गेहूं के अधिक उत्पादन के लिए ज़रूरी है नदीन का प्रबंधन 

धान के मंडीकरण में दरपेश मुश्किलों, देर से कटाई तथा डी.ए.पी. की कमी के बावजूद डायरैक्टर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग डा. जसवंत सिंह के अनुसार किसानों ने लगभग 34 लाख हैक्टेयर रकबे पर गेहूं की बिजाई मुकम्मल कर ली है। सिर्फ 1.5 प्रतिशत रकबा बिजाई के लिए शेष रहता है। यह रकबा आलू एवं मटर का है या फिर थोड़ा-सा रकबा कपास पट्टी में है। डायरैक्टर कृषि ने कहा कि इस रकबे पर भी बिजाई दिसम्बर माह में कर दी जाएगी। कृषि विभाग द्वारा किसानों को अब पिछेती बिजाई के लिए पी.ए.यू. द्वारा सिफारिश की गईं पी.बी.डब्ल्यू.-752 तथा पी.बी.डब्ल्यू.-771 किस्में दिसम्बर में तथा पी.बी.डब्ल्यू.-757 किस्म जनवरी के शुरू में बिजाई करने हेतु कहा जा रहा है। आई.ए.आर.आई. की एच.डी.-3298 किस्म की भी लेट दिसम्बर या जनवरी के शुरू तक बिजाई की जा सकती है।
क्योंकि गेहूं की पूरी बिजाई लगभग धान-बासमती वाले रकबे पर की गई है, किसानों को नदीनों की गम्भीर समस्या से निपटना पड़ सकता है। गुल्ली डंडा एक ऐसा अड़ियल नदीन है, जिस पर यदि नियंत्रित न किया जाए तो 40-60 प्रतिशत तक गेहूं का उत्पादन कम कर देता है। दूसरे अन्य नदीन जैसे जंगली जवी तथा बूई, चौड़ी पत्ती वाली जंगली पालक, बाथू, कंडियाली पालक, बटन बूटी, खंडी, बिल्ली बूटी तथा मैणा भी गेहूं के खेतों में पाये जाने की सम्भावना है। जहां ये नदीन फसल की बिजाई करते समय नहीं उगे, ये पहले पानी से पहले या पहले तथा दूसरे पानी के बाद उगते हैं। बहुत कम किसान नदीन प्रबंध के लिए काश्तकारी ढंग इस्तेमाल करते हैं। उनका आधार नदीन नाशक ही हैं।
 डा. जसवंत सिंह कहते हैं कि किसानों को पी.ए.यू. द्वारा सिफारिश किए नदीन नाशक ही इस्तेमाल करने चाहिएं। पी.ए.यू. ने बिजाई के समय इस्तेमाल किए जाने वाले नदीन नाशक जो नदीनों को उगने से रोकते हैं और उगे हुए नदीनों की रोकथाम के लिए पहले पानी के बाद नदीननाशक इस्तेमाल किए जाने वाले अलग-अलग ग्रुपों में सिफारिश किए हैं, जिन खेतों में गुल्ली डंडा तथा जंगली जवी जैसे नदीन हों, उनके लिए अलग नदीन नाशक तथा जिन खेतों में सिर्फ चौड़ी पत्ती वाले नदीन हों उनके लिए अलग नदीन नाशक सिफारिश किए गए हैं। यदि खेतों में चौड़ी पत्ती वाले तथा घास वालों दोनों ही प्रकार के नदीन हो तो किसानों को टोटल 75 डब्ल्यू.जी.+मैटसल्फूरान नदीन नाशकों का इस्तेमाल करना चाहिए। पी.ए.यू. सम्मानित प्रगतिशील किसान बलबीर सिंह जड़िया धर्मगढ़-अमलोह (फतेहगढ़ साहिब) कहते हैं कि जिन किसानों ने लैंड लेज़र लैवलर कराहे से खेत को समतल करवाकर गेहूं की बिजाई की है या बिजाई के लिए खेत तैयार करने से पहले तथा खेत तैयार करने के बाद ऊपरी सतह सूखा कर गेहूं की बिजाई की है, वहां नदीनों की कुछ रोकथाम हो गई है।
 यदि गेहूं की बिजाई से पहले धान की बजाय कोई अन्य फसल जैसे नरमा, मक्की, गन्ना आदि फसल की बिजाई की गई हो तो भी नदीनों पर काबू पा लिया जाता है। यदि गुल्ली डंडा किसी अन्य नदीन नाशक से न नष्ट होता हो तो पी.ए.यू. द्वारा सिफारिश किया गया शगन 21-11 (क्लोडिनाफोप+मैट्रीब्यूज़न) जैसे नदीन नाशक के इस्तेमाल की सिफारिश की गई है परन्तु शगन 21-11 को उन्नत पी.बी. डब्ल्यू.-550 किस्म पर छिड़काव करने से मना किया गया है। इस किस्म पर यह विपरीत प्रभाव डालता है। नदीननाशकों की मंडी में बहुत भरमार है। अच्छे नतीजे पाने के लिए इनका सही चयन करना बहुत ज़रूरी है। चयन करते समय पिछले वर्षों के दौरान खेत में इस्तेमाल किए गए नदीननाशकों के नतीजों का मुआयना कर लेना चाहिए। जिन नदीननाशकों ने पिछले वर्षों में अच्छे नतीजे न दिए हों, उनका चयन फिर इस वर्ष नहीं करना चाहिए। लगातार एक ही नदीननाशक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से नदीनों में नदीननाशक के प्रति रोधक शक्ति पैदा हो जाती है, उनका प्रभाव कम हो जाता है। किसानों को हमेशा नदीननाशक की मात्रा सिफारिश के अनुसार ही इस्तेमाल करनी चाहिए। सिफारिश के कम मात्रा इस्तेमाल करने पर नदीनों की अच्छी तरह रोकथाम नहीं होती और सिफारिश के अधिक मात्रा का इस्तेमाल करने से गेहूं की फसल को नुकसान पहुंच सकता है। नदीननाशक का इस्तेमाल हमेशा अच्छी वत्तर (सीलन) में ही करना चाहिए। यदि स्प्रे शुष्क खेत में किया जाएगा तो नतीजे नहीं मिलेंगे और यदि अधिक गीला खेत होगा तो नदीननाशक फसल का नुकसान भी कर सकते हैं। 
नदीन प्रबंध के अलग-अलग ढंग इस्तेमाल करने के बाद भी कुछ नदीनों के पौधे रह जाते हैं या फसल के पिछले पड़ाव में उग जाते हैं। इन शेष बचे हुए नदीनों के पौधों को बीज बनने से पहले ही हाथ से निकाल देना चाहिए। सही समय पर छिड़काव व नदीन प्रबंध किया जाना बहुत ज़रूरी है। उगे हुए नदीनों के पौधों को नष्ट करने वाले नदीननाशकों का इस्तेमाल बिजाई के 30 दिन बाद, पहले पानी के बाद, जब नदीन दो से तीन पत्तों की अवस्था में हो, उस समय करना चाहिए। नदीनों के बड़े पौधों में नदीन नाशक को सहन करने की शक्ति बढ़ जाती है और किसानों को नतीजा पूरा नहीं मिलता।  

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