नये समर्थन मूल्य

देश भर में जून से लेकर सितम्बर तक साउणी की फसलों का उत्पादन किया जाता है। केन्द्र सरकार द्वारा इस बार समय पर इन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी गई है। यह देश भर के किसानों की फसलों की काश्त संबंधी योजनाबंदी करने में सहायता करेगा। इस समय में पैदा होने वाली फसलें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। साउणी की मुख्य फसल धान की है लेकिन इसके साथ-साथ सरकार की नीति बाजरा और मक्की की फसल को उत्साहित करने की भी है। देश की खाद्य ज़रूरतें पूरी करने के लिए अभी भी बड़ी मात्रा में विदेशों से अलग-अलग तरह के खाने वाले तेल और दालें आयात की जाती हैं। 
इन फसलों की काश्त को उत्साहित करने के लिए सरकार ने सूरजमुखी, मुंगफली और तिल की फसलों सहित 14 फसलों की कीमतों में भारी वृद्धि की है। सूरजमुखी की फसल में 520 रुपये की भारी वृद्धि की गई है। अब इसकी निर्धारित कीमत 7280 रुपये प्रति क्ंिवटल होगी। इसी तरह मुंगफली की काश्त को उत्साहित करने के लिए इसमें 406 रुपये की वृद्धि की गई है। इसकी खरीद कीमत अब 6783 रुपये प्रति क्ंिवटल होगी। सबसे बड़ी वृद्धि तिलों की काश्त को उत्साहित करने के लिए की गई है, जो कि 632 रुपये है। इस प्रकार तिलों का खरीद मूल्य अब 9267 रुपये प्रति क्विंटल होगा। इसके साथ-साथ दालों के उत्पादन को उत्साहित करने के लिए भी कीमतों में भारी वृद्धि का ऐलान किया गया है। सरकार गरीब वर्गों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करने के लिए कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। आने वाले पांच वर्षों में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाएगा। नई खरीद नीति के ऐलान के अनुसार किसानों को अलग-अलग फसलों के समर्थन मूल्य उपलब्ध करने के लिए सरकार दो लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। पिछले वर्ष के मुकाबले यह राशि 35 हज़ार करोड़ रुपये अधिक होगी। अपनी तीसरी पारी की शुरुआत में ही पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश में अपने चुनाव क्षेत्र वाराणसी का दौरा किया था। इसी दौरे के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की अलगी कड़ी के दृष्टिगत 17वीं किश्त जारी की थी, जिसके अनुसार उन्होंने देशभर के किसानों को 20 हज़ार करोड़ रुपये की राशि भेजी है। इसमें सरकार की एक और बड़ी प्राप्ति यह कही जा सकती है कि अब तक इन 17 किश्तों में किसानों को सवा तीन लाख करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं, जो सीधे किसानों के खातों में गये हैं। दुनिया में भारत चावल और चीनी का उत्पादन करने वाला दूसरा बड़ा देश है। इन दो वस्तुओं के और उत्पादन तथा आयात में वृद्धि के साथ भारत की आर्थिकता को और भी बड़ा समर्थन मिल सकता है।
अब तक कुछ फसलों के न्यूनतम खरीद मूल्य घोषित होने की व्यवस्था के साथ बड़े रूप में पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश आदि राज्यों को अधिक फायदा हुआ है। इन राज्यों में अब छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश भी शामिल हो गये हैं। अब जिस प्रकार साउणी की अलग-अलग फसलों के लिए कम से कम समर्थन मूल्यों का ऐलान किया गया है, उनके साथ तेल और दालों की काश्त बढ़ाने के लिए देश के किसानों में अधिक उत्साह पैदा हो सकता है और इस प्रकार इन वस्तुओं के आयात को भी कम किया जा सकेगा। आज भी भारत मुख्य रूप में कृषि आधारित देश है और इससे भी अधिक इस धंधे में अब तक भी रोज़गार के अधिक अवसर बने हुए हैं। इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि इस क्षेत्र में सरकार द्वारा पहल के आधार पर निरंतर ऐसी योजनाओं को आगे बढ़ाया जाए, जिनसे करोड़ों लोगों के लिए रोज़गार के और भी साधन पैदा हो सकें। इसके साथ ही इस बात को भी यकीनी बनाया जाना ज़रूरी है कि देश के अन्न भंडार के लिए खरीदी गई फसलों की अच्छी देखभाल हो और इनके होते बड़े नुकसान को हर सूरत में रोका जाए।

—बरजिन्दर सिंह दमदर्द