पंजाब विधानसभा के उप-चुनाव

अलग-अलग पार्टियों द्वारा उम्मीदवारों के नामों पर विचार

हार हो जाती है जब मान लिया जाता है।
जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।।
(शकील आज़मी)
हालांकि अभी पंजाब के चार विधानसभा गिद्दड़बाहा, बरनाला, डेरा बाबा नानक और चब्बेवाल के उप-चुनावों की तिथियों का कोई ऐलान नहीं हुआ लेकिन अकाली दल के संभावित उम्मीदवार और सुखबीर सिंह बादल के निजी दोस्त रहे हरदीप सिंह डिम्पी ढिल्लों के ‘आप’ में शामिल हो जाने की घटना ने पंजाब की राजनीति में हड़कम्प मचा दिया है, जिसके साथ पंजाब विधानसभा के उप-चुनाव, खासतौर पर गिद्दड़बाहा विधानसभा का उप-चुनाव पंजाब की राजनीति का सबसे चर्चित विषय बन गया है। अब तक की स्थिति के अनुसार यह सीट एक ‘वी.आई.पी.’ सीट बन गई है लेकिन यह सीट अकाली दल के लिए तो जीवन-मरण का सवाल बनती जा रही है, क्योंकि यह इलाका अकाली दल का गढ़ माना जाता है। अब यदि अकाली दल यह सीट नहीं जीतता अथवा कम से कम बहुत कम फर्क के साथ दूसरे नम्बर पर नहीं आता, तो यह अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल के लिए एक बड़ा झटका होगा। परन्तु यदि अकाली दल यह सीट जीत जाता है तो यह अकाली दल बादल के सत्ता की तरफ वापिस लौटने का ठीक उसी तरह ही आधार बन सकता है, जैसे अकाली दल के लिए 1995 की गिद्दड़बाहा उप-चुनाव में मनप्रीत सिंह बादल की जीत आधार बनी थी लेकिन इस बीच अकाली दल और श्री अकाल तख्त साहिब के फैसले का क्या असर पड़ता है, यह भी देखने वाली बात है।
 हमारी समझ के अनुसार जिस प्रकार एक तख्त केसगढ़ साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को इस मामले में सिरसा डेरे के साध की माफी के मामले में पूर्व सिंह साहिबान ज्ञानी गुरबचन सिंह तथा बाकी जत्थेदारों को भी शामिल करने के लिए कहा है और अन्य पक्ष भी जुबानी और लिखित रूप में अपनी-अपनी भी सलाह दे रहे हैं, उस कारण यह मामला ज्यादा महत्वपूर्ण बन गया है। सिंह साहिबान पर भी इस संबंधी काफी दबाव बना नज़र आ रहा है। इस बीच सुखबीर सिंह बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब और सिंह साहिबान की बैठक से पहले बलविंदर सिंह भूंदड़ को अकाली दल का कार्यकारी प्रधान बना कर स्थिति को सुधारने की ओर भी एक कदम उठाया है। इन उप-चुनावों में अकाली दल के लिए दो बातें बहुत लाभदायक प्रतीत होती हैं। पहली बात तो यह कि इन चुनावों में अकाली दल के ब़ागी गुट द्वारा उम्मीदवार खड़े नहीं किये जा रहे। दूसरी यह संभावना भी बहुत अधिक है कि इस बार दो लोकसभा सीटें जीते नये पंथक गुट द्वारा भी इन चुनावों में उम्मीदवार खड़े करने की संभावना न के बराबर है। 
हमारी जानकारी के अनुसार भाई अमृतपाल सिंह के पिता भाई तरसेम सिंह को सलाह दी जा रही है कि वह पहले सिर्फ शिरोमणि कमेटी चुनावों पर ही ध्यान केंद्रित करें। इस प्रकार इस बार अकाली दल के वोट विभाजित होने के आसार बहुत कम हैं। इन हालात में यदि गिद्दड़बाहा से मनप्रीत सिंह बादल भाजपा के उम्मीदवार नहीं बनते और खुद सुखबीर सिंह बादल चुनाव लड़ते हैं तो इस सीट पर मुकाबला बहुत दिलचस्प हो जाएगा, क्योंकि यह तो स्पष्ट ही है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान इस सीट पर पूरा ज़ोर लगाएंगे, परन्तु इस सीट पर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरेन्द्र सिंह राजा वड़िंग का भी अच्छा प्रभाव है, परन्तु हां, यदि मनप्रीत सिंह बादल स्वयं भाजपा के उम्मीदवार बनते हैं तो वह अकाली दल का कुछ न कुछ नुक्सान ज़रूर करेंगे।
़खेल ज़िन्दगी के तुम ़खेलते रहो यारो,
हार-जीत कोई भी आ़िखरी नहीं होती।
(हस्तीमल हस्ती)
अकाली दल के सम्भावित उम्मीदवार
जिस तरह का माहौल तथा परिस्थितियां बनती जा रही हैं, उनके अनुसार अकाली दल को गिद्दड़बाहा सीट से अपने प्रधान सुखबीर सिंह बादल को ही मैदान में उतारना पड़ेगा। हालांकि यहां से कंवरजीत सिंह रोज़ी बरकंदी तथा तेजिन्द्र सिंह मिट्ठूखेड़ा के नाम भी सम्भावित उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं, जबकि एक चर्चा यह भी है कि मनप्रीत सिंह बादल घर वापिसी करके उम्मीदवार बन सकते हैं, परन्तु 99 प्रतिशत सम्भावना और हालात सुखबीर सिंह बादल के स्वयं चुनाव लड़ने की ओर संकेत करते दिखाई देते हैं, क्योंकि क्षेत्र के ज्यादातर अकाली उन्हें स्वयं चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं।
डेरा बाबा नामक से अकाली दल के संसदीय बोर्ड के समक्ष दो नाम ही प्रमुखता से आए बताये जा रहे हैं। एक पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह के बेटे सुखजिन्दर सिंह सोनू लंगाह और दूसरा नाम गुरप्रताप सिंह खुशहालपुर का बताया जाता है।
हल्का बरनाला से अकाली दल के संसदीय बोर्ड की ओर से पूर्व विधायक मलकीत सिंह कीतू के बेटे कुलवंत सिंह की सिफारिश किये जाने की सूचना है, जबकि चब्बेवाल हल्के से पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल तथा नीति तलवाड़ के अतिरिक्त एक अन्य नाम पर अभी विचार किया जा रहा है।
कांग्रेस के सम्भावित उम्मीदवार
हालांकि गिद्दड़बाहा हल्के से पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरेन्द्र सिंह राजा वड़िंग की पत्नी अमृता का नाम बहुत चर्चा में है। वह एक शक्तिशाली उम्मीदवार माने जाते हैं तथा वह एक प्रभावशाली चुनाव प्रचारक तथा मैनेजर भी हैं, परन्तु यहां से कांग्रेसी नेता नरेन्द्र सिंह कौणी तथा हरचरण सिंह सेखा का नाम भी चर्चा में है। डेरा बाबा नानक से टिकट सांसद सुखजिन्दर सिंह रंधावा की इच्छा से ही मिलेगी। ज्यादा चर्चा उनकी पत्नी जतिन्दर कौर की है। वैसे उनके भाई इन्द्रजीत सिंह रंधावा का नाम भी चर्चा में है।
बरनाला से कांग्रेस टिकट ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह काला ढिल्लों या पूर्व मंत्री विजय इन्द्र सिंगला में से किसी एक को मिलने की सम्भावना है। चब्बेवाल हल्के से अभी स्पष्ट रूप में कांग्रेसी टिकट के किसी बड़े दावेदार के नाम को लेकर स्थिति उलझन भरी बनी हुई है।
‘आप’ के सम्भावित उम्मीदवार 
हालांकि गिद्दड़बाहा चुनाव क्षेत्र हेतु यह चर्चा बहुत ज़ोरों पर है कि अकाली दल से ‘आप’ में शामिल हुए हरदीप सिंह डिम्पी ढिल्लों ही उम्मीदवार होंगे, परन्तु जैसे इस टिकट की घोषणा में देरी हो रही है तथा जैसे कुछ स्थानीय नेता ‘आप’ के दिल्ली स्थित नेतृत्व के सम्पर्क में हैं, उसके अनुसार डिम्पी ढिल्लों की टिकट अभी भी चाहे 99 प्रतिशत पक्की मानी जा रही हो परन्तु इसे 100 प्रतिशत पक्का नहीं कहा जा सकता। यहां पार्टी टिकट के चाहवानों में प्रितपाल शर्मा, राज बलविन्दर सिंह मराड़, सुखजिन्दर कौणी तथा डा. ओंकार के नाम भी चर्चा में हैं। चब्बेवाल से टिकट सांसद राज कुमार चब्बेवाल की इच्छा के अनुसार ही दिये जाने की सम्भावनाएं हैं, जिनमें चब्बेवाल के भाई डा. जतिन्द्र कुमार के पुत्र गौरव के नाम के अतिरिक्त हरमिन्दर संधू तथा एक अन्य व्यक्ति के नामों की भी चर्चा है। डेरा बाबा नानक से ‘आप’ की टिकट हल्का प्रभारी गुरदीप रंधावा, अमरजीत उदोवाली तथा चरणजीत बाठ में से किसी एक को मिलने की सम्भावना है। बरनाला से टिकट लोकसभा   सांसद मीत हेयर की इच्छा के अनुसार ही मिलने की सम्भावना अधिक  है। यहां से ‘आप’ के सम्भावित उम्मीदवारों में जी.एस. डीनीवाल, हसनप्रीत भारद्वाज, गुरदीप बाठ, दलबीर गोल्डी या उनकी पत्नी में से किसी एक को मिलने की चर्चा है।
भाजपा के सम्भावित उम्मीदवार
पंजाब विधानसभा के उप-चुनावों में भाजपा की ओर से अभी तक तो गिद्दड़बाहा से मनप्रीत सिंह बादल का नाम ही चर्चा में है, परन्तु उनके संबंध में और कई तरह की सच्ची-झूठी बातें भी चर्चा में हैं। चब्बेवाल से भाजपा के पास कोई ज्यादा उम्मीदवार नहीं हैं परन्तु एक चर्चा यह है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला को यहां से चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है। डेरा बाबा नानक से रवि किरण सिंह काहलों तथा बरनाला से केवल सिंह ढिल्लों के नाम भी सबसे आगे बताये जा रहे हैं।

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