हरियाणा में किसकी बनेगी अगली सरकार ?

हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव में बहु-कोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है, जिसमें आम आदमी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, जननायक जनता पार्टी तथा भारतीय राष्ट्रीय लोकदल सभी अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार रहे हैं। कांग्रेस वोटों के लिए जाट तथा दलित समुदाय पर निर्भर दिखाई दे रही है। 
हरियाणा की आबादी में लगभग 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाला जाट समुदाय तथा लगभग 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला दलित समुदाय इस चुनावी जंग में निर्णायक वोट बैंक है। कांग्रेस नेता इन समुदायों का समर्थन प्राप्त करने के लिए कार्य कर रहे हैं, क्योंकि वे चुनाव परिणामों पर इनके महत्वपूर्ण प्रभाव को पहचानते हैं। इस दौरान भाजपा तीसरी बार सत्ता में वापसी के लिए राज्य में ओ.बी.सी., पंजाबी तथा ब्राह्मणों सहित गैर-जाट समुदाय के समर्थन पर निर्भर दिखाई दे रही है। इस वर्ष की शुरुआत में भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर के स्थान पर प्रमुख ओ.बी.सी. नेता नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया था। ऐसे प्रतीत होता है कि प्रदेश में ओ.बी.सी. वर्ग का समर्थन प्राप्त करने के लिए उसके प्रयासों का हिस्सा है, यहां ओ.बी.सी आबादी का 35 प्रतिशत हिस्सा है।
नितीश का भूमि सर्वेक्षण
बिहार में राजनीतिक पारा शीर्ष पर है, क्योंकि नितीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार के राजस्व तथा भूमि सुधार विभाग द्वारा प्रदेश के 45000 गांवों को अपने आगोश में लेते हुए एक भूमि सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। पूर्व उप-मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव लोगों से अधिकारियों द्वारा रिश्वत मांगने जैसी दरपेश समस्याओं से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर भी खतियान (अधिकार के रिकार्ड) के तस्दीक करने सहित दस्तावेज़ों की व्यवस्था तथा तस्दीक करने में भूमि अधिकारियों के भ्रष्टाचार की बात कह रहे हैं। यहां तक कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी तथा हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी भूमि अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की बढ़ती शिकायतों के बारे में नितीश को सतर्क किया है। नितीश के अपने फैसले पर अडिग रहने से भाजपा को विधानसभा चुनाव से पहले पिछड़े वर्गों की प्रतिक्रिया का डर है और वे प्रदेश की जनता के गुस्से को शांत करने के लिए प्रत्येक कोशिश कर रहे हैं।  
‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का मुद्दा
बसपा सुप्रीमो तथा दलित नेता मायावती ने केन्द्र के ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ प्रारूप का समर्थन किया है, परन्तु कहा कि इसका उद्देश्य राष्ट्रीय एवं जनहित में होना चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृति दिये जाने के बाद मायावती इस कदम का समर्थन करने वाली शायद पहली विपक्ष की नेता हैं। हालांकि कांग्रेस तथा ए.आई.एम.आई.एम. ने इस कदम का विरोधी किया है, क्योंकि उनका मानना है कि यह ‘संघवाद को खत्म करता है और लोकतंत्र के साथ समझौता करता है।’ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ व्यावहारिक नहीं हैं और आरोप लगाया कि भाजपा चुनावों के निकट आने पर असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी बातें करती है। 
हुड्डा के करीबियों को अधिक टिकटें
हरियाणा में कांग्रेस 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, भिवानी को छोड़ कर, जिसे उसने सीपीआई (एम) के लिए छोड़ दिया है और इसमें से अधिक सीटें हुड्डा के वफादारों या उनके करीबी माने जाने वालों को दी गई हैं। इसके अतिरिक्त पार्टी ने सभी 28 मौजूदा विधायकों को पुन: मैदान में उतारा है, जिनमें अधिकतर हुड्डा के प्रति वफादारी रखते हैं जबकि कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि पार्टी चुनाव जीत जाती है तो उसके विधायक तथा हाईकमान मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। असल जाट नेता हुड्डा ही आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस का चेहरा हैं। इसके अतिरिक्त कांग्रेस ने 7 गारंटियों की भी घोषणा की है, जिसमें किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी तथा जीतने पर जातीय सर्वेक्षण करवाने की वचनबद्धता शामिल हैं। अन्य गारंटियों में महिला सशक्तिकरण, सामाजिक सुरक्षा, युवाओं के लिए सहायता एवं गरीबों के लिए आवास की व्यवस्था करना शामिल है। 
महिला सशक्तिकरण के तहत कांग्रेस ने 18 से 60 वर्ष की महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेण्डर तथा 2000 रुपये प्रति माह देने का वायदा किया है। सामाजिक सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए पार्टी ने बुज़ुर्गों, विकलांगों तथा विधवा महिलाओं के लिए 6000 रुपये प्रति माह पैंशन व पुरानी पैंशन योजना को बहाल करने का वायदा किया है। पार्टी ने युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने का दावा करते हुए कहा कि वह ‘नशा मुक्त हरियाणा’ के लिए प्रतिबद्ध है। इस के अतिरिक्त इसने दो लाख पदों पर भर्ती का वायदा किया है। (आई.पी.ए.)