पंचिंग बैग
छुट्टी का दिन था शाम के चार बज रहे थे, हाल में निलेश और उसकी बेटी एंजल और बेटा प्रियांशु आपस में एक-दूसरे से गप्पे लड़ा रहे थे। एक दूसरे से गप्पे लड़ाते हुए निलेश ने नीलिमा को चाय बनाने के लिए हाल से ही आवाज लगाई, बच्चों की स्कूल से छुट्टी निलेश कि ऑफिस से छुट्टी लेकिन नीलिमा को किचन से कहां छुट्टी मिल सकती थी।
इसलिए निलेश की पत्नी नीलिमा किचन में चाय बना रही थी, चाय बन जाने के बाद नीलिमा चाय लेकर आई और सबके हाथों में थमा दिया और खुद की चाय लेकर बालकनी की तरफ चली गई।
नीलिमा को अपनी चाय लेकर बालकनी की तरफ जाते देखकर सभी को बहुत ही आश्चर्य हुआ, कि सभी लोग यहां बैठे हैं, तो नीलिमा बालकनी की तरफ क्यों जा रही है, निलेश कई दिनों से इस बात को नोटिस कर रहे थे, कि नीलिमा आजकल अलग-अलग रहती है, वह वहां नहीं बैठती जहां पूरा परिवार बैठा रहता है।
इस बात का बच्चों से जिक्र किया तो एंजल और प्रियांशु दोनों साथ में कंधे उचकाते हुए बोले- ‘पता नहीं आजकल मम्मी को क्या हुआ है हम लोगों से भी कटी कटी रहती है... आजकल मम्मी हम लोगों के पास नहीं बैठती है... ना पहले के जैसे हंसी मजाक और बातचीत ही करती है बस जो मांगते हैं वह बना कर दे देती है’।
निलेश को चिंता हुई क्योंकि यह नीलिमा का स्वाभाविक व्यवहार नहीं था। काफी पारिवारिक और मिलनसार और बहुत ही हंसमुख स्वभाव की नीलिमा का चुप हो जाना निलेश को अखरने लगा कि आखिर ऐसा क्यों है और सबसे बड़ी बात की यह सब ज्यादा दिन से नहीं मात्र कुछ दिनों से ही ऐसा व्यवहार देखने को मिल रहा है, निलेश को बहुत याद करने पर भी कुछ अप्रत्याशित बात याद नहीं आईए जिसकी वजह से नीलिमा ऐसा व्यवहार करें। सब कुछ तो नॉर्मल ही चल रहा था। इधर तो छोटी-मोटी भी लड़ाई नहीं हुई। वैसे नीलिमा का स्वभाव लड़ाई झगड़ा वाला था भी नहीं। काफी मीठे स्वभाव की स्त्री थी, यह बात निलेश अच्छी तरह जानता था। और यही बात उसे परेशान कर रही थी।
तीनों उठकर बालकनी की तरफ चल दिए और निलेश ने नीलिमा से पूछा-‘ नीलिमा क्या बात है आजकल तुम बहुत अलग-अलग रहती हो पहले तो ऐसा नहीं था... कई दिनों से यह बात महसूस कर रहा हूं आखिर ऐसा क्या हुआ है कि तुम पहले की तरह हंसना बोलना और मस्ती मजाक करते रहना छोड़कर अब अकेले-अकेले रहती हो’।
नीलिमा- ‘तो आप लोग को यह जानना है कि मैं अकेले-अकेले क्यों रहती हूं लेकिन आखिर आप लोग को जानना क्यों है? आप लोगों की सारी ज़रूरतें तो पूरी हो रही है! घर के का सारे काम पूर्ववत कर रही हूं अगर किसी काम में शिकायत है तो बताइए’।
निलेश- ‘नीलिमा काम की बात नहीं है वह तो तुम हमेशा से करती रही हो, और बहुत ही बेस्ट तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभाती हो, उसमें तो कोई तुम्हें कुछ कह ही नहीं सकता, मुझे तो बस तुम्हारे अकेले-अकेले और कटे रहने की चिंता है, आखिर ऐसा तुम्हारे स्वभाव में बदलाव क्यों आया है?’। निलेश चिंतित स्वर में बोला।
निलेश को सच में परेशान देखकर नीलिमा बोली- ‘आज आप लोगों को चिंता हो रही है, लेकिन मेरे इस स्वभाव का कारण आप तीनों लोग हैं, आप तीनों के लिए मैं पंचिंग बैग बन चुकी हूं, बाहर जितना भी आप लोगों को गुस्सा-टेंशन तनाव होता है, घर में आते ही आप लोग मुझ पर उतार कर फ्री हो जाते हो, दिन भर आप तीनों लोग बाहर रहते हो और जब भी कोई बाहर से आता है तो उसके लिए चाय नाश्ते का इंतजाम करती हूं, उसके पास बैठकर उसका अपना दुख-सुख बांटना चाहती हूं, उसके बाद ले मुझे बहुत ही रुखा जवाब मिलता है, या कभी-कभी फटकार भी मिल जाती है, लेकिन मैं कैसे दिन भर रहती हूं, यह मेरा हाल-चाल कोई नहीं पूछता कि मैं अकेले क्या करती हूं, उल्टे आप लोग कुछ पूछने पर अपना बाहर का फ्रस्ट्रेशन मुझ पर उतार देते हैं, कभी आप लोगों ने सोचा है मुझे कितना बुरा लगता होगा, इसीलिए सबसे अच्छा है कि मैं आप लोगों से थोड़ी दूरी बनाकर रहूं, कम से कम किसी की पंचिंग बैग तो नहीं बन कर रहूंगी, क्योंकि मेरे पास भी मेरा आत्मस्वाभिमान है, और मैं अपने किसी भी रिश्ते को अपना आत्म सम्मान को क्षति पहुंचाने नहीं दे सकती’।
निलेश और प्रियांशु एंजेल तीनों नीलिमा की बात सुनकर हतप्रभ रह गए, बात सही थी। इस तरह तो उन्होंने सोचा नहीं था लेकिन कर तो आखिर वही रहे थे। तीनों बेहद शर्मसार हो गए।
‘नीलिमा मैं समझ गया तुम्हें क्या चोट पहुंचा है, वाकई हमने तुम्हारे साथ बहुत ही गलत किया, मैं दिन भर अपने कामों में परेशान रहता हूं और आकर तुम पर झल्ला जाता हूं, मुझे माफ कर दो’।
कुर्सी पर बैठी नीलिमा के घुटनों के पास उसके दोनों बच्चे बैठ गए, और बोले-‘मम्मी हमसे भी गलती हुई है, हम लोग आपकी परेशानी नहीं पाते हैं... आप हमेशा से हमारे लिए इतना कुछ करती हैं हमें भी हमारे व्यवहार के लिए माफ कर दीजिए’।
नीलिमा फिर से मुस्कुराने लगी क्योंकि उसका ध्यान सिर्फ उन्हें उनकी गलती का एहसास दिलाना था।
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