‘अगले जनम मोहे महिला ही कीजो!’

कुछ युवक, पुरुष मद में चूर रहते हैं कि वे सुपर पावर हैं और युवतियों, महिलाओं को मामूली, महत्वहीन समझने की भूल करते हैं, जबकि सत्य यही है कि युवती या महिला होना फलदायक-लाभदायक-सुखदायक-संतोषदायक साबित हो चुका है। आजकल की कुछ राज्य सरकारें महिलाओं पर अधिक मेहरबान हैं। मुफ्त बस यात्रा, खाते में हर माह मुफ्त में रुपये जमा किए जाते हैं। एक राजनैतिक पक्ष ने तो यहां तक घोषणा की है कि उनकी सरकार सत्ता में आ गई तो हर महिला को वार्षिक एक लाख रुपयों का उपहार मिलेगा। एक टीवी शो में वहां पर उपस्थित दर्शकगणों को होस्ट महोदय ‘देवियों और सज्जनों!’ सम्बोधित करते हैं। उन्होंने भूलकर भी कभी ‘देवियों और देवताओं!’ नहीं कहा। इसी तरह एक रोडियो उदघोषक कार्यक्रम की शुरूआत में ‘बहनों और भाईयों!’ कहना अपना कर्तव्य समझते थे। ‘भाईयों और बहनों!’ कहना शायद उन्हें नापसंद था। किसी युवक या पुरुष को बेवकूफ, मूर्ख, गधे, उल्लू के पट्ठे... जैसी उपाधियां देना आम बात है। इसके विपरित फीमेल वर्जन ‘बेवकूफीनी’, ‘मूर्खनी’, ‘उल्लू की पट्ठी’, ‘गधी’,... जैसे शब्द सुनने का सौभाग्य आपके कानों को नहीं मिला होगा। युवती विवाह बाद सुहागन कहलाती है, लेकिन पुरुष का दुर्भाग्य देखिए, कुंवारा हो या विवाहित, बेचारा जस का तस ही रहेगा। कुछ पुरूष शालीनता का सबूत देते हुए महिलाओं को आदरपूर्वक मैम, मैडम कहने के प्रवाह में इतने अधिक बह जाते हैं कि खुद की पत्नी को भी जोश में आकर मैडम कहने से नहीं चूकते हैं।
रेलवे स्टेशन पर आरक्षण करवाना हो या टिकट खरीदनी हो, महा प्रसाद लेना हो... लंबी लाइन में महिलाएं खड़ी हों तो ‘लेडीस फर्स्ट’ में परम विश्वास करने वाले, उदारवादी दृष्टिकोण रखने वाले कुछ भद्र पुरुष प्रकट हो जाते हैं, महिलाओं की सहायता (सेवा) करने के लिए। आम तौर पर ऐसा ‘नर्म’ बर्ताव, एक पुरूष दूसरे पुरूष के प्रति करना अनावश्यक समझता है। परिवार के सदस्य अक्सर बस, रेल यात्रा के दौरान महिलाओं को चढ़ने-उतरने में प्राथमिकता देते हैं। बच्चों और सामान का बोझ भी खुद हंसी-खुशी उठाने में धन्यता महसूस करते हैं। घर, परिवार चलाने के लिए अधिकतर पुरुष ही नौकरी या कारोबार करते हैं। महिलाओं को ऐसी माथापच्ची, मगज़मारी, मेहनति काम से मुक्त रखा जाता है। महिलाएं तो बस खाने-पीने-पहनने-ओड़ने वाली चीजों की मांग करती रहती हैं, जिसे पुरूषों को पूरा करना पड़ता है। उन्हें जन्म घुट्टी पिलाई जाती है कि महिलाएं खर्च करेंगी और पुरुष उफ कए बिना उसे पूरा करेंगे। भारतीय शास्त्रों में भी महिलाओं को ऊंचा स्थान प्राप्त है। महिलाओं को मिलने वाली सहूलियतों-सहानुभूतियों, सुविधाओं को ध्यान में रखकर मेरे मन में भी विचार उमड़ने लगे हैं। प्रभु से प्रार्थना है किए ‘अगले जनम मोहे महिला ही कीजो!’

मो. 9421216288