बजट की उपलब्धि

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश करते हुए जहां देश की आर्थिकता के प्रत्येक पक्ष को छुआ गया, वहीं यह बजट पेश करते हुए सीतारमण ऐसी वित्त मंत्री बनीं, जिन्होंने अब तक लगातार लोकसभा में सबसे अधिक बार बजट पेश किए हैं। इसके बाद सत्तारूढ़ तथा विपक्षी दलों की ओर से दोनों सदनों में लगातार बजट पर भरपूर बहस होती रही। जहां सत्तारूढ़ पक्ष इस बजट पर होने वाली उपलब्धियों को गिनाता रहा, वहीं विपक्षी दल के नेताओं की ओर से इसे अनेक पक्षों से अपूर्ण बताया गया।
उन्होंने खास तौर पर देश में बढ़ती महंगाई तथा बेरोज़गारी का ज़िक्र किया तथा यह कहा कि इसमें बिहार एवं आंध्र प्रदेश आदि राज्यों को इस कारण अधिक फंड दिए गए हैं, क्योंकि जनता दल (यू) एवं तेलुगू देशम पार्टी ने मोदी सरकार बनाने के लिए गठबंधन के भागीदारों के रूप में भाजपा का साथ दिया है, जबकि देश के अन्य अधिकतर राज्यों का इसमें ज़िक्र तक नहीं किया गया। राहुल गांधी ने इसमें जहां किसानों को समर्थन मूल्य न दिये जाने पर आपत्ति व्यक्त की, वहीं इसे आर्थिक मंदी का बजट भी कहा। उन्होंने प्रधानमंत्री सहित छ: व्यक्तियों का ज़िक्र किया, जिनमें दो धन कुबेरों के नाम भी लिए गए, जो समूचे देश को चला रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने बजट से परे हटते हुए देश में जाति आधारित जनगणना करवाने पर भी बार-बार ज़ोर दिया। इसके बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री ने लोकसभा तथा राज्यसभा में इस बहस का जवाब देते हुए यह दावा किया कि आज देश विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थ-व्यवस्था है। उन्होंने यह भी कहा कि चाहे उन्होंने सभी राज्यों का नाम नहीं लिया परन्तु प्रत्येक राज्य के लिए बजट में आवश्यक आर्थिक व्यवस्था की गई है। 
चालू वित्तीय वर्ष के कुल 48.21 लाख करोड़ रुपए के बजट में हर वर्ग तथा क्षेत्र का ध्यान रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के समूचे घरेलू उत्पाद में 8.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इस तरह भारत ने आर्थिक मोर्चे पर विश्व के सबसे अधिक तेज़ी से बढ़ते देशों में अपना नाम दर्ज करवाया है। विपक्षी दलों की ओर से शिक्षा क्षेत्र में बहुत कम राशि आरक्षित रखे जाने का बार-बार ज़िक्र किया गया था, परन्तु वित्त मंत्री का दावा है कि इस क्षेत्र के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये रखे हैं, जो पिछले वर्ष से अधिक राशि है। विपक्षी दलों के सदस्यों ने किसानों की समस्याओं एवं मामलों का बार-बार ज़िक्र किया। राहुल गांधी ने सरकार की ओर से किसानों को दृष्टिविगत करने का आरोप लगाते हुए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग की तथा बार-बार इस संबंध में सरकार को घेरा। इसके जवाब में सीतारमण ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की ओर से अपनी सिफारिशें वर्ष 2006 में की गई थीं, परन्तु उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने इन्हें स्वीकार नहीं किया था। यह भी कि कांग्रेस के समय में ही मंडल आयोग की रिपोर्ट सामने आई थी, जिसे भी तत्कालीन सरकार ने लागू नहीं किया था। 
चाहे सरकार की ओर से बजट पेश करते हुए और इस संबंध में बहस के दौरान बड़े दावे ज़रूर किए गए परन्तु आज भी बेरोज़गारी एवं महंगाई के मुद्दे सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इन क्षेत्रों में की गई उपलब्धियां ही सरकार की स्थिति मज़बूत बनाएंगी। अभी तक भी देश अनेकानेक चुनौतियों से जूझ रहा है, जिनसे भावपूर्ण तथा सन्तोषजनक ढंग से निपटने में ही सरकार की सफलता मानी जाएगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द