कब खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध ?

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने और शांति के प्रसार के लिए एकाधिक बार अपनी भावनाओं का इज़हार किया है, लेकिन अनेक कारणों से शांति की मुहिम को सफलता नहीं मिली। अलबत्ता यूक्रेन युद्ध तूल पकड़ता चला गया। इसी सप्ताह युद्ध को शुरू हुए लगभग एक हज़ार दिन पूरे हो चुके हैं। माना जा रहा है कि इसकी शुरुआत बाइडन की बदौलत हुई थी। अब तो उनके कार्यकाल का थोड़ा ही समय रह गया है। इसलिए ट्रम्प अपने भाषण में कहते नज़र आये कि वह युद्ध समाप्त करवा देंगे। उनको इस बयान का लाभ भी मिला। बाइडन ने रूस पर लम्बी दूरी की अमरीकी मिसाइलें दागने पर लगा प्रतिबंध हटाया, इतना ही नहीं, रूस की बढ़त को धीमा करने के लिए यूक्रेन को बारूदी सुरंगें देने का फैसला किया। यूक्रेन के 4.7 अरब के भारी कर्ज को माफ कर दिया। इस सबका परिणाम इतना नाटकीय और अभिमान भरा रहा, जिसे दुनिया भर ने देखा और महसूस किया। ज़ेलेंस्की के पास नये हथियारों को इस्तेमाल करने का अवसर मिला और उन्होंने इस अवसर को गंवाया नहीं। 
रूसी क्षेत्र में काफी अंदर तक अमरीकी मिसाइलें दागीं। ब्रिटिश स्टार्म शैडो मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया, हालांकि इसकी स्वीकृति नहीं मिलती, लेकिन इनके संकेत पूरे हैं। मास्को की सख्त प्रतिक्रिया में कीव ने अपने दूतावास जो बंद कर दिये हैं। इसकी सख्त प्रतिक्रिया सामने आनी ही थी। पुतिन ने रूस के परमाणु सिद्धांत में काफी संशोधन किया। जबकि पहले यही परम्परा थी कि रूस को परमाणु हमले के जवाब में ही परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करना है। नया संशोधन इस तरह हुआ कि रूस हमले का जवाब देने के लिए भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। तब मास्को द्वारा यूक्रेन के निखर में बैलेस्टिक मिसाइलें द़ागीं। इसे लम्बी दूरी का हथियार माना जाता है, जिसकी पहुंच यूरोप तक हो सकती है। हमलों के बाद जो पुतिन का टैलीविज़न पर बयान दिया गया, उसमें बताया गया कि मास्को को यूक्रेन को हथियार देने वाले पश्चिमी देशों पर हमला करने का अधिकार है। इसी प्रतिद्वंद्विता में परिस्थितियां गर्मा गईं और युद्ध पहले से विकट होता चला गया। यूक्रेन के बसे बसाये शहर खण्डहर में बदलते रहे हैं। नुक्सान तो दोनों तरफ होता ही है। जान-माल का और आर्थिक विकास के रुक जाने का। युद्धरत कोई भी देश बड़े नुक्सान से बरसों तक उभर नहीं पाता। सभ्यता की पुकार सदा यही रही है कि युद्ध न हो, विवाद का शांतिपूर्ण तरीकों से हल निकाला जाये, परन्तु ऐसा हो नहीं पाता जोकि काफी तकलीफदेह है।
ऐसे में लगता है कि दो-दो महायुद्धों के विनाश से मनुष्य जाति ने कुछ नहीं सीखा। अब समय कुछ ऐसा है कि यूक्रेन को कहना पड़ रहा है कि उनके विरुद्ध एक लाख कोरियाई सैनिकों को तैनात किया जा सकता। वहीं पूरी दुनिया की हालत कुछ ऐसी लग रही है कि एक उदासीनता का माहौल बनता जा रहा है जैसे दुनिया की दिलचस्पी युद्ध में कम होती चली गई है।
यह भी देखना होगा कि अगर यूक्रेन को यूरोप की मदद मिलनी बंद हो जाती है तब क्या होगा? यूक्रेन ऐसे में युद्ध जारी रख पाएगा? लेकिन यह सब अमरीका के संकेत पर ही होने वाला है। अमरीका यूक्रेन पर युद्ध बंद करने का दबाव बना सकता है। रूस यूक्रेन युद्ध को शांति में बदलने के लिए भारत की तरफ भी उम्मीद की नज़र से देखा गया था, परन्तु ऐसा व्यवहारिक रूप में सम्भव हो न पाया भारत की कुछ कोशिशों के बावजूद। ज़ेलेंस्की और कब तक युद्ध जारी रख सकते हैं इतने नुक्सान के बावजूद। अमरीकी चुनाव से पहले वह ट्रम्प से मिल भी चुके हैं। मानवीय पक्ष तो युद्ध समाप्त करने में ही है। 

#कब खत्म होगा रूस-यूक्रेन युद्ध ?