भाजपा का भारी होता पलड़ा
देश के बड़े राज्य महाराष्ट्र में हुये चुनावों के निकले परिणाम के दो सप्ताह बाद आखिर भाजपा के नेता देवेन्द्र फड़णवीस ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर ली है। उनके साथ उप-मुख्यमंत्री के रूप में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार एवं शिवसेना के एकनाथ शिंदे ने भी शपथ ग्रहण की है। यह शपथ ग्रहण समारोह इसलिए प्रभावशाली था, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केन्द्र के कई वरिष्ठ मंत्री, बड़े उद्योगपति, बॉलीवुड के प्रसिद्ध कलाकारों सहित लगभग 40,000 लोग इसमें शामिल हुए हैं।
मुम्बई महाराष्ट्र की राजधानी है। इसे देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है। इसकी विधानसभा की 288 सीटें हैं। उत्तर प्रदेश के बाद प्रतिनिधित्व के पक्ष से महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर आता है। पिछले दशक भर से यहां बेहद राजनीतिक सक्रियता बनी रही है तथा बड़ी पार्टियों में व्यापक स्तर पर टूट-फूट भी देखने को मिलती रही है। फड़णवीस पहले दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वर्ष 2014 से 2019 तक उन्होंने भाजपा-शिव सेना सरकार का नेतृत्व किया था। वर्ष 2019 में चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे जो शिव सेना के अध्यक्ष थे, उन्होंने मुख्यमंत्री के पद को लेकर भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया था। भाजपा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार के साथ जोड़-तोड़ करके सरकार बनाई थी। फड़णवीस उसके मुख्यमंत्री बने परन्तु यह सरकार पांच दिन भी न चल सकी, क्योंकि अजित पवार अपने चाचा शरद पवार की पार्टी से अपने साथ ज्यादा विधायक न जोड़ सके। परन्तु बाद में भाजपा ने चतुर राजनीतिक चाल खेलते हुए शिव सेना को दो-फाड़ कर दिया था। एकनाथ शिंदे ने इस पार्टी के ज्यादातर विधायक अपने साथ जोड़ कर भाजपा की सहायता से सरकार बना ली थी। इस तरह उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के पद से त्याग-पत्र देना पड़ा था। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने तथा फड़णवीस को भाजपा की ओर से उप-मुख्यमंत्री बनाया गया था, परन्तु अब 20 नवम्बर, 2024 को हुये विधानसभा के चुनावों में भाजपा को भारी जीत प्राप्त हुई है। उसे अकेले ही 288 सदस्यों वाली विधानसभा से 132 सीटें मिली हैं। भाजपा, शिव सेना तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर आधारित महायुति गठबंधन को इस समय 230 सीटें का बहुमत प्राप्त है। इसके अतिरिक्त कई छोटी पार्टियों एवं निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। दूसरी तरफ कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिव सेना एवं शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर आधारित महा-विकास अघाड़ी गठबंधन को मात्र 50 सीटें ही मिल सकी हैं।
भाजपा ने चुनावों के दौरान कड़ी सक्रियता दिखाई थी। इसने महिलाओं के लिए ‘लाडली बहना योजना’ सहित और कई वर्गों के लिए मुफ्त की योजनाओं की घोषणा करके व्यापक स्तर पर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था, परन्तु अब इस नई सरकार के समक्ष अनेक तरह की चुनौतियां दरपेश हैं। एकनाथ शिंदे ने हिचकिचाते हुए उप-मुख्यमंत्री का पद सम्भाला है। फड़णवीस की सरकार को गठबंधन के अपने दोनों साथियों के साथ बेहद संतुलन बना कर चलने की ज़रूरत होगी। सामने खड़ी चुनौतियों में मराठा आन्दोलन, किसानों की समस्याएं, मुफ्त की योजनाओं के लिए धन-राशि की कमी एवं प्रदेश के पिछड़ते जाते आर्थिक हालात को नई सरकार के लिए सम्भाल पाना जोखिम भरा काम होगा, परन्तु विगत लम्बी अवधि से फड़णवीस का प्रभाव एक अच्छे एवं सुलझे हुए नेता के तौर पर बना रहा है। प्रदेश के तौर पर पड़ोसी गुजरात में बड़े उद्योग लगाने के लिए हालात अधिक साज़गार हैं। फड़णवीस के लिए उसके समानांतर चाल से चलना भी आगामी समय में एक बड़ी चुनौती बना रहेगा। इस नई सरकार की कारगुज़ारी भाजपा के लिए आगामी समय में शक्ति या कमज़ोरी सिद्ध होगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द