मणिपुर : आखिर कब बुझेगी यह हिंसा की आग ?

मणिपुर पिछले 18 महीनों से जल रहा है। हिंसा की आग ऐसी फैली है जो बुझने का नाम नहीं ले रही। जगह-जगह हत्याएं, मारपीट, शोषण, दुष्कर्म और बर्बरता की खबरें आ रही हैं। मणिपुर में हिंसा और महिलाओं के साथ बर्बरता की कई घटनाएं पिछले एक साल में हुई हैं। अब 3 बच्चों की मां के साथ हुई घठना दरिंदगी की हर हद पार गई है। महिला के साथ पहले दुष्कर्म किया गया और फिर दरिंदों ने उसके शरीर पर कीलें ठोक दीं। इसके बाद महिला को जला दिया। इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस घटना से डॉक्टर भी हैरान थे। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने इसे वीभत्स और दिल दहला देने वाली घटना बताया। महिला के पति ने जो एफआईआर दर्ज कराई, उसमें कहा कि घर के भीतर बेरहमी से हत्या किए जाने से पहले पीड़िता से दुष्कर्म किया गया। हालांकि असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज में हुए पोस्टमार्टम से यह पता नहीं चल सका कि महिला से दुष्कर्म किया गया था या नहीं। जानते हैं क्यों, क्योंकि उसका शरीर बहुत जल चुका था।
गौरतलब है कि मणिपुर हिंसा की आग में आज तक जल रहा है। पूर्वोत्तर में स्थित इस राज्य में लूट, हत्याओं और अशांति की खबरें आम हैं। मणिपुर में 3 मई, 2023 से हिंसा का दौर शुरू हुआ था, लेकिन 18 महीने बाद भी राज्य में शांति बहाल नहीं हुई है। पिछले सप्ताह जिरीबाम जिले में हुई  हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई। मणिपुर में जारी हिंसा के बीच एक बार फिर स्थिति तनावपूर्ण तब हो गई जब शनिवार को प्रदर्शनकारियों ने राज्य के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के आवासों पर हमला किया। मणिपुर में हाल ही में नदी से निकाले गए लापता छह लोगों में से तीन के शवों के मिलने के एक दिन बाद यह घटना हुई। इस हमले के बाद राज्य सरकार ने पांच जिलों में अनिश्तिकाल के लिए अफस्पा लागू कर दिया। मणिपुर में हालात की गंभीरता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि वहां हिंसा में शामिल दोनों समुदायों के पास अब ऐसे हथियार हैं जिनका इस्तेमाल आम तौर पर युद्ध में किया जाता है। सेना इस तरह मजबूर है कि उन्हें एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात करने पड़े हैं। पहाड़ों और घाटियों में लोगों ने बंकर बना रखे हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर 18 महीने बाद भी इस राज्य में हिंसा क्यों नहीं थम रही?
वैसे तो मणिपुर में पिछले साल मई से ही हालात तनावपूर्ण हैं लेकिन पिछले कुछ महीनों से स्थिति थोड़ी नियंत्रण में थी। लेकिन अब हवाई बमबारी, आरपीजी और अत्याधुनिक हथियारों के लिए ड्रोन के इस्तेमाल के बाद हालात और खराब हो गए हैं। ताज़ा हमले के बाद तलाशी में पुलिस को 7.62 मिमी स्नाइपर राइफल, पिस्तौल, इम्प्रोवाइज्ड लांग रेंज मोर्टार,  इम्प्रोवाइज्ड शॉर्ट रेंज मोर्टार, ग्रेनेड, हैंड ग्रेनेड समेत तमाम आधुनिक हथियार मिले। वही मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति ने एक अल्टीमेटम दिया है, जिसमें मणिपुर में चल रहे संकट को हल करने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों से तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की मांग की गई है।
समिति ने स्थिति से निपटने के लिए बलों को पांच दिन की समय सीमा तय किया था, जिसमें चेतावनी दी गई थी ॒कि कार्रवाई न करने पर लोगों को अपनी आबादी की सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाने पड़ेंगे। समिति ने स्थिति से निपटने के लिए केंद्रीय बलों के तरीके, खासकर कुकी उग्रवादी समूहों से निपटने के उनके तरीके पर गहरा असंतोष व्यक्त किया। 
सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर मणिपुर में हिंसा थम क्यों नहीं रही है? इसके कई कारण हैं। आसान भाषा में समझें तो यह पूरी लड़ाई दो जातीय समूह कुकी और मैतई के बीच की है। ज्यादार मैतई समुदाय के लोग घाटी में रहते हैं और वहीं कुकी समुदाय के लोग पहाड़ों पर रहते हैं। हिंसा के बाद तो इन दोनों समुदायों का एक-दूसरे के स्थानों पर जाना बिलकुल बंद है। यही अलगाव हिंसा न थमने का एक बड़ा कारण भी है।
दोनों की अलग-अलग लोकेशन होने के चलते पूरा इलाका एक सरहद में बदल गया है। रिपोर्ट के अनुसार दोनों ने अपने लिए सेफ  बंकर बना लिए हैं। भारी मात्रा में हथियार दोनों के पास मौजूद हैं। जिससे जब मौका मिलता है तब वे एक-दूसरे पर हमला करते हैं और फिर बंकर में छिप जाते हैं। घाटी और पहाड़ी होने के चलते उन्हें रोक पाना मुश्किल है। सवाल यह भी है कि आखिर दोनों ही समुदायों के पास इतनी बड़ी संख्या में हथियार कहां से आए। जिन हथियारों का हिंसा में इस्तेमाल हो रहा है वे आमतौर पर युद्ध में इस्तेमाल किए जाते हैं। दरअसल मणिपुर में तैनात सेना के जवानों समेत कई थानों में पिछले दिनों हथियार की लूट की खबर सामने आई थी। अधिकारियों ने कहा था कि भारी मात्रा में आधुनिक हथियारों की लूट हुई है। वहीं दूसरा आरोप अवैध हथियारों की सप्लाई का भी है, जिसको लेकर राज्य के मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं और विशेषज्ञों ने चिंता ज़ाहिर की है। आरोप है कि पड़ोसी देशों से मणिपुर में अवैध हथियारों की सप्लाई हो रही है, जिससे हिंसा भड़क रही है।
मणिपुर के मुख्यमत्री एन. बीरेन सिंह जहां एक ओर विपक्ष के निशाने पर हैं, वहीं उन पर भी पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। दरअसल मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह हैं मैतेई समुदाय से आते हैं। मैतई सियासी रूप से भी मणिपुर में प्रभावशाली है। ऐसे में आरोप लगते रहे हैं कि बीरेन सिंह मैतई समुदाय के लोगों के प्रति नर्म रवैया रखते हैं। पिछले दिनों हिंसा में कई भाजपा नेताओं को भी निशाना बनाया गया था। ताज़ा हिंसा मामले में भी बीरेन सिंह पर आरोप लगे। 
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं जबकि आदिवासी जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं। बता दें कि इस हिंसा के कारण हजारों की संख्या में लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं।विरोधी दलों का आरोप है कि एक भी ऐसा संकेत नज़र नहीं आता जिससे पता चले कि सरकार मणिपुर में हिंसा रोकने को लेकर गंभीर है।
 
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