किसानों को मालामाल कर देने वाला बेर का पेड़

बेर का पेड़ एक ऐसा फलदार पेड़ है, जो सालभर में केवल एक दो बार की बारिश से भी न केवल पूरे साल हराभरा रहता है बल्कि अच्छा खासा फलोत्पादन भी करता है, जिससे इसकी बागवानी करने वाले की भरपूर आर्थिक कमाई होती है। बेर वास्तव में एक बहुवर्षीय और बहुउपयोगी फलदार पेड़ है। शुष्क क्षेत्र में भी इसकी बागवानी की जा सकती है। सिंचित जमीन पर जहां एक हेक्टेयर में बेर की बागवानी से किसानों को हर साल कम से कम दो लाख रुपये की कमाई होती है, वहीं बारानी जमीन यानी ऐसी जमीन जहां बारिश के पानी से ही काम चलता है, अलग से सिंचाई की ज़रूरत नहीं होती, वहां एक हेक्टेयर में लगे बेर के पेड़ 9.5 से 10 लाख रुपये सालाना की कमाई करा सकते हैं। 
दरअसल बेर एक मौसमी फल है, जिसकी पूरे देश में करीब 300 अलग-अलग किस्में पायी जाती हैं। आमतौर पर बेर आकार में छोटा, लेकिन करीब-करीब सबको पसंद आने वाला फल होता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस फल में भरपूर पोषक तत्व होते हैं। बेर में विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, पोटेशियम के साथ-साथ जस्ता जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। यह खाने में स्वादिष्ट तो होता ही है, हमें स्वस्थ भी रखता है और हमारा इम्यूनिटी बूस्टर भी होता है। चूंकि भारतीय जीवनशैली में कई तरह की धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल होती हैं, जिनमें बेर एक पवित्र फल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जैसे महाशिवरात्रि में भगवान शिव पर प्योंदी बेर चढ़ाये जाते हैं। 
फलों के अलावा बेर के पेड़ से किसानों को और भी कई तरह के फायदे होते हैं जैसे इससे उन्हें अपने जानवरों के लिए चारा मिलता है। बेर के पेड़ की कांटेदार शाखाओं को वे अपने खेतों में बाड़ की तरह इस्तेमाल करते हैं, जिससे खेतों की आवारा जानवरों से रक्षा होती है। बेर की पत्तियाें से कई तरह की औषधियां बनती हैं, इससे यह बिकती भी है। चूंकि बेर के पेड़ की जड़ें मूसलाधार होती हैं, इसलिए ये कठोर से कठोर मिट्टी की सतह को तोड़कर जमीन में बहुत गहराई तक धंस जाती हैं इसलिए वर्षा न होने पर भी बेर के पेड़ न सिर्फ जीवित रहते हैं बल्कि बहुत मजबूती से जमीन पर खड़े होने के कारण आंधी वगैरह में भी यह नहीं गिरते।
कमाई के नजरिये से बाजार में बेर की जिस किस्म के फलों की सबसे ज्यादा मांग है उनमें- गोला, सेब, मुंडिया और उमरान किस्में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं। उमरान को बेर की सबसे अच्छी किस्म माना जाता है। इस किस्म के बेर के पेड़ में करीब 3.5 से 4.5 सेंटीमीटर तक की लंबाई वाला बेर फलता है, जिसका वजन प्रतिफल 20 से 30 ग्राम तक का हो सकता है। पकने पर यह बेर हल्का भूरापन लिए लिए होता है। छिलका हल्का पीला और मोटा होता है, लेकिन इसमें करीब 91 प्रतिशत तक गूदा होता है। यह खाने में हल्का मीठा और थोड़ी खटास लिए होता है। इसका फाइबर घुलनशील होता है। एक बेर में करीब 115 मिलीग्राम विटामिन सी पायी जाती है। बाज़ार में यह बेर 70 से 80 रुपये प्रतिकिलो तक बिकता है, लेकिन किसानों से आसानी से 25 से 30 रुपये प्रतिकिलो बिक जाता है। इस कीमत में भी यह किसानों को अच्छी खासी कमाई कराता है।
बेर का पेड़ इसलिए भी किसानों के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि एक बेर का पेड़ बिना किसी अतिरिक्त लागत के 20 साल तक बहुत आसानी से फल देता है और एक मझोले कद के बेर के पेड़ में औसतन 100 किलो तक बेर लग जाते हैं। यही कारण है कि आजकल राजस्थान और गुजरात में कई आईआईटियन और दूसरे लोग भी नौकरी छोड़कर बेर की बागवानी कर रहे हैं। राजस्थान का अलवर ज़िला बेर से कमाई के लिए काफी मशहूर है। यहां बेर को छोटा सेब कहा जाता है और यहां के किसान उन्नत तरीके से बेर की बागवानी करते हुए एक पेड़ से 150 से 200 किलोग्राम सालाना तक बेर हासिल कर लेते हैं। बेर से राजस्थान के ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात के भी कई किसान अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। राजस्थान में जयपुर, उदयपुर, बीकानेर जैसे ज़िले भी अब बेर की खेती के लिए जाने जाते हैं।  वैसे बेर की पूरे देश में करीब 300 किस्में हैं। लेकिन व्यावसायिक दृष्टि से यही तीन चार किस्में सबसे अच्छी हैं, जिनका हमने इस लेख के ऊपरी हिस्से में जिक्र किया है। बेर सिर्फ भारत के लोग ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग चाव से खाते हैं, इसलिए बेर के अच्छे खासे निर्यात की भी संभावनाएं हैं। कुल मिलाकर कहने की बात यह है कि अगर बेर (वानस्पतिक नाम जिजीफुस मौरिटिआना) की बागवानी सजगता से की जाए तो यह किसानों को मालामाल कर देता है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर