प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है गुलमर्ग

इसमें संदेह नहीं कि कश्मीर का नैसर्गिक सौंदर्य अप्रतिम है। इसका कारण है इसकी भौगोलिक स्थिति है। पूरे राज्य में विशेष रूप से श्रीनगर के आसपास लंबे-लंबे वृक्षों व हिमाच्छादित पर्वत-शृंखलाओं से घिरीं अनेक खूबसूरत वादियां हैं। गुलमर्ग भी उनमें से एक है। यह एक खूबसूरत घाटी है जो जम्मू-कश्मीर राज्य के बारामूला ज़िले में स्थित है। यह श्रीनगर से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। समुद्रतल से गुलमर्ग की ऊंचाई 2700 मीटर के लगभग है। विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित गोल्फ कोर्स भी गुलमर्ग में है। श्रीनगर से टंगमर्ग तक का रास्ता सीधा एवं साफ है। उसके बाद चढ़ाई शुरू हो जाती है। चढ़ाई शुरू होते ही कहीं-कहीं पर बर्फ दिखलाई पड़ने लगती है। जैसे-जैसे ऊपर की ओर जाते हैं बर्फ की मात्रा बढ़ती जाती है। यह सर्दियों के अंत में पड़ी हुई बर्फ ही है जो अप्रैल के दूसरे या तीसरे सप्ताह तक भी नहीं पिघलती है।
गुलमर्ग पहुंचने पर पाते है कि पूरा का पूरा गुलमर्ग ही बर्फ की मोटी चादर के नीचे छुपा हुआ है। पर्वतों की चोटियां और ढलानें ही नहीं, सारा मैदान भी पूरी तरह से हिमाच्छादित है। इन मैदानों और निचली ढलानों की बर्फ अप्रैल के अंत से पहले ही पिघल जाती है और उसके बाद गुलमर्ग की पूरी घाटी हरियाली और तरह-तरह के रंग-बिरंगे फूलों से आच्छादित होकर अपना नाम सार्थक कर देती है क्योंकि गुलमर्ग का अर्थ ही है फूलों का मैदान। यहां गुलमर्ग में हर मौसम में अलग-अलग तरह का सौंदर्य देखने को मिलता है। जब यहां बर्फ पड़ती है तो पर्यटक न केवल बर्फ देखने आते हैं अपितु यहां की बर्फीली ढलानों पर स्कीइंग जैसे खेलों का आनंद भी उठाते हैं। बर्फ पर स्लेज में घूमने का अपना मज़ा होता है। गुलमर्ग में पर्यटकों के लिए गंडोला अथवा रोप वे का विशेष आकर्षण है। गंडोला द्वारा पर्यटक काफी ऊंचाई पर जाकर न केवल दूर-दूर तक फैली हिमाच्छादित पर्वत शृंखलाओं का सौंदर्य देख सकते हैं अपितु वहां बर्फ पर चलने का आनंद भी उठा सकते हैं। इस दौरान यहां बर्फ में खेले जाने वाले विभिन्न खेलों का मज़ा भी लिया जा सकता है।
वैसे तो टैक्सी या बस स्टैंड से गंडोला तक सड़क के रास्ते पैदल जाया जा सकता है लेकिन वहां पहुंचते ही स्लेज वाले पीछे पड़ जाते हैं और किसी न किसी तरह पर्यटकों को स्लेज द्वारा चलने के लिए राज़ी कर ही लेते हैं। सड़क को छोड़कर बाकी सब जगह बर्फ ही बर्फ होती है। समतल स्थान पर या ढलान पर स्लेज खींचना आसान होता है लेकिन थोड़ी सी भी चढ़ाई होने पर स्लेज खींचने वाले को काफी ज़ोर लगाना पड़ता है। हम सब क्षणिक रोमांच के लिए ये करते हैं लेकिन कोई हमें इस तरह से खींचकर ले जाए, यह सचमुच अच्छी बात नहीं। इस अहसास का दूसरा पहलू भी है जो वहां के लोगों के रोज़गार से जुड़ा है। इसी तरह की चीज़ें वहां के लोगों को आजीविका प्रदान करती हैं। यदि किसी सीजन में पर्यटक कम आते हैं तो भी लोगों की स्थिति खराब हो जाती है तो ऐसे में स्लेज की प्रासंगिकता पर चर्चा करना बेमानी हो जाता है। अधिकांश पर्यटक स्लेज द्वारा गंडोला स्टेशन तक पहुंचते हैं। वैसे स्लेज वाले गंडोला स्टेशन से काफी पहले ही उतार देते हैं।
गंडोला की यात्रा का अपना ही आनंद है। यह यात्र दो फेज़ों में होती है। गुलमर्ग में गंडोला स्टेशन समुद्रतल से 2650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। पहले फेज़ में गुलमर्ग स्टेशन से कांगडूरी स्टेशन तक 400 मीटर की ऊंचाई तय की जाती है और दूसरे फेज़ में कांगडूरी स्टेशन से अफरवाट स्टेशन तक 900 मीटर की ऊंचाई तय की जाती है। इस प्रकार से गुलमर्ग से गंडोला द्वारा एक किलोमीटर तीन सौ मीटर की अतिरिक्त ऊंचाई पर जा पहुंचते हैं जिसका स्लोप डिस्टेंस लगभग पांच किलोमीटर बैठता है। ये दोनों रोप वे अलग-अलग हैं। पर्यटक चाहें तो सिर्फ पहले फेज़ का टिकट लेकर वहीं से वापसी कर सकते हैं। एक फेज़ की यात्रा पूरी होने पर गंडोला से उतरकर थोड़ी दूर स्थित दूसरे गंडोला में सवार होना पड़ता है।
पर्यटक गंडोला के दोनों ही स्टेशनों पर उतर सकते हैं और बाहर जाकर घूम-फिर सकते हैं जिसके लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। सबसे ऊपर वाले स्टेशन पर काफी सर्दी होती है अत: अधिकांश पर्यटक वहां जाते ही फौरन बीच वाले स्टेशन पर आकर उतर जाते हैं और बाहर जाकर बर्फ पर चलने व बर्फ के खेलों का आनंद लेते हैं। गंडोला के दोनों फेज़ों के टिकट कहीं से भी ऑनलाइन बुक करवाए जा सकते हैं। इससे भीड़ होने पर लाइनों में लगने से बचा जा सकता है लेकिन बोर्डिंग पास फिर भी लेने पड़ते हैं। पर्यटक ऊपर तक जाते हैं लेकिन बहुत अधिक सर्दी के कारण अधिकांश पर्यटक जल्दी ही बीच वाले स्टेशन पर लौट आते हैं। यहां काफी गहमागहमी रहती है। यहां से गुलमर्ग के आसपास के दूसरे प्रसिद्ध स्थानों खिलनमर्ग, अलपाथर व निंगली नल्लाह आदि तक जाने की व्यवस्था भी है। खिलनमर्ग यद्यपि गुलमर्ग के अंचल में ही स्थित है लेकिन यहां से आसपास के बर्फ से ढके पहाड़ों और नीचे स्थित घाटी के दृश्य बड़े ही सुंदर लगते हैं। बर्फ पिघलने के बाद यहां हरी-हरी घास पर रंग-गिरंगे फूलों का सौंदर्य देखते ही बनता है।
यहां बर्फ पर फिसलने वाली स्लेज का मज़ा लिया जा सकता है तो स्नो बाइक की सवारी का लुत्फ भी उठाया जा सकता है। स्नो बाइक में ड्राइवर साथ होते हैं। वे पर्यटक को पीछे बिठाकर स्नो बाइक चलाते हैं और पर्यटक से ख़ुद भी बाइक चलाने का आग्रह करते हैं। वे 10-20 सैकेंड में ही स्नो बाइक चलाना सिखा देते हैं। स्नो बाइक चलाना बहुत आसान होता है। जिसे स्कूटी चलानी आती हो, आराम से स्नो बाइक भी चला सकता है। वहीं बर्फ के ऊपर बने जलपान-गृहों में गरमागरम चाय, कॉफी अथवा कश्मीरी कहवा पीना बड़ा सुकून देता है। जब भी श्रीनगर या कश्मीर घाटी में जाना हो गुलमर्ग जाने का भी कार्यक्रम अवश्य बनाएं क्योंकि गुलमर्ग की सैर किए बिना कश्मीर की सैर पूरी नहीं कही जा सकती। (उर्वशी)