कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हमले के पीछे है खुन्नस !

दीपोत्सव के सप्ताहांत पर 3 नवम्बर, 2024 को कनाडा का हिन्दू समुदाय ब्रैम्पटन में गोर रोड स्थित हिन्दूसभा मंदिर में पूजा व जश्न मनाने के लिए एकत्र हुआ था और वहीं मंदिर के सहयोग से भारतीय उच्चायोग वरिष्ठ नागरिकों (दोनों कनाडाई व भारतीयों) के लिए काउंसलर सेवाएं उपलब्ध करा रहा था, जोकि ऐसे कैंप रूटीन में मंदिरों व गुरुद्वारों में आयोजित करता है। तभी वहां खालिस्तान समर्थक गुटों की भीड़ आ पहुंची और उसने अकारण ही श्रद्धालुओं, जिनमें महिलाएं व बच्चे भी थे, पर हिंसक हमला कर दिया। इस घटना के जो वीडियोज सामने आये हैं, उनमें देखा जा सकता है की हमलावर खालिस्तानी झंडे उठाये हुए थे। ब्रैम्पटन में हिन्दू मंदिर पर हमला काउंसलर कैंप पर हमले के तौर पर देखा जा रहा है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है, जबकि भारत सरकार ने अपने आधिकारिक वक्तव्य में कहा है कि भारतीय काउंसलर अधिकारी जो भारतीय व कनाडाई नागरिकों को सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं, वह धमकी, उत्पीड़न व हिंसा के डर से पीछे हटने वाले नहीं हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जिन पर वोटों के लिए खालिस्तानी तत्वों के प्रति नरम रुख अपनाने के आरोप लगते हैं, ने भी इस मौके पर हिंसा को ‘अस्वीकार्य’ कहा है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘आज ब्रैम्पटन में हिन्दूसभा मंदिर पर जो हिंसक वारदातें हुईं हैं वह अस्वीकार्य हैं। प्रत्येक कनाडाई को अपने धर्म का आज़ादी व सुरक्षा के साथ पालन करने का अधिकार है। पील रीजनल पुलिस का शुक्रिया कि उसने समुदाय की सुरक्षा के लिए त्वरित कार्यवाही की और घटना की जांच की।’ गौर करने की बात यह है कि जस्टिन ट्रूडो ने अपने बयान में न तो खालिस्तानी तत्वों का ज़िक्र किया और न ही उनकी निंदा की। इससे एक आशंका यह उभरती है कि कहीं पर्दे के पीछे खालिस्तानियों को उकसाने में कनाडा और अमरीका तो नहीं है? क्योंकि भारत की दो टूक से दोनों को बहुत परेशानी है। कहीं न कहीं कनाडा के साथ अमरीका भी इसे हमारी हेठी के तौर पर देख रहा है, इसलिए इस तरह की घटनाओं को एकतरफा देखने से बचना होगा।
बहरहाल, यह पहला अवसर नहीं है जब कनाडा के हिन्दू मंदिरों पर खालिस्तानी तत्वों ने हिंसक व भड़काऊ हरकतें की हैं। हाल के वर्षों में ऐसी अनेक घटनाएं हुई हैं। विंडसर में एक हिन्दू मंदिर पर भारत विरोधी नारे लिखे गये थे। इसी तरह से मिस्सिसागा व ब्रैम्पटन में मंदिरों को टारगेट किया गया था। पिछले साल दिसम्बर में सर्रे में लक्ष्मी नारायण मंदिर के अध्यक्ष सतीश कुमार के बेटे के घर पर गोलियां चलायी गईं थीं। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि खालिस्तानी तत्वों ने हाल के वर्षों में इसी तरह से ऑस्ट्रेलिया में भी हिन्दू मंदिरों को निशाना बनाया है। कनाडा में भारतीय डिप्लोमेट्स और खालिस्तानियों के बीच टकराव लम्बे समय से चल रहा है, जो पिछले साल वैंकोवर में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद अधिक तीव्र हो गया है। निज्जर की हत्या के लिए जस्टिन ट्रूडो भारतीय एजेंट्स को ज़िम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन उन्होंने इस संदर्भ में अभी तक कोई ठोस साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराये हैं। 
इस विवाद के चलते भारत ने अपने उच्चायुक्त व अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया था और कनाडा के डिप्लोमेट्स को वापस जाने का आदेश दिया था। भारत व कनाडा के व्यापार संबंध भी इस कारण से खराब हुए हैं। सवाल यह है कि क्या यह हमला पूर्वनियोजित था? शायद। सिख्स फॉर जस्टिस से संबंधित खालिस्तानी समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसके पास अमरीका व कनाडा की दोहरी नागरिकता है, ने हिन्दुओं को दिवाली न मनाने की धमकी दी थी कि मंदिरों पर हंगामा किया जायेगा। पन्नू को दोनों अमरीका व कनाडा सरकारों का संरक्षण प्राप्त है और हाल ही में उसने दावा किया था कि वह पिछले कुछ वर्षों से जस्टिन ट्रूडो के साथ मिलकर काम कर रहा है। इससे पहले उसने भारतीय एयरलाइंस पर हमले की भी धमकी दी थी। पन्नू कनाडाई हिन्दुओं को टारगेट करते हुए बयान देता रहा है। पिछले साल उसने एक वीडियो रिलीज़ किया था, जिसमें कनाडा के हिन्दुओं से कहा गया था ‘गो बैक टू इंडिया’। वीडियो कनाडाई सांसद आर्य चन्द्रा के जवाब में था, जिन्होंने एडमोंटन में स्वामीनारायण मंदिर में तोड़-फोड़ व कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा नफरत व हिंसा की वारदातों की निंदा की थी। 
पन्नू ने आरोप लगाया था कि कनाडा में हिन्दू कनाडाई हितों के विरुद्ध अभियान छेड़े हुए हैं, विशेषकर ‘अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप’ के कारण कनाडा द्वारा भारत से व्यापार स्थगित करने के बाद। ‘लीव कनाडा, गो टू इंडिया’ का नारा देते हुए उसने आरोप लगाया था, ‘भारतीय-हिन्दू जो कनाडा के हितों के खिलाफ काम करते हैं ने प्रभावी तौर पर कनाडा से वफादारी छोड़ दी है। उन्हें भारत वापस चला जाना चाहिए, जिसके हित वह सुरक्षित रखते हैं व प्रोत्साहित करते हैं, जबकि आर्थिक लाभ कनाडा से हासिल करते हैं।’ ज़ाहिर है पन्नू अपनी बेतुकी बयानबाज़ी से कनाडा में हिन्दुओं के खिलाफ केवल नफरत फैला रहा है। अमरीकन एजेंसीज ने भारत के पूर्व इंटेलिजेंस अधिकारी पर आरोप लगाया है कि उसने पन्नू की हत्या करने की साज़िश रची थी। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देते हुए दोनों अमरीका व कनाडा ने पन्नू को भारत व हिन्दुओं के खिलाफ धमकियां जारी करने की खुली छूट दी हुई है, जबकि वह एयरलाइंस व भारतीय संसद को बम से उड़ाने की धमकी देता है।  हिन्दूसभा मंदिर में हिंसा के बाद के एक वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिस ने एक हिन्दू युवक को पिन डाउन करने के बाद हथकड़ी लगायी। यह मंजर अमरीका की जॉर्ज फोर्ड घटना जैसा ही था। बाद में पील पुलिस ने कहा कि उसने तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है और उन पर आपराधिक मामले दर्ज किये हैं, लेकिन गिरफ्तार किये गये व्यक्तियों के नाम नहीं बताये गये हैं। 
ब्रैम्पटन की घटना पूर्णत: निंदनीय है। यह एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलाने का एजेंडा है जिस पर तुरंत विराम लगना चाहिए। कोई भी किसी को अपने पूजास्थल में जाने से नहीं रोक सकता है। खालिस्तानी तत्व तो श्रद्धालुओं को मंदिर में जाने से रोक ही रहे थे, लेकिन इससे भी अधिक चिंताजनक यह है कि पुलिस भी उन्हें मंदिर में नहीं जाने दे रही थी, जबकि उसे खालिस्तानियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए थी। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर