नकारात्मक अमल

कनाडा के टोरांटो शहर के निकट ब्रैम्पटन के एक मंदिर के सामने जिस तरह का प्रदर्शन एक खालिस्तानी संगठन ने किया, वह बेहद निंदनीय है। पिछले कई वर्षों से ऐसे संगठनों की ओर से वहां भिन्न-भिन्न ढंग-तरीकों से मंदिरों को निशाना बनाया जाता रहा है परन्तु यह सब कुछ देखते हुए भी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली कनाडा की सरकार ने जिस तरह का रवैया धारण कर रखा है, उससे इस तरह के घटनाक्रम के घटित होने का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता था। विगत लम्बी अवधि से ऐसे ग्रुप तथा इनके साथ जुड़े संगठन वहां जिस तरह की बेरोक-टोक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, इसने उस देश में बसने वाले सिख भाईचारे में भी बड़ी दरारें डाल दी हैं। यह बात भी सुनिश्चित तौर पर कही जा सकती है कि कनाडा के सिख भाईचारे के ज्यादातर लोग इस तरह के प्रदर्शनों एवं नारेबाज़ी के विरुद्ध हैं। वहां ऐसी नकारात्मक गतिविधियां करने वालों की संख्या बेहद कम है परन्तु उनकी गतिविधियों की चर्चा अधिक होती है।
समय के व्यतीत होने से ट्रूडो सरकार की शह के कारण ये लोग अधिक हौसले में आ गये हैं तथा वहां वे खालिस्तान के नाम पर जेहाद खड़ा करने की बात करते रहते हैं। प्रतिदिन अमरीका एवं कनाडा में बैठे ये संगठन भारत के विरुद्ध तीव्र बयानबाज़ी भी करते रहे हैं तथा पंजाब एवं अन्य स्थानों पर तरह-तरह की हिंसक घटनाओं को भी अंजाम देते रहे हैं। विदेशी धरती से ऐसे बयानों, दी गई धमकियों एवं की जाती कार्रवाइयों से जहां पंजाब एवं भारत पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, वहां विशेष रूप में सिख भाईचारा भी बड़ी सीमा तक प्रभावित होता है। जहां तक पंजाब का संबंध है, वहां इस प्रकार की विचारधारा वाले लोगों को कोई अधिक समर्थन हासिल नहीं है, तथा न ही सिख भाईचारे के ज्यादातर लोग ऐसी बयानबाज़ी तथा कार्रवाइयों को पसंद ही करते हैं। सिख धर्म की मान्यताएं सर्व-जन को अपने आ़गोश में समा लेने की हैं। इसके सन्देश ज़रूरतमंद मानवता की निष्काम भावना से सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं। इसी लिए विश्व भर में सिख भाईचारे के लोगों की ओर से श्रद्धा भावना के साथ आपदाओं के समय प्रभावित लोगों की सहायता की जाती है। ऐसी ही इस भाईचारे की विश्व भर में पहचान है। किसी अन्य समुदाय के लिए बोले गए नकारात्मक शब्द या धार्मिक स्थान पर की गई कोई कार्रवाई इस धर्म के संदेशों के विपरीत है। अन्यों के लिए ऩफरत की भावनाएं रखना इसके रहनुमाओं की शिक्षाओं के पूरी तरह विपरीत है। कनाडा की धरती पर घटित यह ताज़ा घटना भी ऐसी भावनाओं के विपरीत है। इसीलिए समय-समय पर अन्य समुदायों के धार्मिक स्थानों के प्रति अपनाये गये ऐसे रवैये की आज व्यापक स्तर पर आलोचना हो रही है। ऐसे मामलों के दृष्टिगत ही कनाडा एवं भारत के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। इन संबंधों का प्रभाव कनाडा में रह रहे प्रवासी भारतीयों पर भी प्रत्यक्ष रूप में पड़ा दिखाई देता है। इनमें लाखों ही परिवार किसी न किसी तरह पंजाब की धरती के साथ जुड़े हुए हैं, जो वहां आज पूरी तरह बचाव वाली स्थिति में आ गए प्रतीत होते हैं।
यदि भविष्य में भी ऐसा कुछ घटित होता रहा तो इसका सिख भाईचारे को भारी नुक्सान हो सकता है। कनाडा की ट्रूडो सरकार को बन रहे ऐसे हालात संबंधी गम्भीरता के साथ सोचने की ज़रूरत होगी, क्योंकि वहां की सरकार के लिए भी आगामी समय में अपनाई गई ऐसी नीतियां प्रत्येक पक्ष से बेहद घाटे वाली सिद्ध होंगी। विगत दिवस टोरांटो में जो कुछ घटित हुआ है, उसकी तह तक पहुंच कर कनाडा की सरकार को भी ऐसे कड़े कदम उठाने होंगे, जो वहां के समाज में सदभावना बनाये रखने में सहायक हो सकें। इसके अतिरिक्त भारत एवं कनाडा को भी नई एवं ठोस पहुंच अपना कर क्रियात्मक रूप में अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की ज़रूरत होगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

#नकारात्मक अमल