पर्यटकों को आकर्षित करता है मुरुद जंजीरा किला
महाराष्ट्र में यूं तो कई ऐतिहासिक किले हैं जिन्हें मराठा सरदारों ने अपने शासन काल में बनवाया था। इनमें से एक ऐसा ही किला है जिसका इतिहास 15वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। मुरुद जंजीरा नामक किले से भी कई गाथाएं जुड़ी हुई हैं। इस किले को ही पर्यटक देखने हेतु नहीं आते बल्कि इसके आसपास चारों तरफ कई खूबसूरत स्थलों का भी लुत्फ उठाने आते हैं। मुरुद जंजीरा किला बनने में 22 वर्ष लगे थे। 22 एकड़ क्षेत्र में फैले इस किले में 22 सुरक्षा चौकियां हैं। महाराष्ट्र राज्य में अलीबाग से 53 किमी. दूर मुरुद्र तटीय गांव में एक द्वीप पर बना है यह किला। यह समुद्र तट से 90 फीट ऊंचाई पर स्थित है। उस समय राजपुर के स्थानीय मछुआरों ने समुद्री डाकुओं से बचने हेतु मेदकोट नामक विशाल चट्टान पर लकड़ी का किला निर्मित किया था। बाद में अहमदनगर के निजामशाही सुल्तान ने इसी जगह पर एक अभेद्ध किले के निर्माण की इच्छा जाहिर की। सुल्तान की इच्छा पूरी करने हेतु उसके पीराम खान नामक एक जनरल ने इस किले पर अपना कब्जा जमा लिया। इसके बाद मलिक अंबर सिद्दी जौहर ने तलहटी के स्थान पर ठोस न विशाल किले का निर्माण करवाया था जो मुरुद जंजीरा किले के नाम से विख्यात है। हालांकि अंग्रेजों ने इस किले को ढहाने के लिए कई बार इसकी दीवारें गिराने की नाकाम कोशिशें की लेकिन वे इसमें सफल न हो सके।
मुरुद जंजीरा किला पर्यटन की दृष्टि से काफी विकसित हो चुका है। इसी पर्यटक स्थल में 9 एकड़ क्षेत्र में फैला कासा किला भी है जोकि समुद्री किलों में से एक है। इस किले को मराठाओं ने मरुद जंजीरा किले को जीतने के मकसद से बनवाया था। जंजीरा के क्षेत्र में ही एक अहमद पैलेस है जोकि अहमदगंज में 45 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह मुगल व गोथिक शैली की वास्तुकला के दर्शन कराता है जो कि उस समय नबाबों का शाही निवास हुआ करता था। अहमद पैलेस के परिसर में एक सुन्दर मस्जिद भी है तो कई दिवंगत नबाबों की कब्रें भी हैं। ऐसा माना जाता है कि इन कब्रों के नीचे अकूत धन. दौलत गढ़ी हुई है लेकिन इसे आज तक कोई खोल नहीं पाया है। जंजीरा किला क्षेत्र में प्रसिद्ध गरांबी जल प्रपात हैं, जोकि 100 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरता है। बारिश के दिनों में इसकी भीषण गर्जना सुनाई देती है। यहीं पर गरांबी बांध है जिसका निर्माण यहां के अंतिम शासक नबाब सर सिद्दीकी अहमद ने करवाया था, जोकि बाद में महारानी विक्टोरिया के नाम समर्पित कर दिया था। यहां चारों ओर प्रकृति का हराभरा मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। यहां तरह-तरह के रंग-बिरंगे पक्षियों के झुण्ड व वन्य जीव विचरते हुए देखे जा सकते हैं। यहां का मुरीद बीच पर्यटकों को आकर्षित करता हैं क्योंकि मुरीदबीच दापोली समुद्री तटों में से एक है। जंजीरा किला देखने व इसके चारों तरफ बने पर्यटक क्षेत्रों का भ्रमण करने के लिए रोहा रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीक है। यहां स्थानीय परिवहन साधनों से किले पहुंचा जा सकता है। मुंबई, ठाणे व नवी मुम्बई से यातायात के साधन सुगमता पूर्वक मिल जाते हैं। यहां पूरे वर्ष पर्यटकों की बहार रहती है, अन्य राज्यों के पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी इस मनोरम स्थल का लुत्फ उठाने आते हैं। **