कोलकाता दुष्कर्म व हत्याकांड : भारी दबाव में हैं ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरुवार को आंदोलनरत डॉक्टरों को एक बार फिर बातचीत के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन यह बैठक नहीं हो सकी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ममता बनर्जी सरकार ने कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल कांड के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों से तीसरी बार बातचीत का प्रस्ताव रखा था। हड़ताली डॉक्टर मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग पर अड़े रहे जिसके कारण बातचीत संभव नहीं हो पाई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने करीब दो घंटे तक कॉन्फ्रैंस हॉल में डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल का इंतजार किया, लेकिन वे नहीं पहुंचे। जब डॉक्टर नहीं आए तो उन्होंने लाइव आकर कहा कि मैं जनता से माफी मांगती हूं। उन्होंने यहां तक कह दिया कि वे इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हैं। यह पेशकश उन्होंने तब की जब आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में दुष्कर्म और बर्बर हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर उनसे मिलने नहीं आए। डॉक्टरों ने राज्य सरकार से पूरी बैठक का लाइव टेलीकास्ट करने की मांग की थी जिसे सरकार ने नहीं माना। सरकार बैठक रिकॉर्ड करने के लिए तैयार थी, लेकिन डॉक्टर लाइव स्ट्रीमिंग की मांग पर अड़े रहे।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में 34 वर्षों के वाममोर्चा के शासन के दौरान ममता बनर्जी ने लेफ्ट को कड़ी चुनौती दी और साल 2011 में लेफ्ट का शासन का खात्मा कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुई थीं। लगभग 13 सालों के शासन में ममता बनर्जी को लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा की कड़ी चुनौती मिली, लेकिन साल 2021 के विधानसभा चुनाव में फिर से तीसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बन कर सत्ता में वापिसी की हैं। तेज़तर्रार और आंदोलन से निकली नेता के रूप में जानी जाने वाली ममता बनर्जी कभी भी अपने विरोधियों के आगे नहीं झुकी हैं।
भ्रष्टाचार से लेकर विभिन्न घोटालों  के आरोप में विपक्ष लगातार इस्तीफे की मांग करते रहा है, लेकिन कभी ममता बनर्जी ने कभी ऐसा नहीं कहा कि वह इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोलकाता में महिला डॉक्टर के दष्कर्म व हत्या के मामले में जूनियर डॉक्टरों के आंदोलन ने ऐसा क्या कर दिया कि ममता बनर्जी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी?
छात्र राजनीति से लेकर राज्य की राजनीति तक ममता बनर्जी को लम्बे समय से आंदोलन को नेतृत्व देती रही हैं। नंदीग्राम से लेकर सिंगूर में आंदोलन को नेतृत्व दिया है, लेकिन क्या डॉक्टरों के आंदोलन के सामने ममता बनर्जी झुक गयी हैं? क्या यह उनकी रणनीति है या फिर ममता बनर्जी वास्तव में दबाव में हैं।
9 अगस्त को कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल में महिला डॉक्टर का शव मिला। शव मिलने के बाद अस्पताल के प्रबंधकों ने पहले इसे आत्महत्या करार दिया, लेकिन बाद में पोस्टमार्टम से पुष्टि हुई है कि उक्त महिला डॉक्टर का दुष्कर्म करके  हत्या की गयी है। इस मामले में एक आरोपी सिविक वॉलेंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार भी किया गया, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया। कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष पर भ्रष्टाचार और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगे। भ्रष्टाचार के मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिये। ईडी भी आर.जी. कर में वित्तीय अनियमितता की जांच शुरू की है, लेकिन न्याय की मांग पर पूरे देश में आंदोलन जारी है।
कोलकाता सहित पूरे देश में रिक्लेम द नाइट से लेकर लाइट बंद कर रात को आंदोलन हुए। आर.जी. कर के जूनियर डॉक्टर्स लगातार हड़ताल कर रहे हैं, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में डॉक्टरों को ड्यूटी पर जाने की हिदायद दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद जूनियर डॉक्टर्स स्वास्थ्य भवन के सामने धरना और प्रदर्शन कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में सेवाएं बाधित हो रही हैं। ममता बनर्जी ने दावा किया है कि इलाज के अभाव में 27 रोगियों की मौत हो चुकी है।
ममता बनर्जी ने प्रेस कॉन्फ्रैंस की और कहा कि वह नबान्न के सभागार में दो घंटे से अधिक समय तक बैठी रहीं। मेरा बहुत अपमान हुआ है। मेरी सरकार का अपमान किया गया है। अब मैं इनके साथ बैठक नहीं करूंगी। यदि बैठक होगी तो डीजी और मुख्य सचिव बैठक करेंगे।
ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक समय बीत चुका है। जहां तक मुझे पता है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है वे राज्य को कार्रवाई करने से नहीं रोकेंगे लेकिन मैं कुछ नहीं करूंगी। कई लोगों को इलाज नहीं मिल रहा है। सात लाख लोग वंचित हैं। मेरा दिल रो रहा है, वे छोटे हैं, मैं उन्हें क्षमा करती हूं। मैं लोगों से माफी मांगती हूं। तीन दिन तक प्रयास किया, लेकिन समाधान नहीं हो सका।
वहीं, आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य भवन के सामने फिर प्रेस कॉन्फ्रैंस की। उन्होंने चेतावनी भरे लहज़े में कहा कि वे अगले 33 दिनों तक सड़कों पर रहेंगे। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। डॉक्टरों ने साफ कहा कि उन्होंने कभी भी मुख्यमंत्री का इस्तीफा नहीं मांगा है। वे लोग न्याय और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं।
बताया जाता है कि शायद ममता बनर्जी भी अभिषेक बनर्जी को मुख्यमंत्री पद या उप-मुख्यमंत्री पद सौंपने की रणनीति बना रही हैं। इस मुद्दे पर ममता बनर्जी ने पहले ही पार्टी नेताओं को बयान नहीं देने का निर्देश दे रखा है। पार्टी के सांसद जवाहर सरकार ने इस्तीफा दे दिया है। पार्टी के अन्य राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय भी बगावत के मूड में हैं। ऐसे में ममता बनर्जी पूरी तरह से दबाव में हैं।
वहीं, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी राणनीति के तहत काम कर रही हैं। कोलकाता दुष्कर्म केस मामले में पहले ही ममता बनर्जी की सरकार बैकफुट पर है और पूरे देश में ममता बनर्जी की सरकार की पोल खुल चुकी है और उनकी लगातार आलोचना हो रही है। ऐसे में ममता बनर्जी की सरकार आंदोलनरत डॉक्टरों के खिलाफ कठोर कदम उठाती हैं, तो सरकार की और भी भद्द पिटेगी। ऐसे में ममता बनर्जी फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रही हैं और सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई के दौरान ममता बनर्जी की सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने पूरी कहानी बयां करते हुए सुप्रीम कोर्ट से ही डॉक्टरों के आंदोलन को लेकर कदम उठाने की फरियाद करेगी। इससे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।