केजरीवाल की रिहाई

देश के सर्वोच्च न्यायालय से 177 दिनों के बाद केजरीवाल को ज़मानत मिलने के बाद आम आदमी पार्टी के दिल्ली तथा पंजाब के नेता इस तरह का उत्साह दिखा रहे हैं और इस तरह खुशी का प्रकटावा कर रहे हैं जैसे उनका यह जरनैल किला ़फतेह करके आया हो। केजरीवाल ने भी जेल से बाहर आते ही ऐसा ही प्रकटावा किया है तथा एक बार फिर अपनी ईमानदारी का ढोल पीटा है, परन्तु हकीकत यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने कई कड़ी शर्तें लगा कर केजरीवाल को यह ज़मानत दी है। पहली यह कि वह मुख्यमंत्री  के तौर पर अपने कार्यालय नहीं जाएंगे। दूसरी, वह किसी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। तीसरी, वह इस मामले से संबंधित कोई बयान नहीं देंगे। चौथी, वह अदालती जांच में कोई रुकावट नहीं बनेंगे तथा न ही गवाहों को किसी तरह से प्रभावित करने का यत्न ही करेंगे। पांचवीं, वह ज़रूरत पड़ने पर अदालती आदेश पर अदालत में पेश होंगे और जांच में पूरा-पूरा सहयोग करेंगे। इस ज़मानत के बदले उन्हें 10 लाख रुपये का बांड भी भरना पड़ा है। 
जहां तक इस मामले का संबंध है, अब तक इसकी परत-दर-परत इसकी तहें खुलती आ रही हैं। इसमें 17 दोषी बनाये गये थे तथा इस संबंध में 224 गवाह पेश भी हुए थे। केजरीवाल इस मामले के बारहवें दोषी हैं, जिन्हें अब ज़मानत दी गई है। पहले दोषियों में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, संजय सिंह तथा दक्षिण के तेलंगाना प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव की बेटी के. कविता भी शामिल हैं। दिल्ली सरकार की शराब नीति से संबंधित यह मामला विगत लम्बी अवधि से चर्चा का विषय बना रहा है। दिल्ली की ‘आप’ सरकार की ओर से वर्ष 2021-22 के लिए नई आबकारी नीति की घोषणा की गई थी। इस संबंध में मिली अनेक शिकायतों तथा इस में किये गये घोटालों के दृष्टिगत जुलाई, 2022 में दिल्ली के उप-राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस संबंध में सी.बी.आई. को जांच करने के निर्देश दिए थे। इसकी पूरी जांच-पड़ताल करने के बाद तब उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तथा 14 अन्य संबंधित लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था। जब इस आबकारी नीति की परतें खुलने लगीं तो केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने सितम्बर 2022 में इस शराब नीति को रद्द कर दिया था। उसके बाद उजागर होती अनियमितताओं के आधार पर पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय नायर तथा मनीष सिसोदिया सहित अन्य अनेक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था। दक्षिण के कुछ शराब कारोबारियों को भी पकड़ा गया था, जिन्होंने बाद में इस नीति संबंधी बड़े खुलासे किये थे। मिले प्रमाणों के आधार पर अरविन्द केजरीवाल को जांच एजेंसी ई.डी. के समक्ष पेश होने के लिए समय-समय पर 9 सम्मन जारी किये गये तथा बाद में 21 मार्च, 2024 को उसे गिरफ्तार किया गया था। 
अब तक ई.डी. तथा सी.बी.आई. की रिपोर्टों के अनुसार ‘आप’ के इन नेताओं पर उक्त मामले में करोड़ों के घोटाले करने के गम्भीर तथ्य सामने आये हैं। इस मामले से संबंधित गिरफ्तार नेताओं को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चार्जशीटें दाखिल होने के बाद ही ज़मानतें दी गई हैं। शुरू-शुरू में समाज की सेवा करने के लिए बनी इस पार्टी ने ईमानदार होने की शपथ ली थी, परन्तु समय के व्यतीत होने के साथ-साथ इसकी परतें निरन्तर खुलती गईं। दिल्ली के बाद 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों के उपरांत लगभग अढ़ाई वर्ष पूर्व इस पार्टी की प्रदेश में सरकार बनी थी परन्तु इस अवधि के दौरान प्रदेश में जिस तरह की अनियमितताएं तथा भ्रष्टाचार करने का पर्दाफाश हुआ, उन्होंने पूर्व सरकारों को भी मात दे दी। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस पार्टी की कारगुज़ारी के लम्बे-चौड़े कच्चे चिट्ठे सामने आने के बावजूद अभी तक भी इसके नेता अपने कट्टर ईमानदार होने के दावे कर रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल को उस समय ज़मानत मिली है, जब हरियाणा के चुनाव नज़दीक हैं। इन चुनावों में पार्टी ने कांग्रेस की ओर से चुनाव समझौते से इन्कार किये जाने के बाद ही अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। पहले तो मुख्यमंत्री भगवंत मान सहित पंजाब के बड़े-छोटे नेताओं एवं मंत्रियों ने हरियाणा में डेरा डाले रखा था परन्तु अब पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के रिहा होने के बाद उसकी ओर से भी प्रदेश में ज़ोर-शोर से अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किये जाने की सम्भावना है। हरियाणा में 5 अक्तूबर को मतदान होगा तथा 8 अक्तूबर को इनका परिणाम सामने आ जाएगा। उससे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकेगा कि लोगों की नज़रों में इस पार्टी का कितना महत्त्व रह गया है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द