अनोखा अनुभव है हवा में चलने का बैंकाक (थाईलैंड) का स्काईवॉक

हम हवा में उड़ने की, हवा में बड़ी-बड़ी उड़ान भरने की बातें बहुत करते हैं, परन्तु क्या कभी हवा में चलने की बात भी की है? हवा में चलना अब वास्तव में बहुत आसान और उत्साहजनक है।
हम बात कर रहे हैं स्काईवॉक (Skywalk) की। स्काईवॉक या तो दो इमारतों को आपस में जोड़ता है या पहाड़ी स्थानों के दो ऊंचाई वाले स्थानों (Elevated points) को जोड़ता है। जिस तरह के स्काईवॉक के सफर की हम बात कर रहे हैं, वह कांच (शीशे) का बना होता है, जिस पर चल कर लोग बहुत ऊंचाई से नीचे पारदर्शी शीशे में से सड़क तथा अन्य इमारतों को देख सकते हैं। स्काईवॉक भारत में सिक्किम व केरला में भी है। दुनिया के बहुत से देशों में स्काईवॉक बने हुए हैं। चीन में दुनिया का सबसे बड़ा स्काईवॉक है।
आज हम बात करेंगे माहानाखोन स्काईवॉक (Mahanakhon Skywalk) की जोकि बैंकाक की बहुत ही अलग भवन निर्माण वाली इमारत में 78वीं मंज़िल पर बना है। इस इमारत को थाईलैंड की सबसे ऊंची ईमारत का दर्जा मिला है यानि थाईलैंड की सबसे ऊंची इमारत के ऊपर हवा में चलने के बारे में सोच कर ही एक अलग तरह का उत्साह होना ज़रूरी है। इस इमारत का स्टील और गिलास का ढांचा बाकी इमारतों से अलग ही खड़ा दिखाई देता है। 314 मीटर ऊंची इमारत से 360 डिग्री दृश्य दिखाई देता है बैंकाक का।
इसमें लगी कांच की ट्रे 60 वर्ग मीटर चमकीले फर्श की बनी हुई हैं। इसके 6 कांच के पैनल हैं जो मुख्य ढांचे पर चढ़ाए गये हैं। प्रत्येक पैनल का विस्तार 4 गुणा 2.7 मीटर और 2.6 टन का भार है। प्रत्येक पैनल को 1.52 एम.एम. शीशे और 12 एम.एम. मोटाई के गर्मी सहन करने वाले लोहे के ऐंगलों  (Low Iron) वाले शीशे के साथ बारी-बारी जोड़ा गया है, जिसके साथ 13 प्लाई शीशे की अंतर लेयर का निर्माण किया गया है। इतनी ज्यादा कांच की परतें  (Layers) के बाद भी ऐसा लगता है, जैसे आप एक पतले शीशे पर खड़े हो पारदर्शिता देख कर यकीन नहीं होता कि 12 से 13 परतों में से इतनी साफ नीचे ज़मीन दिखाई देती है। स्काईवॉक क्योंकि बहुत ही ऊंचाई पर बना हुआ है और तेज़ हवा के बहाव का एक बहुत बड़ा रोल है, जिसको स्काईवॉक के निर्माण को ध्यान में रखा जाता है। इसलिए शीशे के वज़न से अधिक वज़न वाले पैनलों के अंदर यांत्रिक विज्ञान आधारित फिटिंगें की गई हैं ताकि हवा से कोई नुकसान न हो सके।
बनने के बाद स्काईवॉक के स्पैशल मैनूपलेटर जोकि खास तौर पर भारी पैनल उठाने के लिए काम आते हैं, की सहायता से पारदर्शी फर्शों को उनके स्थान पर बड़े-बड़े सक्शन कपों के साथ फिट किया गया प्रत्येक शीशे वाला पैनल एक समय पर 800 लोगों का वज़न सहन कर सकता है। स्काईवॉक के 46 शीशों के पैनल का कुल मिला कर वज़न 83000 पौंड है।
स्काईवॉक का स़फर
विदेशों की एक खासियत है कि जिस चीज़ को देखने के लिए पर्यटक जाते हैं, अकेली वही चीज़ बढ़िया, अलौकिक या आकर्षक नहीं बनाई होती, उस तक पहुंचने तक का रास्ता भी किसी यादगारी दृश्य से कम नहीं होता। यहां यह ज़िक्र करना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि जिस इमारत में स्काईवॉक बना है, उस इमारत का कला निर्माण अपने-आप में ही काबिले-ताऱीफ है। असली मज़ा तब शुरू होता है जब स्काईवॉक की 78वीं मंज़िल तक पहुंचने के लिए वीडियोज़ के किसी न किसी थीम वाली लिफ्ट में ले जाया जाता है।
 इस लिफ्ट की चारों दीवारों पर वीडियो चलती है और 74वीं मंज़िल पर 50 सैकेंड में इस लिफ्ट के ज़रिये पहुंचते हैं। यह थाईलैंड की सबसे तेज़ वीडियोज़ वाले थीम (Theme) वाली लिफ्टों में से एक है, 50 सैकेंड के बाद उतनी ऊपर पहुंच कर लिफ्ट खुलती है तो जैसे यकीन ही नहीं होता।
74वीं मंज़िल से बाहर निकल कर स्काईवॉक देखने की इच्छा और भी बढ़ जाती है। स्काईवॉक तक पहुंचने से पहले परीक्षणशाला (Observatory) मंज़िल में से गुज़रना पड़ता है, जोकि 74वीं मंज़िल पर है। यहां बैंकाक शहर का नज़ारा एक ही स्थान पर खड़े होकर घूमकर देख सकते हैं। Observatory deck के बाद सामने स्काईवॉक का प्लेटफार्म, नीचे गाड़ियां, रास्ते, सड़कें, इमारतें आदि दिखती हैं, जिसको पहली बार देख कर डर लगता है और मन में विचार आता है कि इस पर चलना तो दूर, खड़े होना भी नामुमकिन है। पर क्योंकि यहां तक पहुंच कर वापिस मुड़ना पंजाबियों वाली बहादुरी नहीं, इसलिए अपने आपको हिम्मत देनी बनती है। अपने जूतों पर प्रबंधकों द्वारा दिये कवर डालकर ही स्काईवॉक पर चल सकते हैं और हाथों में फोन या कोई भी चीज़ नहीं पकड़ सकते, जो हाथ से छूट जाने पर शीशे का नुकसान हो सकता है।
अब बारी आती है स्काईवॉक पर पैर रखने की, कई लोग डर कर घुटनों के बल बैठ रहे थे और कई बड़े आराम के साथ उसके ऊपर चल रहे थे। ऐसे लोगों को चलते देखकर दूसरों का आत्म-विश्वास भी बढ़ता है।
धीरे-धीरे हिम्मत करके जब स्काईवॉक पर पैर रखते हैं, कदम-कदम चलने से डर निकलता जाता है। फिर जो नज़ारा स्काईवॉक से बैंकाक का दिखता है, इमारतें, मंदिरों की रंगदार छतें, नदी, राजा का महल, ऐसा लगता है कि जैसे दूर-दूर तक घर और इमारतें ही हैं और इनको आपस में चिपका दिया गया है। नीचे देखो तो नज़ारा बहुत ही गहरा लगता है, जैसे सड़कें और गाड़ियां चींटियों की तरह हों। मन में तो हमेशा यह विचार रहता है कि शीशा टूट न जाए, हम गिर न जाएं, लेकिन ऐसे खूबसूरत जोखिम भरे स्थान पर, यह शीशे के प्लेटफार्म पर बैठ कर, चल कर और कई लोगों द्वारा लेट कर अलग ही आनंद लिया जाता है।
360 डिग्री पर पूरा बैंकाक शहर आपके सामने होता है और चींटी की आंख जैसे खूबसूरत स्काईलाईन (Skyline)) के नीचे का नज़ारा दिखता है।
स्काईलाईन पर रहने की कोई समय सीमा नहीं है। स्काईलाईन से उतर कर भी बैंकाक शहर का नज़ारा लिया जा सकता है क्योंकि मुंडेर पर बैठने की और टहलने की पूरी सुविधा है।
स्काईलाईन पर खड़े होकर, चलते-चलते, हल्के-हल्के डर के साथ मन में विचार आता है कि कैसे इन्सान ने अपने दिमाग और विज्ञान की तरक्की के साथ इतने बढ़िया सुरक्षित प्रबंध बना लिये हैं, जिनके साथ वास्तव में यह अनुभव होता है कि हवा में बहुत ऊंचाई पर अपने पैरों के साथ चल-फिर रहे हैं।

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