सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल हानिकारक
सोशल मीडिया की बढ़ती लत से सबसे अधिक व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके अति उपयोग से व्यक्ति में चिंता, तनाव व अवसाद जैसी समस्याएं तेज़ी से बढ़ती जा रही है। वर्तमान में इससे कैसे बचें, यह सोचने की ज़रूरत है। विश्व स्तर पर सोशल मीडिया का विकास और प्रभाव परिवर्तनकारी स्वरूप में है। इसके माध्यम से संचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आई है और व्यक्ति को सशक्त बनने का अवसर मिला है।
राजनीति का क्षेत्र हो या व्यवसाय विभिन्न क्षेत्रों में सोशल मीडिया की भूमिका प्रभावी है, लेकिन इन सब के साथ-साथ सोशल मीडिया के अधिक उपयोग के दुष्परिणाम की चुनौतियां भी हमारे सामने हैं। सोशल मीडिया ने बड़े पैमाने पर परस्पर जुड़ाव और अभिव्यक्ति के अवसर प्रत्येक व्यक्ति का प्रदान किया हैं। जहां एक और सोशल मीडिया व्यक्ति को पूरे विश्व के साथ जुड़ कर अपनी बात कहने में लाभदायक साबित हो रहा है वहीं इसके दुष्परिणाम भी बहुतायत में हमारे सामने आ रहे है। सोशल मीडिया के चलन से अधिक से अधिक नये लोगों के साथ जुड़ना सरल हो गया है जिससे व्यक्ति कहीं भी किसी सीमा रेखा से परे जाकर सरलता से मित्रता कर सकता है। इसके अलावा आज सोशल मीडिया का बड़ा फायदा यह भी है कि उसे तत्काल ताज़ा खबरों की जानकारी मिलती रहती है जिससे दूसरे माध्यमों पर निर्भरता कम हो गई है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी फोटो, वीडियो एवं संदेश को सरल तरीके से प्रसारित कर सकता है। इसके अलावा सोशल मीडिया के विविध प्लेटफॉर्म का उपयोग अपने व्यापार का विज्ञापन करने व ऑनलाइन वस्तुएं बेच कर धन कमाना करना भी रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि सोशल मीडिया सबके लिए समान रूप से उपलब्ध है। कोई भी व्यक्ति इसका उपयोग कर सकता है।
इसके अलावा सोशल मीडिया के नकारात्मक पक्ष भी हमारे सामने आ रहे हैं जो हमारी सामाजिक व्यवस्था के लिए उचित नहीं है। सोशल मीडिया के बढ़ते दौर में व्यक्ति एकांकी जीवन जीने में आनन्द की अनुभूति करने लगा है। परिणाम स्वरूप पारिवारिक संवाद जीवन एवं सामाजिक जीवन में रूबरू बातचीत एवं आपसी संचार व संवाद बहुत कम होने से परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। आपसी संवाद की प्रवृत्ति से दूर होने से रिश्ते व संबंध केवल दिखावे के ही रह गये हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भले ही व्यक्तिगत विचारों को खुलकर बांटा जा जा रहा हो लेकिन किसी भी व्यक्ति की भावना को समझने के लिए आपसी संवाद एवं बातचीत ही महत्वपूर्ण कड़ी है।
इसके अलावा इस दौर में सोशल मीडिया अकाउंट हैक होना भी चिंता का विषय है। आर्थिक गतिविधियों के अलावा असामाजिक गतिविधियां, अश्लीली संदेश व वीडियो आदि दूसरों को भेज कर किसी को भी को बदनाम किया जा सकता है। सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिदिन सैकड़ों फेक समाचार हमारे सामने आते रहते हैं जिसकी पहचान भी कई बार व्यक्ति नहीं कर पाता है। अगर व्यक्ति विवेक से काम नहीं लेता है तो कई बार इन फेक समाचारों के प्रसारण के कारण व्यक्ति अपने को ठगा-सा महसूस करने लगता है।
वर्तमान दौर में सबसे अधिक घातक प्रवृत्ति इसकी लत लग जाना है। यह लत बहुत खतरनाक तरीके से हमारे सामाजिक, पारिवारिक जीवन को प्रभावित कर स्वास्थ्य को हानि पहुंचाती है। आज के इस दौर में केवल युवा ही नहीं बल्कि बच्चे, महिलाएं और बुज़ुर्ग भी सोशल मीडिया का उपयोग कर इस लत का धीरे-धीरे शिकार बनते जा रहे हैं। चौबीस घण्टे इस सोशल मीडिया का ज़रूरत से अधिक उपयोग जहां एक और हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है, वहीं व्यक्तिगत जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा सोशल मीडिया की लत से ग्रसित व्यक्ति समय बर्बाद करने के साथ सच्चाई से दूर-दूर बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
अब प्रश्न यह उभरता है कि हम सोशल मीडिया के इस दौर में इसके दुष्परिणामों से कैसे बचे? इसके लिए ज़रूरी है कि हम स्वयं पर संयम का प्रयोग कर इसके अति-प्रयोग को रोकने का प्रयास करें, तभी समस्या का समाधान संभव हैं। अधिक उपयोग करने के बजाय स्वयं को किसी अन्य कार्यों में व्यस्त रखने का प्रयास शुरू करना भी काफी हद लत छुड़ाने में सहायक है। इसके अलावा उन गैर-ज़रूरी अकाउंट या समूहों की सूचनाओं को म्यूट कर देना भी ज़रूरी है। बेवजह की सूचनाओं से मानसिक तनाव बढ़ता है। अतिरिक्त सूचनाओं को बंद करने से हम स्वयं को शांत महसूस कर सकते हैं। ज्यादा इस्तेमाल से कमज़ोर होती याददाश्त को भी बचाया जा सकता है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर दिनभर चलने वाली सनसनीखेज विषय की खबरों के कारण भी व्यक्ति चिंता या तनाव जा रहा है। इसलिए ऐसी खबरों से बचना ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।