह है कि क्योंकि आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस सिर्फ एक रूझान नहीं, अपितु भविष्य की हकीकत है। स्मार्ट घरों से लेकर स्मार्ट शहरों तक, आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस हमारी नौकरियों, शिक्षा, यातायात तथा स्वास्थ्य ढांचे को बदल कर रख देगी। 
-मो. 84279-04455

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