पहली चाबी कहां बनाई गई?
‘दीदी, आज मम्मी अपनी अलमारी की चाबी रखकर कहीं भूल गईं। जब वह चाबी तलाश कर रही थीं और मैं भी उनका साथ दे रहा था तो मैं सोचने लगा कि पहली चाबी कहां बनायी गई होगी?’
‘बड़ा दिलचस्प सवाल है। प्राचीन मिस्री पहले लोग थे जो दरवाज़ा खोलने के लिए एक प्रकार की चाबी का इस्तेमाल करते थे।’
‘तो वह वास्तव में आज जैसी चाबी न थी।’
‘हां। उनका ताला लकड़ी के बोल्ट से बना होता था जोकि एक स्लॉट में फिट होता था। स्लॉट के ऊपर लकड़ी के पिन कसे होते थे, जिन्हें टम्बलर्स कहते थे और उन्हें मूव किया जा सकता था। जब बोल्ट अपनी जगह पर सरक जाता तो बोल्ट में कटे हुए छेदों के अंदर लकड़ी के टम्बलर्स गिरा दिए जाते। बोल्ट मज़बूती से कसा रहता जब तक कि चाबी से टम्बलर्स को ऊपर न उठा दिया जाता।’
‘यानी पहली चाबी, आज की चाबी सी दिखायी नहीं देती थी।’
‘वह विशाल टूथब्रश की तरह दिखायी देती थी, जिसमें एक सिरे पर बालों की जगह पेग्स होते थे। जब चाबी को स्लॉट में डाला जाता तो पेग्स टम्बलर्स के नीचे चले जाते। चाबी को ऊपर उठाने से टम्बलर्स बोल्ट से बाहर आ जाते, जिन्हें फिर आसानी से वापस उनकी जगह पहुंचाया जा सकता था।’
‘इसका मतलब तो यह हुआ कि मिस्री चाबी दरवाज़े की उस साइड पर ही इस्तेमाल की जा सकती जिस तरफ बोल्ट होता था।’
‘सही समझे। फिर यूनानियों ने खोजा कि बोल्ट को दरवाज़े की दूसरी तरफ से भी गिराया जा सकता था।’
‘वह किस तरह से?’
‘वह दरवाज़े में बोल्ट के ऊपर के छेद में से चाबी को अंदर डालते जब तक कि उसकी टिप अंदर की तरफ बोल्ट के निशान को स्पर्श न कर जाती। यूनानी चाबी घुमावदार बार थी, शेप और साइज़ में जैसा कि किसान की दरांती होती है। इनमें से चाबियां तो तीन फीट से अधिक लम्बी होतीं और उन्हें कंधे पर लादकर चलना पड़ता था।’
‘इसके बाद चाबी का विकास कैसे हुआ?’
‘बाद में प्राचीन संसार में रोमन ताला बनाने वाले सबसे कुशल कारीगर बन गये। उन्होंने चाबी में ज़बरदस्त सुधार किया। रोमन चाबी में पेग्स विभिन्न शेप में कटे होते थे।
अब एक चोर को ताला खोलने के लिए ऐसी चाबी बनानी पड़ती थी जिसमें पिंस केवल सही पोजीशन में ही न हों बल्कि सही लम्बाई व सही आकार के भी हों। रोमनो ने छोटे ताले भी बनाये जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता था। ऐसे ताले पैडलॉक्स कहलाते हैं, जिनकी चाबियां अक्सर अंगूठी की शेप की होतीं जिन्हें उंगली में पहना जा सकता था।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर